नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/ शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश को कोरोना से बचाने के लिए लाॅक डाउन तो कर दिया गया लेकिन लाॅक डाउन के अलावा भी कई ऐसे महत्वपूर्ण काम है जिन्हे करना बहुत ही आवश्यक है। तभी हम अपने आप को कोरोना के प्रकोप से पूर्ण से सुरक्षित कर पायेंगे। हालांकि सरकार लोगों के खाने-पीने का बखुबी प्रबंध कर रहा है और अधिकारी व पुलिस पूरी निष्ठा से इस काम को अंजाम दे रही है। लेकिन फिर भी गलियों व सड़कों को सेनेटाईज करने के साथ-साथ लोगों की जांच भी बहुत जरूरी है जिसपर कोई ध्यान नही दे रहा है। हम सब कुछ तो भगवान भरोसे नही छोड़ सकते।
कोरोना को लेकर चल रहा देशव्यापी बंद अपना असर तो दिखा रहा है। लेकिन लोग अभी भी इस बिमारी से इतने जागरूक नही है। एक तो लोगों में जागरूकता का अभाव और दूसरे प्रशासन द्वारा बरती जा रही लापरवाही भी देश को काफी मंहगी पड़ सकती है। लोग आज भी खुलेआम घूम रहे है। खाली पुलिस के डर व पुलिस की मौजूदगी से काम नही चलने वाला। हम हर जगह तो पुलिस तैनात नही कर सकते। जब तक लोग स्वयं इस बिमारी के प्रति जागरूक नही होंगे तब तक हमारे सारे प्रयास व्यर्थ ही साबित होंगे। लोगों का कहना है कि विदेशों में जिस तरह से कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है उस तरह से हमारे यहां कोई काम नही हो रहा है। लोग यह भी मान रहे है कि उनके यहां इतने संसाधन नही है। फिर भी अगर सरकार एक एरिये से काम शुरू करे तो सब कुछ सही हो सकता है। न तो लोगों की जांच का सरकार के पास कोई प्रबंध है और न ही सड़कों व गलियों को सेनेटाईज करने का अधिकारी काम कर रहे है फिर कैसे मान ले की कोरोना से हम खाली घर में रहकर पूरी तरह से सुरक्षित हैं। अब तो हालत यह होती जा रही है कि सेनेटाईजर व माॅस्क भी सरकार उपलब्ध कराने में नाकाम हो रही है। दूकानों पर खाली डेटाल भी नही मिल रहा। सरकार व प्रशासन का खत्म होते सामान की तरफ ध्यान ही नही है। आखिर एक गरीब परिवार कैसे इन चीजों का प्रबंध कर पायेगा। लोगों का कहना है कि सरकार को मास्क व सेनेटाईजर भी खाने के साथ-साथ लोगों तक पंहुचाने का इंतजाम करना चाहिए। अगर कालाबाजारी व सामान की उपलब्धता पर ध्यान नही दिया गया तो कहीं हालात ऐसे न हो जाये की लोग घरों में रहने की बजाये सड़कों पर उतर आये तो इसमें हम किस पर दोष मढ़ेंगे। दर असल हमारी मानसिकता भी जिम्मेदारी निभाने की बजाये एक-दूसरे पर दोष मढ़ने की ही रही है। हम सरकार से अपील करते है कि कोरोना से निपटने की इस लड़ाई में जो प्राथमिक उपचार है उन्हे तो सरकार व प्रशासन ईमानदारी तक लोगों तक पंहुचाये। ऐसा न हो की देर हो जाये और हम कमियां ही ढूढ़ते रह जाये। इसलिए अधिकारी खाने के सामान के साथ-साथ दूसरे जरूरी सामान व उपकरणों की कमी न होने दे। साथ ही साफ-सफाई से लेकर लोगों को जागरूक करने में भी कोई कोताही न बरती जाये। इतना ही नही देश हित में यदि सख्ती भी जरूरी है तो उसे भी किया जाये।
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