अयोध्या/शिव कुमार यादव/- अयोध्या में चलती ट्रेन में महिला सिपाही से बर्बरता करने वाले आरोपी अनीश को एसटीएफ ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया है। मुठभेड़ में दो और आरोपी भी पकड़े गए हैं जिन्हे एनकाउंटर के दौरान पैर में गोली लगी है। जबकि क्रास फायरिंग में एक दरोगा और दो सिपाही जख्मी हुए हैं। ये एनकाउंटर अयोध्या के पूराकलंदर के छतरिवा पारा कैल रोड पर हुआ।
शुक्रवार तड़के एसटीएफ को आरोपियों के बारे में इनपुट मिला कि वो इनायतनगर में छिपे हैं। एसटीएफ और अयोध्या पुलिस ने ज्वाइंट ऑपरेशन शुरू किया। इलाके की घेराबंदी करके सर्च शुरू किया। खुद को घिरता हुआ देख तीनों बदमाश अनीश, विशम्भर और आजाद ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में विशम्भर और आजाद घायल हो गए। दोनों के पैर में गोली लगी।
इसी दौरान अंधेरे का फायदा उठाकर अनीश वहां से बाइक से भाग निकला। एसटीएफ ने 40 किमी. दूर पूराकलंदर तक उसका पीछा किया। सड़क को पहले ही पुलिस ने सील कर दिया था। यहां पुलिस ने उसे घेरकर सरेंडर करने के लिए कहा। मगर, अनीश ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। जवाबी फायरिंग में पुलिस की गोली अनीश को लगी। घायल अनीश को पुलिस जिला अस्पताल अयोध्या लेकर पहुंची। वहां डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। एनकाउंटर में थानाध्यक्ष पूराकलंदर रतन शर्मा भी घायल हुए हैं। उनके हाथ में गोली लगी है। 2 अन्य सिपाहियों के भी जख्मी हालात में अस्पताल में एडमिट किया गया है।
अयोध्या एसएसपी राजकरन अययर ने बताया कि अनीश (30) पुत्र रियाज खान महिला कॉस्टेबल पर हमले का मुख्य आरोपी था। यह हैदरगंज के दशलावन का रहने वाला था। वहीं, आजाद भी इसी गांव का रहने वाला है। इसके अलावा, तीसरा आरोपी विशंभर दयाल सुल्तानपुर का रहने वाला है।
ट्रेन में खून से लथपथ मिली थी कॉन्स्टेबल, 23 दिन बाद भी भर्ती
31 अगस्त को महिला कांस्टेबल सरयू एक्सप्रेस ट्रेन में खून से लथपथ मिली थी। उनकी ड्यूटी अयोध्या के सावन मेले में लगी थी। महिला कांस्टेबल का वीडियो सामने आया था। इसमें वह सीट के नीचे थी। शरीर के निचले हिस्से में कपड़े नहीं थे। चेहरे पर चाकू से गहरे निशान थे। सिर पर फटा हुआ था। इतनी बेरहमी से हमला किया गया था कि मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी सहम गए थे।
वारदात के 23 दिन बाद भी महिला कांस्टेबल का लखनऊ के केजीएमयू में इलाज चल रहा है। इस पूरे मामले में पुलिस ने शुरुआत में लीपापोती की कोशिश की। हालांकि, बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था। इसके बाद वारदात की जांच STF को सौंपी गई। एसटीएफ ने 5 दिन पहले ही इस मामले में पब्लिक से सूचना मांगी थी। इसके अलावा, आरोपियों की जानकारी देने पर एक लाख का इनाम देने का ऐलान किया था।
पेशेवर चोर निकले महिला कांस्टेबल के हमलावर
पुलिस के मुताबिक, अनीश, आजाद और विशम्भर पेशेवर चोर हैं। चलती ट्रेनों में चोरियां करते हैं। 30 अगस्त की रात सरयू एक्सप्रेस में चोरी के इरादे से ही चढ़े थे। अयोध्या स्टेशन आने से पहले बोगी तकरीबन खाली हो चुकी थी। उस दौरान ये तीनों सीट पर बैठे मोबाइल पर ब्लू फिल्म देख रहे थे। सामने की सीट पर महिला कांस्टेबल बैठी थीं।
