मित्रो ! है यह दिवस महान
ब्रह्मा जी का शुभ वरदान
की थी इस पृथ्वी की रचना
सही है जिसमें अपनी जान
हर्ष नया, उत्कर्ष नया
मर्यादित आदर्श नया
लेकर आए शुभ संदेश
मंगलमय हो वर्ष नया
हम हैं ऋषियों की सन्तान
दिया जिन्होंने जग को ज्ञान
सकल विश्व परिवार है अपना
है अपनी संस्कृति महान
भारत जो जग से न्यारा है
हमको प्राणों से प्यारा है
हम बेटे भारत मां के हैं
यही जाति-धर्म हमारा है
गीतों, ग़ज़लों, कविताओं में
शहरों, कस्बों और गांवों में
उस प्यार की खुशबू बांटेंगे
जो बंधा नहीं सीमाओं में
बेटी बचाओ
नारी-शक्ति को सदा कहते रहे महान ,
उसके दुर्गा रूप को देते हो सम्मान ।
देते हो सम्मान मगर तब क्या हो जाता ,
जब कन्या है गर्भ में अल्ट्रासाऊंड बताता ।
केवल नवरात्रों में उसके गुण न गाओ ,
बेटी देश बचाएगी , तुम उसे बचाओ !
लेखक- कृष्ण गोपाल विद्यार्थी
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