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    परिवार और संपत्ति में हिस्सेदारी: अपने कानूनी अधिकारों को समझें

    कानून/सिमरन मोरया/- आज के बदलते सामाजिक ढांचे में जहां पहले बड़े संयुक्त परिवार आम थे, वहीं अब छोटे और एकल परिवारों का चलन बढ़ गया है। ऐसे में संपत्ति से जुड़े विवाद भी तेजी से बढ़े हैं। अक्सर देखने में आता है कि पैतृक संपत्ति को लेकर परिवारों में मतभेद हो जाते हैं, जिनमें कई बार उत्तराधिकारी उनके वाजिब हिस्से से वंचित रह जाते हैं। हालांकि ऐसे मामलों को कानूनी हस्तक्षेप के बिना भी समझदारी से सुलझाया जा सकता है। फिर भी, अगर ऐसा संभव न हो तो कानून आपको अपना हक पाने का अधिकार देता है। आइए जानें, अगर दादा, पिता या भाई आपको आपकी पैतृक संपत्ति में हिस्सा नहीं देते तो आपको क्या करना चाहिए।

    क्या होती है पैतृक संपत्ति? (Property Dispute)
    किसी भी संपत्ति को मुख्यतः दो भागों में बांटा जाता है – एक, स्व-अर्जित संपत्ति और दूसरी, पैतृक संपत्ति। पैतृक संपत्ति वह होती है जो किसी व्यक्ति को जन्म से ही उसके पूर्वजों के माध्यम से प्राप्त होती है। मतलब, अगर आपके दादा या पिता की ओर से कोई संपत्ति अविभाजित चली आ रही है, तो वह पैतृक संपत्ति मानी जाती है और उसमें आपका स्वाभाविक अधिकार होता है।

    पैतृक संपत्ति में किसका कितना हक? (Ancestral Property)
    पैतृक संपत्ति में अधिकार जन्म के साथ ही स्वतः मिल जाता है। यह संपत्ति चार पीढ़ियों तक बिना विभाजन के चली आनी चाहिए, तभी उसे पैतृक संपत्ति कहा जाएगा। इस संपत्ति में बेटा और बेटी दोनों का बराबर का हक होता है। अगर संपत्ति को बेचना हो या विभाजित करना हो तो सभी हिस्सेदारों की सहमति जरूरी होती है।

    अगर संपत्ति में हिस्सा न मिले तो क्या करें? (Property Rules)
    अगर दादा, पिता या भाई आपको पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने से इनकार करते हैं, तो सबसे पहले आप उन्हें कानूनी नोटिस भेज सकते हैं। अगर फिर भी समाधान न निकले, तो सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर अपने हक की मांग कर सकते हैं। साथ ही, कोर्ट से मांग कर सकते हैं कि संपत्ति की बिक्री पर रोक लगाई जाए। अगर मामले के विचाराधीन रहते संपत्ति बेच दी जाती है, तो आप खरीदार को भी केस में शामिल कर सकते हैं और अपना दावा बरकरार रख सकते हैं।

    बेटियों का पैतृक संपत्ति में अधिकार (Property Laws)
    हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के अनुसार बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में बेटों के समान अधिकार दिया गया है। पहले बेटियों को परिवार की संपत्ति में उतना अधिकार नहीं था, लेकिन संशोधन के बाद से बेटियां भी अपने पैतृक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदार बन गई हैं। इस बदलाव ने बेटियों को भी समान उत्तराधिकारी का दर्जा दिया है, चाहे उनकी शादी हो चुकी हो या नहीं। पैतृक संपत्ति को लेकर किसी भी विवाद की स्थिति में अपने अधिकारों की जानकारी होना बेहद जरूरी है। अगर आपको आपके हिस्से से वंचित किया जा रहा है, तो कानून का सहारा लेकर आप अपना अधिकार प्राप्त कर सकते हैं। बिना जानकारी के अधिकारों से वंचित रहना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि भविष्य में बड़े नुकसान का कारण भी बन सकता है।

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