नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/मुंबई/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना की दूसरी लहर ने देश में पूरी तरह से कोहराम मचा दिया है और अभी भी दूसरी लहर का प्रकोप जारी है हालांकि वैज्ञानिक अब देश में तीसरी लहर की संभावना जता रहे है और उसमे ंभी बच्चों को लेकर इसे काफी खतरनाक बताया जा रहा है। जिसके लिए कुछ राज्य सरकारें व केंद्र सरकार यह दावा कर रही है कि उन्होने तीसरी लहर से निपटने की रणनीति तैयार कर ली है। हालांकि दूसरी लहर में अब कोरोना के नये मामले तेजी से घटने लगे है जिसके चलते अब राज्य सरकारे लाॅकडाउन खोलने पर विचार करने लगी हैं। जबकि यह तय हो चुका है कि देश में तीसरी लहर अवश्यमभावी है। फिर भी राज्य सरकारों का यह निर्णय बच्चों के लिए आत्मघाती तो सिद्ध नही हो जायेगा जिसे लेकर अब देश की जनता नेताओं से सीघे सवाल कर यह पूछ रही है कि जिस देश में कोरोना से निपटने के लिए दवाओं की भारी कमी हो, वैक्सीन की कमी के चलते टीकाकरण बीच में ही रोकना पड़े, स्वास्थ्य सेवाओं व उपकरणों की कमी हो तो सरकार किस रणनीति पर यह फैसला ले रही है कि 1 जून से देश में अन लाॅकडाउन की प्रक्रिया को शुरू किया जायेगा।
देश में कोरोना की दूसरी लहर ने लाखों लोगों की जिंदगी को लील लिया है और मौत का सिलसिला अब भी जारी है। वही यह भी तय हो गया है कि देश में कोरोना की तीसरी लहर भी जल्द आयेगी फिर भी सरकारें देश को अनलाॅक करने पर विचार कर रही है। नेताओं की यही रणनीति अब देश की जनता को हजम नही हो रही है। लोगों की माने तो न तो के्रद्र सरकार और न ही राज्य सरकारों के पास कोरोना से निपटने की कोई कारगर रणनीति नही है। जब लोग धड़ाधड़ मरते है तो सरकारें लाॅकडाउन लगा देती है और जब कुछ सुधार होता है तो नई रणनीति बनाने की बजाये फिर अनलाॅक डाउन पर बात करनी शुरू कर देते है। आखिर देश में कोरोना से निपटने के लिए एक रणनीति सरकार क्यों नही बना रही है। जबकि सरकार को पहले से पता था कि देश में कोरोना की दूसरी लहर आयेगी तो सरकार ने व सरकारी तंत्र ने लोगों की सुरक्षा के उपाय क्यो नही किये। लोगों कहा कि अब भी सरकार वही गलती कर रही है लेकिन अब बात बच्चों पर आ गई है तो अब हम चुप नही रहेंगे और सरकार को देश में अस्पतालों की संख्या व उनमें उपकरण व दवाओं की व्यवस्था पहले से करनी होगी। देश में कोरोना व ब्लैक फंगस तक की दवायें मोजूद नही है और जो है उन पर कालाबाजारी हो रही है जिसकारण हजारों लोग दम तोड़ चुके है और सरकार व सरकारी तंत्र सिर्फ मूकदर्शक बन कर तमाशा देख रहा है। लोगों का कहना है कि सरकार दायित्व है लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना लेकिन यहां तो नेता कुछ और करते दिखाई दे रहे है उन्हे लोगों के जीवन से ज्यादा अपनी सत्ता की पड़ी है जिसके लिए वह लोगों की जिंदगी तक से खेल रहे है।
लोगों का कहना है कि जब तक यह सुनिश्चित नही हो जाता कि सरकार ने तीसरी लहर से निपटने के व्यापक प्रबंध कर लिये है तब तक लाॅकडाउन जारी रहना चाहिए। क्योंकि लाॅकडाउन से कोरोना पर काफी हद तक काबू पाया गया है। वर्ना तो सरकारें बेदम ही दिखाई दे रही थी। लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री बच्व्चों की सुरक्षा को लेकर सभी उपाय करवायें और देश में यह सुनिश्चित करें की सभी राज्यों में हर तरह की बिमारी की दवायें व्यापक रूप से उपलब्घ हो ताकि उनकी कालाबाजारी ना हो सके। साथ ही अस्पतालों की संख्या बढाई जाये। वैकर््सीनेशन अभियान पर जोर दिया जाये और इसे देश में जल्द पूरा करने के लिए वैक्सीन उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाये। लोगों ने तो यहां तक कहा कि प्राइवेट अस्पतालों मंे कोरोना का इलाज जब तक मुफ्त नही होगा तब तक लोग इस बिमारी लूट खसोट के शिकार बनते रहेंगे और जब यह बंद हो जायेगा तो बिमारी पर 50 प्रतिशत काबू अपने आप आ जायेगा। पीएम को अनलाॅक डाउन से पहले देश के नौनिहालों के बारे में एक बार फिर व्यापक रूप से सोचना चाहिए और उनके लिए दवाओं व वैक्ैसीन का पूरा प्रबंध करना चाहिए।
-न दवाईयां, न वैक्सीन न कारगर नीति और स्वास्थ्य सेवाओं की भारी कमी के बावजूद सरकार किस आधार पर कर रही दावा
-लोगों की राय प्राइवेट अस्पतालों में हो कोरोना का मुफ्त इलाज, तभी रूकेगी बिमारी
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