
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को कहा कि उन्होंने केंद्र को सुझाव दिया है कि दिल्ली के आसपास के 100 किलोमीटर के दायरे को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में रखा जाना चाहिए। राज्य सरकर द्वारा जारी बयान में खट्टर के हवाले से कहा गया है कि जब एनसीआर बना था तब दूर के जिलों के लोगों ने सोचा था कि इसमें उनका इलाका शामिल होने से बहुत लाभ होगा, लेकिन यह उनकी उम्मीदों के अनुरूप नहीं हुआ।
श्री खट्टर ने केंद्र को सुझाव दिया है कि 100 किलोमीटर तक के क्षेत्र को ही एनसीआर में रखा जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह बात करनाल में लोक शिकायत सुनते हुए कही। हरियाणा के 22 जिलों में से 14 जिले एनसीआर में आते हैं जिनमें 100 किलोमीटर के दायरे से दूर चरखी-दादरी, करनाल, जींद और भिवानी जैसे जिले भी शामिल हैं।
एक बातचीत के दौरान खट्टर को बताया गया कि एनसीआर में इन क्षेत्रों को शामिल करने से जो 100 किलोमीटर से अधिक दूर तक फैले हुए हैं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पर शहरीकरण के दबाव को कम करने के संदर्भ में किसी भी वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती, जबकि कुछ लोगों को लगता है कि विभिन्न प्रतिबंध जो एनसीआर पर लागू हैं, भिवानी या करनाल जैसी जगहों के लिए व्यावहारिक नहीं थे। एनसीआर जैसा कि अधिसूचित किया गया है, पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) -दिल्ली और हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ जिलों को कवर करता है, जो लगभग 55,083 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है।
करनाल में लगे ’जनता दरबार’ में खट्टर ने कहा कि पहले कोविड-19 महामारी के कारण जनसुनवाई कार्यक्रम रुके हुए थे, लेकिन उन्हें फिर से शुरू कर दिया गया है। शनिवार के कार्यक्रम के दौरान 700 से अधिक लोगों ने अपनी समस्याएं मुख्यमंत्री के सामने रखीं और इस मौके पर मौजूद अधिकारियों को उनमें से अधिकांश का समाधान करने के निर्देश दिए गए। इस जनता दरबार में करीब 20 से 25 ऐसे लोग भी थे जो करनाल के अलावा अन्य पड़ोसी जिलों से आए थे।
मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि अधिकांश शिकायतों का समाधान करनाल में ही कर दिया गया है, जबकि राज्य स्तर पर नीतिगत मामलों से संबंधित कुछ शिकायतों का निवारण चंडीगढ़ से किया जाएगा। खट्टर ने जिन शिकायतों को सुना उनमें शिक्षा, चिकित्सा, सड़क निर्माण और पुलिस जैसे विभिन्न विभागों से संबंधित शिकायतें शामिल थीं। बयान में कहा गया है कि उनमें से अधिकांश का मौके पर ही निवारण किया गया और अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए।
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