
पटना/दिल्ली/अनीशा चौहान/- बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा में कथित धांधली के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर की हालत मंगलवार सुबह अचानक बिगड़ गई। उन्हें शेखपुरा हाउस में तबीयत बिगड़ने के बाद पटना के मेदांता अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज जारी है।
सूत्रों के अनुसार, प्रशांत किशोर ने पिछले 5 दिनों से पटना के गांधी मैदान में BPSC अभ्यर्थियों के समर्थन में अनशन शुरू किया था। मंगलवार सुबह उनकी स्थिति गंभीर हो गई, जिसमें शरीर में कमजोरी महसूस हो रही थी और वे बुरी तरह थक चुके थे। इसके बाद एक मेडिकल टीम उनके घर पहुंची और उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया। मेदांता अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर अजीत प्रधान ने उनकी स्थिति को गंभीर मानते हुए तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी।
डॉक्टरों ने बताया कि लंबे समय तक बिना भोजन के रहना और शारीरिक तनाव उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर डाल रहा था। इसके बाद प्रशांत किशोर को उनके आवास से एंबुलेंस द्वारा अस्पताल लाया गया, जहां उन्हें पूरी तरह से आराम और इलाज दिया जा रहा है। अस्पताल में डॉक्टर उनकी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, और जांच के बाद ही उनकी स्थिति के बारे में और जानकारी दी जाएगी।
प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी और रिहाई
इसी बीच, सोमवार की सुबह पटना पुलिस ने गांधी मैदान में अनशन पर बैठे प्रशांत किशोर को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने उन्हें बिना अनुमति के धरना प्रदर्शन करने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किया। लगभग पांच घंटे बाद, उन्हें फतुहा सीएचसी में स्वास्थ्य जांच के लिए भेजा गया, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य जांच से मना कर दिया। इसके बाद, पुलिस ने उन्हें सिविल कोर्ट में पेश किया, जहां अदालत ने उन्हें पीआर बॉन्ड पर जमानत दे दी।
हालांकि, प्रशांत किशोर ने किसी भी शर्त पर बेल लेने से इनकार कर दिया और कहा कि धरना प्रदर्शन करना उनका मूल अधिकार है। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वे शर्तों को स्वीकार नहीं करेंगे और 25 हजार का निजी मुचलका भी नहीं भरेंगे। कोर्ट ने उनके बयान के बाद आदेश में बदलाव किया और प्रशांत किशोर को बेउर जेल भेजा गया। कुछ देर बाद कोर्ट के आदेश के संशोधन के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। सोमवार रात तक प्रशांत किशोर को रिहा कर दिया गया।
सामाजिक कारणों के लिए संघर्ष
प्रशांत किशोर ने अपने अनशन के माध्यम से BPSC परीक्षा में हुई धांधली के खिलाफ आवाज उठाई थी। उनका कहना था कि यह बिहार के युवाओं के भविष्य से जुड़ा मामला है और उनका अनशन एक सामाजिक कारण के लिए था। उन्होंने कहा कि जब तक इस मामले में न्याय नहीं मिलता, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
प्रशांत किशोर का यह आंदोलन अब बिहार में राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं का विषय बन चुका है, और उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद से उनके समर्थकों और राज्य सरकार के बीच यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है।
More Stories
पाकिस्तान की सेना आतंकियों के साथ खड़ी हुई’- डीजी ऑपरेशंस
सीमा पर सीजफायर के बाद अब देश में सियासी जंग शुरू
हल्द्वानी में दिनदहाड़े युवक की पिटाई और अपहरण, CCTV ने खोली पोल
“झांसी मेडिकल कॉलेज की लापरवाहीः मासूम ने संभाली खून की बोतल, इलाज के इंतजार में गई मां की जान”
किंग कोहली का टेस्ट क्रिकेट को सलाम: इतिहास में दर्ज हुई महान विदाई
14 साल के यादगार सफर के बाद विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से लिया संन्यास