नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/बहादुरगढ़/भावना शर्मा/- हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा नव संवत्सर के उपलक्ष्य में ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। हरियाणा साहित्य अकादमी के यूट्यूब चैनल पर आयोजित इस कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा मंत्रालय के विद्यालय शिक्षा विभाग के निदेशक श्री जय प्रकाश पांडेय (आई.आर.पी.एस.) उपस्थित रहे। कवि सम्मेलन का संयोजन व संचालन कैथल के युवा कवि दिनेश शर्मा दिनेश ने किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ नैरोबी केन्या से जुड़ी कवयित्री मनीषा कंठालिया ने सरस्वती वंदना से किया। इसके बाद अकादमी निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने मुख्य अतिथि और आमंत्रित कवियों का अभिवादन किया और कवि सम्मेलन की प्रस्तावना रखी। उन्होंने ऐसे आयोजनों को भारतीय संस्कृति और संस्कारों को प्रतिस्थापित करने का उचित माध्यम बताया।
कवि सम्मेलन में सिंगापुर से जुड़ी युवा कवयित्री आराधना झा श्रीवास्तव ने अपनी कविता में नारी के सामाजिक योगदान पर कहा-
“धरती-अंबर परिवार मेरा,ये भाव भारती लाती है।
जिस देह में बसते प्राण कई उसे एक गणतंत्र बनाती है।“
कवयित्री मनीषा कंठालिया ने अपनी कविता में जीवन को परिभाषित करते हुए कहा-
“’इस जीवन के यक्ष प्रश्नों में उलझन है कितनी ज्यादा कि धर्मराज के सिवा कोई समझ नहीं पाया अब तक“
कैथल से कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर रहे दिनेश शर्मा ’दिनेश’ ने भारतीय संस्कृति और गौरवशाली इतिहास का मजाक उड़ाने वालों पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि-
“जब रामायण महाभारत एक कहानी लगती है।
तब प्रमाणों की प्रमाणिकता मुझे बेमानी लगती है।“
फरीदाबाद से जुड़े प्रसिद्ध गीतकार चरणजीत चरण ने भारत पर अपनी रचना
“कहता हूं सच मान सभी से अच्छा है,
अपना हिंदुस्तान सभी से अच्छा है।“
भिवानी से आमंत्रित कवि रमाकांत शर्मा ने आज के रिश्तों पर अपनी रचना
“आदमी बनकर मिले होते अगर हम आदमी से, तो न शायद इस तरह से टूटते संबंध मन के“ प्रस्तुत की और प्रतिक्रियाओं में छाए रहे।
उनके बाद नीदरलैंड से जुड़ी वरिष्ठ कवयित्री प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने अपने काव्यपाठ में धरती की वेदना
पृथ्वी अकेली औरत की तरह सह रही है जीने का दुःख’ सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
रोहतक से शामिल हुए गीतकार वीरेंद्र मधुर ने अपने गीत के माध्यम से वर्तमान संदर्भ पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा-
“कितने और बरस बीतेंगे कितने अर्जुन रण जीतेंगे,
धरती चीर चीर कर सीता कितनी बार जनक खींचेंगे।“
बहादुरगढ़ से आमंत्रित वरिष्ठ कवि कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने अपनी कविताओं के माध्यम से शहीदों को याद करने के अलावा भारत की संस्कृति की उज्ज्वलता भी बयान की। उन्होंने कहा-
“हम हैं ऋषियों की सन्तान,दिया जिन्होंने जग को ज्ञान ।
सकल विश्व परिवार है अपना,
है अपनी संस्कृति महान।“
सभी कवियों के काव्य पाठ के बाद मुख्य अतिथि जय प्रकाश पांडेय ने सभी कवियों को सुंदर रचना पाठ के लिए बधाई दी। उन्होंने हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर चंद्र त्रिखा को सफल आयोजन के लिए बधाई दी और भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजनों के लिए आग्रह करते हुए नव संवत्सर पर शुभकामनाएं देते हुए अपना संबोधन समाप्त किया। उन्होंने हरियाणा साहित्य अकादमी परिवार के सभी सदस्यों विशेष रुप से डॉ विजेंद्र व मनीषा नांदल को इस आयोजन में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। कवि सम्मेलन के दौरान इस आभासी कार्यक्रम के प्रतिभागी रचनाकारों को निरंतर दर्शकों की सुंदर व रोचक प्रतिक्रियाएं मिलती रहीं। कार्यक्रम के अंत में अकादमी निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने मुख्य अतिथि जय प्रकाश पांडेय और सभी प्रतिभागी कवियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि हरियाणा साहित्य अकादमी भविष्य में भी भारतीय संस्कृति को समर्पित ऐसे आयोजन करती रहेगी। जिनसे भारतीय संस्कृति को बल मिले और हरियाणा का साहित्य समृद्ध हो।
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