
मानसी शर्मा/- महांकुभ में करोड़ो की संख्या में श्रध्दालु आस्था की डुबकी लगाने लगातार आ रहे है। मान्यता है कि गंगा में डुबकी लगाने मात्र से मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है। यदि कोई व्यक्ति अपने मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए पूर्णिमा, गंगा दशहरा और अमावस्या आदि पर गंगा स्नान कर के सूर्य को अर्घ्य देता है तो उसकी इच्छा जरुर पूरी होती है।
मान्यता है कि महांकुभ के समय पवित्र नदी का जल अमृमय हो जाता है। अगर ऐसे में गंगा जल में कोई भी मनुष्य स्नान करता है तो उसके शरीर के साथ-साथ मन और आत्मा दोनो की शुद्धि होती है। बता दें, गंगा में स्नान के दौरान कुछ जरुरी नियमों का ध्यान रखना चाहिए। गंगा नदी में प्रवेश करने से पहले गंगा का दर्शन करने के बाद उन्हें हाथ जोड़कर प्रणाम करें। क्योंकि गंगा मैया पूजनीय मानी जाती है। गंगा में प्रवेश करने से पहले गंगाजल को हाथों में ले। अपने हाथों में लिए जल को अपने माथे पर लगाए उसके बाद स्नान शुरु करें।
बता दें, आपको गंगा में कम से कम 3, 5 या 7 बार डुबकी लगानी चाहिए। ऐसा करना न केवल शुभ माना जाता है बल्कि आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। स्नान करते समय मंत्रों का भी जप भी कर सकते हैं, जाप करने वाले श्रध्दालु को गंगा माता की असीम कृपा प्राप्त हो होती है।
महाकुंभ मेले में किसी भी समय स्नान कर सकते हैं। लेकिन कुंभ में गंगा स्नान करने के समय कभी भी किसी भी प्रकार के साबुन, शैम्पू आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। गंगा स्नान के दौरान साबुन का प्रयोग अशुभ माना जाता है। वहीं अगर कुंभ स्नान के सबसे शुभ समय की बात की जाए तो वो ब्रह्म मुहूर्त का समय माना जाता है। आमतौर पर प्रातः 4 बजे से लेकर 5 के बीच तक का समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान करना अमृपान के समान माना गया है। यदि कोई भी श्रध्दालु इस दौरान स्नान करता है तो उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते है। साथ ही उस व्यक्ति को मोक्ष की प्रप्ति होती है।
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