’गैलेंटरी अवार्डी, शहीद एवं सेवानिवृत्त अर्धसैनिकों की लिस्ट देने से फोर्सेस डीजी का इंकार’, आरटीआई में खुलासा’

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 23, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

’गैलेंटरी अवार्डी, शहीद एवं सेवानिवृत्त अर्धसैनिकों की लिस्ट देने से फोर्सेस डीजी का इंकार’, आरटीआई में खुलासा’

-कॉनफैडरेसन ने सरकार की इस कार्यवाही को बताया शर्मनाक, बोले कैसे होगा अर्धसैनिकों का भला

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/भावना शर्मा/- केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत ’सीएपीएफ’ मुख्यालयों ने आरटीआई के तहत मांगी गई वीरता पदक अवार्डी, शहीद हुए जवान एवं सेवानिवृत्त अर्धसैनिकों की सूची देने से इनकार कर दिया है। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस मार्टियरस वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने उक्त सूचना के लिए गृह मंत्रालय में आरटीआई लगाई थी। सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी, आईटीबीपी और असम राइफल्स में से किसी भी बल मुख्यालयों ने सूचना नहीं दी है। तकरीबन सभी बलों ने आरटीआई के जवाब में कहा, सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अध्याय 6 के पैरा-24 (1) में निहित प्रावधानों के तहत भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों को छोड़कर अन्य किसी भी प्रकार की सूचना उपलब्ध नहीं कराई जा सकती।
                 सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, एसएसबी, आईटीबीपी और असम राइफल्स के मुख्यालयों से सूचना मांगी गई थी। उक्त सूचना के अंतर्गत राज्यवार वीरता प्राप्त पदक पुरस्कार विजेताओं की फोर्सवाइज सूची, शहीद हुए जवानों व विधवाओं की फोर्सवाइज सूची, सेवानिवृत्त हुए अर्धसैनिकों की फोर्सवाइज राज्यवार सूची, सड़क रेल हादसे में मारे गए सेवारत अर्थसैनिक बलों के जवानों की फोर्सवाइज राज्यवार सूची और सेवा दौरान आपसी शूटआउट में मरने व आत्महत्या करने वाले जवानों की फोर्सवाइज सूची, शामिल है। यह सूचना, जनवरी में मांगी गई थी।
                  महासचिव रणबीर सिंह ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कि फोर्सेस डीजी द्वारा आरटीआई एक्ट की धारा 24 को ढाल बनाया जिसके तहत मात्र दो मामले भ्रष्टाचार व मानव अधिकारों के मामलों को छोड़कर अन्य जानकारी देने के लिए महानिदेशालय बाध्य नहीं है। अब सवाल उठता है कि अर्धसैनिक बलों के कल्याण, पुनर्वास व अन्य भलाई संबंधित सुविधाओं के लिए जिस राज्य में अधिकारियों, मंत्रियों से मुलाकात कर मुद्दों पर चर्चा करते हैं तो सबसे पहले वहां की सरकारें सूची उपलब्ध कराने को कहते हैं ताकि पैरा मिलिट्री सेवानिवृत्त, मैडल आवार्डी, शहीद परिवारों को योजनाओं का फायदा मिल सके। हम केंद्रीय गृह मंत्रालय से कोई गोला बारूद, हथियारों, डिप्लायमैंट या फोर्सेस संबंधित गुप्त सूचना तो नहीं मांग रहे जिससे कि राष्ट्रीय संप्रभुता को खतरा पैदा हो। रणबीर सिंह आगे कहते हैं कि कॉनफैडरेसन के सफल प्रयासों से हरियाणा देश का पहला राज्य जहां अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड का गठन हुआ लेकिन दुख की बात की उपरोक्त बोर्ड के पास पैरामिलिट्री परिवारों की सूची ही उपलब्ध नहीं क्योंकि वहां नियुक्त कर्नल कप्तान सुबेदार सभी पदाधिकारी सेना से संबंधित है जिनका पैरामिलिट्री परिवारों के भलाई से कोई लेना देना नहीं, फिर कल्याण या पुनर्वास कैसे सम्भव होगा।
                  ज्ञातव्य रहे कि रणबीर सिंह द्वारा केंद्रीय गृह मंत्रालय के 100 दिनों की छुट्टी बारे में भी जानकारी मांगी गई थी कि सुरक्षा बलों में कितने जवानों ने 100 दिन सालाना छुट्टी दी गई जिसके एवज में धारा 24 को ढाल बनाकर जानकारी देने से मना कर दिया गया जबकि उपरोक्त मामले चाहे 100 दिन की छुट्टी का हो या शहीद परिवारों की लिस्ट मुहैया कराने या फिर रिटायर्ड कर्मियों व मैडल आवार्डी पुरस्कृत जवानों की जानकारी देने से संबंधित हो। स्पष्टतया ऐसे मामले मानवाधिकारों से जुड़े मामलों की श्रेणी में ही आते हैं। इससे तो यही जाहिर होता है कि फोर्सेस डीजी अपने सेवानिवृत्त, मैडल आवार्डी या शहीद परिवारों का कितना ख्याल व सम्मान करते हैं।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox