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  • दिल्ली में 20 हजार से लेकर 2.20 लाख में मिल रही नामी यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री

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    दिल्ली में 20 हजार से लेकर 2.20 लाख में मिल रही नामी यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्री

    -पुलिस ने दिल्ली में फर्जी डिग्री दिलाने वाले गैंग का किया भंडाफोड़, दो आरोपी गिरफ्तार

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- कई नामी प्राइवेट-सरकारी यूनिवर्सिटीज और राज्यों के एजूकेशन बोर्ड की फर्जी मार्कशीट्स और डिग्री बेचने वाले गैंग का क्राइम ब्रांच ने भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गैंग के मास्टरमाइंड बुराड़ी निवासी डालचंद मेहरोलिया उर्फ अमर (34) और महावीर कुमार (30) को  गिरफ्तार किया है। इनसे पीएचडी, एलएलबी, बीटेक, एमटेक, बीफार्मा, बीए और एमए समेत कई कोर्स की फर्जी डिग्रियां और मार्कशीट बरामद की गई हैं। पुलिस का दावा है कि ये फर्जी डिग्री व मार्क शीट के लिए 20 हजार रुपये से लेकर 2 लाख 20 हजार रुपये तक वसूलते थे।

    फर्जी डिग्री और मार्कशीट का चल रहा खेल
    स्पेशल सीपी (क्राइम) रवींद्र यादव ने बताया कि एएसआई विजमॉन और एचसी संजय कुमार को पीतमपुरा के नेताजी सुभाष प्लेस कॉम्प्लेक्स में चलने वाले एमएच एजुवर्सिटी डिजिटल स्कूल ऑफ इंडिया में फर्जी डिग्री और मार्कशीट तैयार करने वाले सिंडिकेट का पता चला।

    डीसीपी अंकित सिंह की देखरेख में इंस्पेक्टर विजय पाल दहिया की टीम ने छापेमारी कर डालचंद मेहरोलिया उर्फ अमर को देश भर की कई नामी यूनिवर्सिटीज की 19 फर्जी डिग्री और मार्कशीट समेत धर लिया। पुलिस ने वहां से 11 लैपटॉप, 14 फोन और फर्जी स्टैंप्स रिकवर किए।

    पुलिस ने आरोपियों को ऐसे दबोचा
    पुलिस के अनुसार, इस मामले की सूचना क्राइम ब्रांच के सहायक सब इंस्पेक्टर विजुमोन और हेड कांस्टेबल संजय कुमार को गुप्त सूचना मिली थी। एमएच एडुवर्सिटी, नेताजी सुभाष प्लेस कॉम्प्लेक्स, पीतमपुरा में स्थित डिजिटल स्कूल ऑफ इंडिया की आड़ में जाली, फर्जी मार्कशीट और डिग्री तैयार करने में गिरोह शामिल है।

    समय पर कारवाई करके पर्दाफाश किया जा सकता है। डीसीपी अंकित सिंह के निर्देश पर एसीपी नरेश सोलंकी की देखरेख में इंस्पेक्टर विजय पाल दहिया, उपनिरीक्षक राजेश, सहायक उप निरीक्षक विजू मोन, हेडकांस्टेबल अरविंद, संजय, मनिंदर, चरण सिंह, सोनवीर, उमेश, कांस्टेबल विपिन, रेणु, और ममता शामिल की टीम ने पीतमपुरा के कार्यालय पर छापा मारा। मौके से शंघाई इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, विलियम केरी यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ शिलांग, उत्तराखंड, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कलिंग, बिहार आदि के कुल 19 फर्जी मार्कशीट, सर्टिफिकेट, डिग्री और साथ में 11 लैपटॉप, 14 मोबाइल और नकली स्टांप बरामद किया गया। आगे की जांच के दौरान फिर महावीर को भी बुराड़ी से गिरफ्तार किया गया। उसके घर से भी विभिन्न विश्वविद्यालयों और राज्य शिक्षा बोर्डों की नकली और खाली डिग्री, प्रमाण पत्र, मार्क-शीट और माइग्रेशन प्रमाण पत्र के साथ-साथ अपराध में इस्तेमाल लैपटॉप, प्रिंटर, नकली स्टांप आदि आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।

    10वीं से पीएचडी तक की डिग्री मिल रही
    जांच के दौरान पुलिस ने सह-आरोपी महावीर को भी बुराड़ी से अरेस्ट कर लिया। इससे काफी तादाद में फर्जी मार्कशीट, डिग्री, 10वीं और 12वीं के सर्टिफिकेट बनाने का सामान मिला। पूछताछ में डालचंद ने पुलिस को बताया कि वो 2020 से इंस्टिट्यूट चला रहा थे। कई टेलिकॉलर के जरिए लोगों को एडमिशन के लिए कॉन्टैक्ट करते थे। इसके बाद डालचंद इनसे वॉट्सऐप पर बगैर किसी दस्तावेज के डिग्री दिलाने की बात करता था। वो कभी खुद स्टूडेंट से नहीं मिलता था। ये 10वीं से पीएचडी तक की डिग्री 20 हजार से 2.20 लाख रुपये में मुहैया कराता था।

    जॉब गई तो करने लगा फर्जीवाड़ा
    ये दोनों आरोपी डिग्री और होलोग्राम तैयार कर देते थे। पैसा मिलने के बाद ये कूरियर से डिग्री-मार्कशीट भेज दिया करते थे। आरोपी अब तक 2000 से ज्यादा फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच चुके हैं। इनमें से कई देश-विदेश मे बेहतरीन जॉब कर रहे हैं। आरोपी डालचंद ने कोविड के दौरान 2020 में जॉब खो दी थी। इसके बाद पैसा कमाने के लिए वो इस धंधे में कूद गया। एक इंस्टिट्यूट भी खोल दिया। महावीर इसका दोस्त था, जो आसानी से पैसा कमाने के चक्कर में इससे जुड़ गया। दोनों ही 12वीं पास हैं।

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