
नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद कांग्रेस ने भाजपा को घेरने की कोशिश की है। कांग्रेस ने जेपी नड्डा पर गंभीर आरोप भी लगाया है। वहीं यह संभावना भी व्यक्त की है कि उपराष्ट्रपति ने किसी के फोन के बाद ही अपना इस्तीफा दिया है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंगलवार (22 जुलाई) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूर कर लिया। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना पद छोड़ा है, लेकिन विपक्ष ने कुछ और ही आरोप लगाए हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता सुखदेव भगत ने कहा कि इस्तीफे की पटकथा पहले ही लिखी जा चुकी थी हालांकि असल बात कुछ और है। मीडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि धनखड़ को एक फोन कॉल आया था और इसके बाद जो हुआ, सभी ने देखा।

दरअसल विपक्ष जज यशवंत वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव लेकर आया है। जस्टिस वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। जब सोमवार को मॉनसून सत्र की शुरुआत हुई तो विपक्ष के सांसदों ने नोटिस पेश किया। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस नोटिस को स्वीकार कर लिया और सदन के महासचिव को आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा। रिपोर्ट के मुताबिक यह कदम केंद्र सरकार को ठीक नहीं लगा।
क्या केंद्र सरकार की तरफ से धनखड़ को किया गया फोन?
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि केंद्र सरकार ने उपराष्ट्रपति को फोन किया और इस मुद्दे को उठाया। उपराष्ट्रपति ने इसकी तीखी प्रतिक्रिया दी और बातचीत बहस में बदल गई. बहस के दौरान उपराष्ट्रपति ने अपने पद की शक्तियों का भी हवाला दिया। इस फोन कॉल के बाद, धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा शुरू हो गई। यह मात्र छह महीने बाद था, जब विपक्ष ने उपराष्ट्रपति के खिलाफ ऐसा ही एक प्रस्ताव लाया था। धनखड़ को इसका अंदाजा लग गया और उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया।
जब सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए हैं तैयार तो कहां आई दिक्कत
मॉनसून सत्र के पहले दिन सोमवार को लोकसभा में सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आई थी। इस दौरान सत्तापक्ष के 152 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ लाए गए महाभियोग के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। वहीं राज्यसभा में विपक्ष भी प्रस्ताव लेकर आया। इसमें 63 सांसदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का समर्थन किया। जस्टिस वर्मा को हटाने के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों तैयार हैं, लेकिन क्रेडिट को लेकर लड़ाई चल रही है। जिसे लेकर संभावना यह जताई जा रही है कि उपराष्ट्रपति की बलि चढ़ा दी गई।
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