मास्को/शिव कुमार यादव/- जी-20 की वर्चुअल समिट के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने लगभग दो साल से जारी रूस-यूक्रेन जंग खत्म किए जाने का जिक्र कर सबको चौंका दिया है। पुतिन ने कहा- अब यूक्रेन के साथ जंग खत्म करने का समय आ गया है। हम बातचीत के लिए तैयार हैं। हमने कभी भी शांति वार्ता के लिए मना नहीं किया। ये यूक्रेनी कानून के कारण रुकी है।
दरअसल, अक्टूबर 2022 में यूक्रेन के प्रेसिडेंट वोलोदिमिर जेलेंस्की ने आधिकारिक तौर पर पुतिन के साथ किसी भी यूक्रेनी वार्ता की संभावना को असंभव घोषित करते हुए एक डिक्री (ऑफिशियल डिसीजन) पर साइन किए थे। हालांकि, इसमें रूसी सरकार के साथ बातचीत के लिए दरवाजा खुले होने की बात थी।
रूसी हमले को त्रासदी बताया
पुतिन ने अपने संबोधन के दौरान यूक्रेन पर हो रहे हमलों को त्रासदी बताया। उन्होंने कहा- कई देशों के लीडर्स कह चुके हैं कि वो रूस के हमले से शॉक में हैं। मेरा मानना है कि हां यह मिलिट्री ऑपरेशन शॉकिंग है। मिलिट्री ऑपरेशन हमेशा ही त्रासदी लाते हैं। अब यूक्रेन में जंग की त्रासदी को रोकने पर फोकस किया जाना चाहिए।
24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था
रूसी सैनिकों ने यूक्रेन पर 24 फरवरी 2022 को हमला कर दिया था। इसके पीछे व्लादिमिर पुतिन का मकसद एक ही था- यूक्रेन पर कब्जा। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को यह मंजूर नहीं था, लिहाजा एक साल बाद भी यह जंग जारी है।
इस जंग में दोनों देशों को काफी नुकसान हुआ। इंफ्रास्ट्रक्चर और मिलिट्री इक्युपमेंट्स तबाह हुए।
पुख्ता आंकड़े तो नहीं हैं, लेकिन माना जाता है कि इस जंग में दोनों तरफ के हजारों लोग और सैनिक मारे जा चुके हैं। हालांकि 23 दिसंबर 2022 को पुतिन ने ऐलान किया था कि वे जल्द ही युद्ध को खत्म करना चाहते हैं। पुतिन ने कहा था- इस संघर्ष को खत्म करना हमारा मुख्य मकसद है। हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। लेकिन, नए साल यानी 1 जनवरी 2023 को पुतिन-जेलेंस्की में जुबानी जंग हो गई। दोनों ने अपने देश को संबोधित किया था। पुतिन ने 9 मिनट लंबे संबोधन में कहा था- हमारी सेना अपनी जमीन, सच्चाई और न्याय के लिए लड़ रही है। हम रूस और अपने परिवारों के लिए जंग जीतेंगे। इसके पलटवार में यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमिर जेलेंस्की ने भी वीडियो मैसेज जारी किया था- उन्होंने रूस के लोगों से कहा कि पुतिन उन्हें तबाह कर रहे हैं। वे अपने सैनिकों का नेतृत्व नहीं कर रहे बल्कि उनकी आड़ में छिप रहे हैं।
नाटो है रूस-यूक्रेन विवाद की वजह
1991 में सोवियत संघ के 15 हिस्सों में टूटने के बाद नाटो ने खासतौर पर यूरोप और सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों के बीच तेजी से प्रसार किया।
2004 में नाटो से सोवियत संघ का हिस्सा रहे तीन देश- लातविया, एस्तोनिया और लिथुआनिया जुड़े, ये तीनों ही देश रूस के सीमावर्ती देश हैं।
पोलैंड (1999), रोमानिया (2004) और बुल्गारिया (2004) जैसे यूरोपीय देश भी छ।ज्व् के सदस्य बन चुके हैं। ये सभी देश रूस के आसपास हैं। इनके और रूस के बीच सिर्फ यूक्रेन पड़ता है।
यूक्रेन कई साल से नाटो से जुड़ने की कोशिश करता रहा है। उसकी हालिया कोशिश की वजह से ही रूस ने यूक्रेन पर हमला किया है।
यूक्रेन की रूस के साथ 2200 किमी से ज्यादा लंबी सीमा है। रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ता है तो नाटो सेनाएं यूक्रेन के बहाने रूसी सीमा तक पहुंच जाएंगी।
यूक्रेन के नाटो से जुड़ने पर रूस की राजधानी मॉस्को की पश्चिमी देशों से दूरी केवल 640 किलोमीटर रह जाएगी। अभी ये दूरी करीब 1600 किलोमीटर है। रूस चाहता है कि यूक्रेन ये गांरटी दे कि वह कभी भी नाटो से नहीं जुड़ेगा।
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