नये सीमा कानून से पडोसियों के खिलाफ साजिश रच रहा चीन

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 23, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

नये सीमा कानून से पडोसियों के खिलाफ साजिश रच रहा चीन

-14 देषों से लगी है चीन की सीमा, 6 देषों से है चीन के तनावपूर्ण संबंध, भारत को लेकर बनाई गई है नई नीति

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-
चीन ने पहली बार सीमा से जुड़े कानून को मंजूरी दी है। इस नए कानून के तहत अब चीन सरकार ने 14 देशों से जुड़ी अपनी जमीनी सीमा को लेकर कुछ नियम निर्धारित किए हैं। इस कानून को ’द लैंड बॉर्डर्स लॉ’ कहा गया है और यह 1 जनवरी 2022 से लागू हो जाएगा। यानी इस तारीख के बाद से चीन अपने तय कानून के तहत ही सीमा से जुड़े मुद्दों पर समीक्षा और कार्रवाई करेगा। खास बात यह है कि चीन अब तक अपने सीमा से जुड़े मुद्दों पर केंद्रीय शासन और सेना के नेतृत्व के आधार पर फैसले लेता था। यानी ये कानून सिर्फ उन फैसलों को आधिकारिक रूप देने का एक तरीका है। हालांकि, कानून के कुछ प्रावधान ऐसे हैं, जिन्हें सिर्फ भारत को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। ऐसे में अगले साल भारत और चीन के बीच तनाव की स्थिति में कैसे बदलाव आ सकते हैं इसे लेकर काफी संशय की स्थिति पैदा हो गई है।
                   इस बीच अमर उजाला आपको बता रहा है कि चीन के नए कानून में ऐसे क्या प्रावधान हैं, जिन्हें लेकर अगले साल उसके साथ सीमा साझा करने वाले देशों से विवाद पैदा हो सकते हैं। चीन कुल मिलाकर 16 देशों से जमीनी और समुद्री सीमा साझा करता है। इनमें 14 देश उससे जमीनी सीमा से जुड़े हैं।

किन देशों से जुड़ी चीन की सीमा?

समुद्री सीमा
1. ताइवान
2. फिलीपींस
3. इंडोनेशिया
4. वियतनाम
5. मलेशिया
6. जापान
7. दक्षिण कोरिया
8. उत्तर कोरिया
9. सिंगापुर
10. ब्रुनेई

जमीनी सीमा
1. भारत
2. नेपाल
3. भूटान
4. वियतनाम
5. मंगोलिया
6. म्यांमार
7. रूस
8. कजाखस्तान
9. किर्गीस्तान
10. ताजिकिस्तान
11. उत्तर कोरिया
12. अफगानिस्तान
13. पाकिस्तान (पीओके का हिस्सा)
14. लाओस

किन देशों से हैं चीन के विवाद?
चौंकाने वाली बात यह है कि अपने इतने पड़ोसियों में चीन का छह देशों- भारत, नेपाल, भूटान, वियतनाम, मंगोलिया, म्यांमार से लगातार विवाद जारी है। इतना ही नहीं तीन और देश- रूस, लाओस और कजाखस्तान ऐसे भी हैं, जिन पर चीन विवाद सुलझाने के बावजूद अपना दावा करता दिख जाता है।

चीन के नए कानून में ऐसा क्या, जिससे भड़क सकता है उसका झगड़ा?
चीन के नए कानून को सात भागों में रेखांकित किया गया है। इसमें 62 खंड दिए गए हैं, जिसमें पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (चीन) की स्वायत्ता और क्षेत्रीय अखंडता को पवित्र करार दिया गया है। इस कानून के तहत अब सीमाओं से जुड़े मामलों में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म पुलिस (पीएपी) को आधिकारिक तौर पर घुसपैठ, अतिक्रमण या हमले से निपटने का अधिकार दिया गया है। कानून के तहत सीमाई मुद्दों को सुलझाने के लिए लीगल फ्रेमवर्क और जरूरत पड़ने पर सीमाओं को बंद करने के प्रावधान भी रखे गए हैं।

