तो क्या राज खुलने के डर से हुई अतीक-अशरफ की हत्या,

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930  
November 9, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

तो क्या राज खुलने के डर से हुई अतीक-अशरफ की हत्या,

-कई सफेदपोशों का लिया था नाम

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/प्रयागराज/शिव कुमार यादव/- उमेश पाल हत्याकांड का राज उगलवाने के लिए चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिए गए माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शहर के बीच मंडलीय अस्पताल के गेट पर सुरक्षा घेरे में हत्या की वारदात ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस दुस्साहसिक दोहरे हत्याकांड के पीछे शक की सूई रसूखदार सफेदपोशों की ओर घूमने लगी है। एक दिन पहले ही धूमनगंज थाने में पूछताछ में माफिया ने कई बिल्डरों और बड़े लोगों से अपने रिश्तों का खुलासा किया था।
                    आशंका है कि राज खुलने के डर से माफिया और उसके भाई की जान ली जा सकती है। फिलहाल पुलिस इस पहलू पर पैनी नजर रखे हुए है। अतीक अहमद ने रिमांड के दौरान कई सनसनीखेज खुलासे किए और प्रयागराज समेत यूपी भर में अपनी काली कमाई के बल पर खड़े किए गए आर्थिक साम्राज्य में पार्टनर के तौर पर कई गणमान्यों के नाम गिनाए थे।
                    यह वो नाम हैं जिन्होंने अतीक के काले धन को अपनी कंपनियों में लगाया है। ऐसी दो सौ से अधिक सेल कंपनियों के बारे में पता चला था। रियल एस्टेट कारोबार में अतीक की कमाई खपाने वालों के अलावा कई सफेदपेशों तक आंच आने लगी थी। इस तरह के पचास से अधिक नामों का अतीक ने खुलासा किया था।
                   अपराध की दुनिया में दखल रखने वाले माफिया के कई राजनीतिक दलों के नेताओं से भी रिश्ते रहे हैं। अतीक राजनीतिक दलों को साधने में भी बखूबी माहिर था। यही वजह थी कि दो दशकों तक उसकी अंगुलियों पर सरकारें नाचती रहीं और आला पुलिस का अधिकारी उसके सियासी रसूख के आगे घुटने टेकते रहे।
 
102 आपराधिक मामले दर्ज
अतीक पर हत्या, अपहरण, वसूली, हमला और जमीन कब्जा समेत 102 आपराधिक मामले दर्ज थे। चार दशक पहले महज 17 वर्ष की उम्र में हत्या सरीखी वारदात को अंजाम प्रयागराज में सनसनी मचाने वाले अतीक ने अपराध की दुनिया में कदम रखा तो वह आगे बढ़ता ही गया। एक के बाद एक हत्या, अपहरण, जमीन पर कब्जा, हत्या के प्रयास सरीखी सौ से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले अतीक ने क्षेत्रीय दलों की सरकारों को अपनी अंगुलियों पर नचाया।
                      लेकिन, इसके पीछे जमीने हड़पना और बिल्डरों की कंपनियों में खपाना उसका सबसे बड़ा खेल रहा। योगी सरकार में उसके आर्थिक साम्राज्य पर लगातार चोट पड़ने और 12 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त किए जाने के बाद भी उसकी सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा था।


अतीक परिवार के लिए अशुभ रहा अप्रैल, सब कुछ हुआ खत्म
अतीक अहमद के परिवार के लिए अप्रैल का महीना अशुभ साबित हुआ। इसी महीने में अतीक का वर्चस्व छोड़िये सब कुछ खत्म हो गया। अतीक की हत्या के बाद अब उसके लिए कोई रोने वाला भी नहीं बचा। उसके दोनों बड़े बेटे जेल में है। तीसरे का एनकाउंटर हो गया। दोनों नाबालिग बेटे पुलिस की सुरक्षा में बाल सुधार गृह में हैं। पत्नी फरार है। अशरफ की पत्नी भी आरोपी होकर फरार हो गई थी। जो बहन पैरवी कर रही थी, वह भी फरार है।
                  24 फरवरी को जब उमेश पाल की हत्या हुई तो किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि दो महीने के अंदर ही अतीक का सर्वनाश हो जाएगा। फरवरी और मार्च को किसी तरह कट गया। अप्रैल में अतीक के अंत की शुरूआत हो गई थी। अप्रैल में भी 14 अप्रैल से लेकर 16 अप्रैल की रात तक सब कुछ खत्म हो गया। सबसे पहले अतीक के तीसरे नंबर के बेटे असद का पुलिस ने झांसी में एनकाउंटर कर दिया गया।
                  इसी दिन अतीक और उसके भाई की कस्टडी रिमांड पुलिस को मिल गई थी। 16 अप्रैल की सुबह असद को सुपुर्दे खाक किया गया लेकिन अतीक और उसके परिवार का कोई भी शख्स जनाजे में नहीं शामिल हो पाया। रात में अतीक और अशरफ की कालविन अस्पताल के कैंपस में हत्या कर दी गई। इससे पहले 28 मार्च को उमेश पाल अपहरणकांड में अतीक और उसके दो गुर्गों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
                    आज जब अतीक और अशरफ की हत्या हुई तो उसके लिए रोने वाला कोई नहीं दिखा। पत्नी शाइस्ता अभी भी फरार है। दोनों बड़े बेटे जेल में हैं। दोनों छोटो बेटे बाल सुधार गृह में है। अशरफ की पत्नी जैनब भी आरोपी होकर फरार है। अन्य रिश्तेदारों की भी हिम्मत नहीं पड़ रही थी कि अतीक के शव के पास आकर आंसू बहा दें।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox