नई दिल्ली/- छल-बल और लालच अथवा धमका कर कराए जाने वाले धर्मांतरण को रोकने के लिए कठोर कानून बनाने की मांग की गई है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। शीर्ष कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार व संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया।
जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय और कानून व न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। सभी पक्षों से 14 नवंबर तक जवाब मांगा गया है। शीर्ष कोर्ट में वकील अश्विनी उपाध्याय ने यह याचिका दायर की है। इसमें केंद्र व राज्य सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वे धमकाकर, बल या धोखाधड़ीपूर्वक, गिफ्ट या लालच देकर कराए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक के कठोर कानून बनाए। उपाध्याय ने कहा कि यह राष्ट्रव्यापी समस्या है, इसलिए इस पर तुरंत काबू करने की जरूरत है।
अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि देश का एक भी जिला ऐसा नहीं है जो ‘हुक एंड क्रूक‘ यानी येन केन प्रकारेण कराए जाने वाले धर्म परिवर्तन से मुक्त हो। पूरे देश में हर हफ्ते ऐसी घटनाएं होती हैं जहां धर्मांतरण डरा-धमकाकर, उपहारों और पैसों के लालच में या धोखा देकर और काला जादू, अंधविश्वास, चमत्कारों का इस्तेमाल करके किया जाता है। केंद्र और राज्यों ने इस खतरे को रोकने के लिए कड़े कदम नहीं उठाए हैं।
तमिलनाडु के लावण्या खुदकुशी मामले का जिक्र
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने ईसाई बनने का दबाव बनाने के कारण आत्महत्या करने वाली तमिलनाडु की लावण्या के मामले समेत दूसरी ऐसी घटनाओं का हवाला दिया है। याचिका में भारत के विधि आयोग को इस बारे में एक रिपोर्ट तैयार करने के साथ-साथ धमकी और आर्थिक लाभ के जरिए धर्मांतरण को नियंत्रित करने के लिए कठोर कानून बनाने का निर्देश देने की भी मांग की गई है।
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