नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर एक तरफ इं.डि.या. की मुंबई में बैठक हो रही है तो वहीं इस बैठक से ठीक पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस में बड़ा बदलाव करते हुए एक बार फिर अरविंदर सिंह लवली को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। अभी अनिल चौधरी के पास ये जिम्मेदारी थी। अनिल चौधरी की जगह अब अरविंदर सिंह लवली दिल्ली में पार्टी की कमान संभालेंगे।
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने पत्र जारी कर बताया कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तत्काल प्रभाव से अरविंदर सिंह लवली को दिल्ली कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है।
अरविंदर का जन्म पंजाब के लुधियाना में हुआ था। दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री गुरु तेग बहादुर खालसा कॉलेज में स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही अरविंदर सामाजिक कार्यों में सक्रीय रहते थे। पढ़ाई के दौरान अरविंदर कॉलेज के छात्रसंघ के लिए चुने गए। वह विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक संगठनों के साथ सक्रिय रूप से शामिल थे। अरविंदर दिल्ली स्थित भीमराव अंबेडकर कॉलेज के अध्यक्ष भी बने। पढ़ाई के दौरान ही राजनीतिक गतिविधियों में अरविंदर की गहरी दिलचस्पी जाग गई थी। उन्होंने 1992 से 1996 तक कांग्रेस की छात्र इकाई एएनयूआई के राष्ट्रीय महासचिव के रूप में काम किया। साल 1998 में पहली बार अरविंदर गांधीनगर से विधायक चुने गए। उस समय अरविंदर दिल्ली विधानसभा के सबसे कम उम्र के सदस्य थे।
शीला सरकार में 1998 से 2013 तक वह तीन बार विधायक रहने के साथ-साथ मंत्री पद भी संभाल चुके हैं। शीला दीक्षित के कार्यकाल के दौरान 2003 में अरविंदर को कैबिनेट में शामिल किया गया। शीला दीक्षित की कैबिनेट में शिक्षा मंत्री रहते हुए अरविंदर ने पब्लिक स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 20 प्रतिशत आरक्षण शुरू करने की पहल की थी। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली को देश का पहला ऐसा राज्य बनाने की पहल की जहां स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा प्रदान कराई जाती है।
पर्यटन मंत्री के रूप में उन्होंने दिल्ली को पर्यटन केंद्र बनाने के लिए कुतुब महोत्सव, भक्ति महोत्सव, अनन्या महोत्सव, शरद उत्सव, उद्यान पर्यटन महोत्सव और मैंगो महोत्सव जैसे कई पहल किए। साल 2017 में दिल्ली में नगर निगम चुनाव के वक्त अरविंदर सिंह लवली ने कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। हालांकि इसके करीब साल भर बाद ही वह भाजपा को छोड़कर वापस कांग्रेस में आ गए।
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