महिला कांस्टेबल उनके इरादे भांप चुकी थी। उसने अपनी सीट बदली, लेकिन बदमाश उसके पीछे दूसरी सीट पर भी आ गए। अयोध्या में पूरी तरह से बोगी खाली होने पर उन्होंने महिला के साथ जबरदस्ती करना शुरू किया। कांस्टेबल ने विरोध किया तो उसके चेहरे पर धारदार चीज से वार किए। सिर को खिड़की से टकराया। फिर भी कांस्टेबल लड़ती रही। हावी होने पर नाकाम होने पर महिला कांस्टेबल को बुरी तरह से मारा। इसके बाद कांस्टेबल बेसुध हो गई। जमीन पर गिर पड़ी। आरोपियों ने इसके बाद महिला कांस्टेबल के कपड़े उतार दिए। इस दौरान मनकापुर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन पहुंच गई। पकड़े जाने के डर से बदमाशों ने कांस्टेबल को सीट के नीचे ढकेल दिया। फिर मनकापुर स्टेशन पर ही उतर गए। मोबाइल भी स्वीच ऑफ कर लिया। पूरे घटना की जानकारी तब हुई जब ट्रेन वापस अयोध्या स्टेशन पहुंची।
मोबाइल नंबर से मिला एसटीएफ को हिंट
इस ब्लाइंड केस में पुलिस पर प्रेशर बढ़ता जा रहा था। हालांकि, कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगे। पुलिस ने दो संदिग्ध की तस्वीरें जारी की, लेकिन जांच में उनका इनवॉल्वमेंट नहीं मिला। इसके बाद पुलिस ने संदिग्धों के स्कैच बनवाए। इसी दौरान घटना की टाइमिंग के हिसाब से मनकापुर स्टेशन पर 3 मोबाइल नंबर एक साथ स्वीच ऑफ होने के बारे में पुलिस को पता चला। जोकि फिर बाद में खुले ही नहीं। इस आधार पर पुलिस मोबाइल का पीछा करते हुए इन बदमाशों तक पहुंची।
प्रयागराज के भदरी गांव की रहने वाली है महिला कांस्टेबल
महिला कांस्टेबल का घर प्रयागराज के भदरी गांव में है। वह 4 बहनों और 2 भाइयों में दूसरे नंबर की हैं। 1998 में जब वह 18 साल की हुईं, तो स्पोर्ट्स कोटे से यूपी पुलिस में कॉन्स्टेबल बन गईं। इसी साल की शुरुआत में प्रमोशन मिला और वह हेड कॉन्स्टेबल बन गई। इस वक्त वह सुल्तानपुर जिले में तैनात हैं। विभाग ने पिछले कुछ दिनों से उनकी ड्यूटी अयोध्या के सावन झूला मेला में लगाई थी।
हनुमागढ़ी जाने के लिए ट्रेन से उतरना था
30 अगस्त को सुमित्रा घर से ड्यूटी के लिए निकलीं। शाम करीब साढ़े 6 बजे फाफामऊ स्टेशन पहुंच गई। वहां सरयू एक्सप्रेस आई और वह जनरल डिब्बे की एक कोच में बैठ गईं। ट्रेन प्रतापगढ़ होते हुए सुल्तानपुर पहुंची। इसके बाद अयोध्या कैंट। यहां रात 11 बजकर 15 मिनट पर ट्रेन 5 मिनट के लिए रुकी। कांस्टेबल को यहीं उतर कर हनुमानगढ़ी जाना था, लेकिन वह नहीं उतरीं। ट्रेन 12 बजे अयोध्या जंक्शन पहुंची। यहां ट्रेन 2 मिनट के लिए रुकी। लगभग यात्री उतर गए, मगर सुमित्रा नहीं उतरीं। ट्रेन 12 बजकर 50 मिनट पर अपने आखिरी स्टेशन मनकापुर पहुंच गई।
जीआरपी सिपाहियों को मिली थी लहूलुहान
यहां ट्रेन करीब 2 घंटे रुकी। गाड़ी का इंजन बदला गया और ट्रेन 3 बजकर 5 मिनट पर दोबारा मनकापुर से अयोध्या के लिए चली। ट्रेन अयोध्या पहुंची, तो जीआरपी के सिपाही चढ़े। उन्होंने देखा कि एक सीट के नीचे सुमित्रा तड़प रही थीं। जीआरपी के सिपाही ने पहले वीडियो बनाया और फिर तुरंत अफसरों को सूचना दी। सुमित्रा के चेहरे पर चाकू के गंभीर कट थे। वर्दी पूरी तरह से खून से भीगी थी। उन्हें उतार कर पहले श्रीराम हॉस्पिटल ले गए। डॉक्टरों ने तुरंत ही मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। वहां शुरुआती इलाज हुआ और फिर लखनऊ ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया।
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