नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पश्चिमी दिल्ली में आम आदमी पार्टी का रोड़ शो अरविंद केजरीवाल के ईद-गिर्द ही सिमट कर रह गया हालांकि लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह रोड़ शो पश्चिमी दिल्ली के आप के लोकसभा प्रत्याशी महाबल मिश्रा के लिए निकाला जाना था लेकिन केजरीवाल अपने प्रत्याशी की बजाए अपना ही गुणगान करते दिखाई दिए। इससे एक बात स्पष्ट हो गई कि केजरीवाल जी अपने यह रोड़ शो सिर्फ अपने लिए कर रहे है। जिस तरह से इस रोड़ शो में कांग्रेस की उपेक्षा व गठबंधन को किनारे किया गया उससे तो यही लगता है कि केजरीवाल इस चुनाव में कांग्रेस को पूरी तरह से निपटाने के मूड में है। उन्होंने रोड़ शो में इंडी गठबंधन का नाम तो लिया लेकिन किसी भी कांग्रेसी नेता को अपने रथ पर जगह नही दी। जिसका यही संकेत मिलता है कि दिल्ली में मजबूरी का गठबंधन तो हो गया लेकिन कार्यकर्ताओं के दिल नही मिल पाये।
बता दें कि दिल्ली की सात लोकसभा सीटों पर कांग्रेस व आम आदमी पार्टी 4-3 के अनुपात में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। हालांकि यह फैसला दोनो दलों के आला नेताओं की घोषणा के बाद लागू हो गया लेकिन जमीनी स्तर पर कांग्रेस के प्रादेशिक स्तर के नेताओं ने इसका विरोध किया और फिर इस्तीफों की बयार चल पड़ी। यहां तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने भी अपने पद से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि आप से कांग्रेस का गठबंधन एक भारी भूल साबित होगा और दिल्ली में आम आदमी पार्टी कांग्रेस बचा-खुचा वजूद भी खत्म कर देगी।
रविवार को पश्चिमी दिल्ली के रोड़ शो में कांग्रेसी नेताओं की शंका सच होती दिखी। क्योंकि रोड़ शो लोकसभा प्रत्याशी के लिए निकाला गया था। लेकिन इसमें केजरीवाल सिर्फ अपना ही गुणगान करते दिखाई दिये। इतना ही नही इस रोड़ शों में ना किसी बड़े कांग्रेसी नेता को बुलाया गया और ना ही कोई कांग्रेसी नेता उनके रथ पर दिखाई दिया। अरविंद केजरवाल व पंजाब के सीएम भगवंतमान के अलावा रथ पर लोक सभा प्रत्याशी महाबल मिश्रा तक को जगह नही मिली। जिसे देखकर यही लगता है कि यह रोड़ शो अरविंद केजरीवाल सिर्फ अपने लिए निकाल रहे है। उनका गठबंधन व प्रत्याशी से कोई लेना देना नही है। लोगों की माने तो जिस भ्रष्टाचार में केजरीवाल व उनके चार मंत्री व नेता जेल की हवा खा रहे है वही केजरीवाल अब बाहर आते ही अपने आप को भ्रष्टाचारियों का सबसे बड़ा दुश्मन जताने की कोशिश कर रहा है।और जनता के बीच अपने आप को दूध का धुला साबित करने की कोशिश कर रहा है।
राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो केजरीवाल बहुत ही चतुराई से कांग्रेस को दिल्ली से खत्म कर रहे हैं। विधानसभा में कांग्रेस के सरेंडर के कारण ही आम आदमी पार्टी सत्ता में आई थी और पंजाब में कांग्रेस को ही खत्म कर सत्ता में आई है। अब कांग्रेस की सबसे बड़ी विरोधी पार्टी भी कांग्रेस ही हुई लेकिन यहां भी केजरीवाल ने कांग्रेस से गठबंधन कर अब उसे लोकसभा में खत्म करने की बड़ी साजिश रची है। और कांग्रेस के प्रादेशिक स्तर के नेता इस बात को कह भी चुके है लेकिन राहुल गांधी की सत्ता की मजबूरी ने उन्हें गठबंधन के लिए विवश कर दिया है। जिसकारण कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं की एक नही सुनी। यहीं कारण है कि कांग्रेस का छोटा या बड़ा नेता केजरीवाल के रथ पर चढने से हिचकिचा रहा है। वहीं केजरीवाल कांग्रेस का सिर्फ वोट बैंक चाहते है उनके नेताओं को साथ लेकर प्रचार करने में उनकी कोई दिलचस्पी नही है। क्योंकि अगर कांग्रेस नेताओं को साथ लेकर चुनाव प्रचार में गये तो कांग्रेस का भी प्रचार होगा और ये केजरीवाल कतई नही चाहते। उन्हे पता आगे आने वाले विधानसभा चुनावों में आप को भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस से भी मुकाबला करना है।
इससे पहले पश्चिमी दिल्ली से जब महाबल मिश्रा नामांकन के लिए गये तो उनके रथ पर भी कोई कांग्रेसी नेता दिखाई नही दिया। उनके रोड़ शो में छुटपुट कांग्रेस के झंडे दिखाई दिये जिनकों यह भी नही बताया जा सकता कि ये कांग्रेसी ही थे या आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही कांग्रेस के झंडे उठा रखे थे। अभी तक के रोड़ व चुनाव प्रचार पर नजर डाली जाए तो यही बात स्पष्ट होती है कि आप व कांग्रेस ने गठबंधन जरूर किया है लेकिन अभी तक दोनो दलों के कार्यकर्ताओं के दिल नही मिले है । अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में केजरीवाल अपने रोड़ शो से कोई बड़ा बदलाव कर पाते है या नही और दोनो दलों के कार्यकर्ताओं कें दिल कहां तक मिलते है।
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