कैसे जमीन पर कब्जा मजबूत करने की इजाजत देता है यह कानून?
यह कानून चीन की सीमाओं पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के साथ आर्थिक, सामाजिक और सैन्य विकास को बढ़ावा देने के लिए अहम है। इस कानून के अनुच्छेद 10 और अनुच्छेद 43 में कहा गया है कि चीन सार्वजनिक सेवाओं के साथ इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देगा, ताकि वहां बसे लोगों के जीवन और नौकरियों को आसान किया जा सके।
                 इस प्रावधान को इस लिहाज से अहम माना जा रहा है कि चीन ने 2016 के डोकलाम विवाद के बाद जिन भी विवादित सीमाई इलाकों पर अब तक अवैध तौर पर कब्जा किया है, उन पर अब वह भारी निवेश के जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करेगा और उस पर अपना अधिकार पुख्ता कर लेगा।
                 इसी कानून के अनुच्छेद 7 में चीन के विवादित इलाकों में खड़े किए गए इन्फ्रास्ट्रक्चर को मान्यता देने का प्रावधान है। सीधे शब्दों में इस कानून के तहत चीनी सेना विवाद वाले क्षेत्रों की रक्षा के लिए भी जिम्मेदार होगी।
सीमा से लगे गांवों का कैसे इस्तेमाल कर सकता है चीन?
                 कुछ हालिया रिपोर्ट्स में खुलासा हो चुका है कि चीन ने किस तरह भारत, भूटान और नेपाल से लगती सीमाओं पर अपने गांव खड़े कर लिए हैं। तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीन ने शिगात्से, ल्होखा, न्यिंगची और नगारी जैसे 21 छोटो शहरों के करीब 112 गांव बसाए हैं। इनमें भी उसने निर्माण कार्य जारी रखा है, जो कि पूरा होने के बाद चीनी सेना के लिए बॉर्डर सुरक्षा पोस्ट के तौर पर काम करेगा।
                  ऐसे गांवों का चीन दो तरह से इस्तेमाल करता है, एक- लोगों को बसाने में और दूसरा सीमापार गश्त करने में। पहले ये काम चीनी सेना अनाधिकारिक तौर पर ही करती थी। लेकिन चीन ने नए कानून के जरिए उसकी इन गतिविधियों को आधिकारिक तौर पर मान्य करने का फैसला किया। इस तरह चीन तिब्बत में अपने लोगों को बसाकर भारत के खिलाफ आक्रामक नीति अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।
भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता क्या?
चीन ने यह कानून भारत के साथ उत्तरी लद्दाख में पिछले डेढ़ साल से जारी टकराव के दौरान तैयार किया है। यानी इस कानून का मुख्य मकसद भारत के साथ सीमा विवाद को बढ़ाना है। चीन के इस कानून के तहत अब सीमाई इलाकों पर रहने वाले नागरिकों और उस क्षेत्र के अधिकारियों को भी बॉर्डर सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई है। यह भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात है, क्योंकि तिब्बत में अभी बड़ी संख्या में ऐसे लोग रहते हैं, जो दलाई लामा के समर्थक हैं और चीन की तानाशाही नीतियों के खिलाफ अलग रहने की मांग उठाते रहे हैं।
भारत के लिए भी अब तक तिब्बत का इलाका काफी शांत रहा है। लेकिन चीन के इस कानून के लागू होने के बाद तिब्बत के शांतिप्रिय लोगों पर भी चीनी सेना और कम्युनिस्ट सरकार के प्रति जिम्मेदार रहने का दबाव बनाया जा सकता है। चीन खुद भी सैनिकों को बड़ी संख्या में नागरिकों के तौर पर यहां बसाकर तनाव की स्थिति में उन्हें भारत के खिलाफ तैयार रख सकता है।

चीन के इस कानून को तैयार करने के पीछे और क्या वजहें?
दूसरी तरफ चीन सरकार लगातार अवैध प्रवासियों की घुसपैठ पर चिंता जताती रही है। खासकर अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे और मध्य एशियाई देशों में प्रवासियों की समस्या पैदा होने के बाद। इसके अलावा यूएन सुरक्षा परिषद की एक हालिया रिपोर्ट में भी कहा गया था कि अफगानिस्तान के बदख्शां में ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट के करीब 500 आतंकी हैं। यह क्षेत्र चीन के शिनजियांग प्रांत से काफी करीब है, जहां सेना उइगुर मुस्लिमों पर जुल्म कर रही है। चीन को डर है कि अफगानिस्तान में मची उठापटक आगे चीन के लिए मुश्किलें पैदा करेगी और उनके क्षेत्र में कट्टरपंथी गतिविधियां भड़कने लगेंगी। इसी के चलते नए सीमा कानून में चीनी सेना को सीमापार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का वैधानिक अधिकार दिया गया है।
                  इसके अलावा चीन को म्यांमार में सेना की ज्यादतियों के चलते प्रवासियों के बढ़ने का खतरा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी वियतनाम से आ रहे प्रवासियों पर भी रोक लगाना चाहती है, ताकि इस देश से आने वाले प्रवासी कहीं चीन में भी कोरोना फैलने का कारण न बन जाएं। बीते कुछ समय में ही चीन के वियतनाम और म्यांमार सीमा से लगे प्रांतों में कोरोना के केस में बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox