• DENTOTO
  • तमाम शहर में बेरोज़गार शायर हैं…

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 26, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    तमाम शहर में बेरोज़गार शायर हैं…

    -हापुड़ के विज्ञानी व्यंग्यकार महेश वर्मा के जन्मदिवस पर किया गया काव्य गोष्ठी का आयोजित

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/बहादुरगढ़/शिव कुमार यादव/- राजधानी की साहित्यिक संस्था नवल रश्मि के तत्वावधान में साहित्य उत्सव एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सुरभि सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता फरीदाबाद के मशहूर उर्दू शायर अब्दुल रहमान मंसूर ने की व मंच संचालन हिन्दी साहित्य संस्थान की संस्थापक विभा वैभवी ने किया।
                     हापुड़ के विज्ञानी व्यंग्यकार महेश वर्मा के जन्मदिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में दिल्ली, हरियाणा व उत्तर प्रदेश से पधारे अनेक कलमवीरों ने काव्य पाठ किया। मंचासीन कवियों दिलदार देहलवी, अंदाज़ अमरोही व राजेश खुशदिल सहित सभागार में उपस्थित रहे आरिफ़ देहलवी, अजय अज्ञात, रामअवतार बेरवा, जावेद अब्बासी, जगदीश मीणा, सैफ़ हैदर देहलवी, राजीव तनेजा, कृष्ण गोपाल विद्यार्थी, असलम बेताब, पंकज जैन, जयसिंह मान, प्रभात शर्मा, पंकज जौहरी के अलावा चर्चित कवयित्रियों कमला सिंह ज़ीनत, संगीता चौहान, निधि भार्गव, नीरा बख्शी, सीमा वत्स, अर्चना वर्मा, कामना मिश्रा, करिश्मा सोनी व अर्चना वर्मा आदि ने अपनी काव्य प्रतिभा के जौहर दिखाए। लगभग चार घंटे चले इस कार्यक्रम में प्रस्तुत ग़ज़लों व हास्य कविताओं को सर्वाधिक पसंद किया गया। इस अवसर पर संयोजक निधि भार्गव व महेश वर्मा के काव्य संग्रहों के लोकार्पण के अलावा सभी अतिथियों को सम्मानित भी किया गया।

    साहित्य उत्सव में प्रस्तुत कुछ रचनाओं की बानगी देखिए…

    अगर दुकान पर सौ फीसदी उधार चले,
    तुम्हीं बताओ भला कैसे कारोबार चले।
    तमाम शहर में बेरोज़गार शायर हैं,
    बुलावा एक का आया तो चार-चार चले।
              -अब्दुल रहमान मंसूर

    शादी से पहले हम भी थे जन्नत के बादशाह,
    बेगम मिली है शायरा,हम हो गए तबाह।
    कहती है हमसे प्यार की उम्मीद न करो,
    सुनकर हमारे शेर, कहो-वाह वाह वाह।
         -कृष्ण गोपाल विद्यार्थी

    ईनाम चाहतों का निराला दिया मुझे,
    रातें जलाईं और उजाला दिया मुझे।
           -संगीता चौहान

    मेरी आंखों को नए ख़्वाब दिखाने वाले,
    तू  कहां  है  मुझे  दीवाना बनाने  वाले।
    अब तो हर रात तेरी याद रुलाती है मुझे,
    मुझको इस दुख भरी दुनिया में हंसाने वाले।
         – सैफ हैदर देहलवी

    जब तक घर से बाहर है दिल खोल कर हँस ले,
    क्या पता घर जाते ही नागिन फिर डस ले प्
          – जय सिंह मान

    जब सबा ने ठान ली है,उस गली जाना नहीं,
    खिड़कियां घर की खुली फिर क्यों रखा करते हैं वो।
              -विभा वैभवी

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox