
मानसी शर्मा /- 5 दिसंबर को कृषि विज्ञान केन्द्र, उजवा में विश्व मृदा दिवस 2023 मनाया गया। वर्ष 2002 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉयल साइंस ने 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस’ के रूप में प्रस्तावित करने का प्रस्ताव दिया, ताकि मिट्टी के महत्व को प्राकृतिक प्रणाली के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में और मानव कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में मनाया जा सके। विश्व मृदा दिवस अभियान का उद्देश्य लोगों को मिट्टी से जोड़ना और हमारे जीवन में उनके महत्व के बारे में जागरूक करना है। इसलिए यह दिवस इस वर्ष 05 दिसम्बर को ”मिट्टी एवं जल : जीवन का आधार है” के संदेश कें रुप मनाया गया।

इस कार्यकम के आरम्भ में डॉ देवेन्द्र कुमार राणा, अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली ने भी उपस्थित किसान भाईयों का स्वागत किया साथ ही विश्व मृदा दिवस के महत्व एवं मनाने के बारे में अवगत करवाते हुए कहा कि मिट्टी पर हमारा अस्तित्व इसकी देखभाल पर निर्भर करता है, यह आपके भोजन की देखभाल करेगी, जिस ईंधन की आपको आवश्यकता होगी यदि हम इसका दूरपयोग करेगें तो मिट्टी ढह जाएगी और खत्म हो जाएगी, हम सबको अपने साथ ले जाएगी। डा. राणा ने मृदा की भौतिक एवं रासायनिक दशा को सुधारने के लिए प्राकृतिक खेती से जुड़ने के लिए आहवान किया एवं मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए फसल चक्र में दलहनी फसलों के समावेश की महत्ता व भोजन, चारा, ईंधन और फाइबर उत्पादन और पारिस्थितिक तंत्र और मानव कल्याण में मिट्टी के स्वास्थ्य के योगदान पर प्रकाश डाला।
इसी क्रम में कार्यकम के समन्वयक मृदा विशेषज्ञ श्री बृजेश यादव ने मृदा एवं जल के नमूने लेने के तरीके, उसका परीक्षण व रिपोर्ट के आधार पर खाद एवं उर्वरकों का प्रबन्धन कैसे करें विस्तार पूर्वक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किसानों को खेती में रसायनों एवं खाद उर्वरकों का कम उपयोग करना चाहिए क्योंकि मिट्टी के स्वास्थ्य में गिरावट को देश में कृषि उत्पादकता में ठहराव की तुलना में पोषक तत्वों के उपयोग की क्षमता में गिरावट के मुख्य कारणों में से एक माना जा रहा है यदि हमारी मिट्टी स्वस्थ होगी तो पानी और पोषक तत्वों के उचित प्रतिधारण सुनिश्चित करेगी, जड़ विकास को बढ़ावा देगी और बनाए रखेगी, मिट्टी के जीवांश पदार्थ की मात्रा को बढ़ायेगी एवं उचित प्रबंधन करेगी, मिट्टी के स्वास्थ्य की गिरावट रुकेगी एवं वातावरण व पर्यावरण प्रदूषण भी रुकेगा।

इसी क्रम में पशु पालन विशेषज्ञ डॉ. जे. पी. गौदारा ने पशु स्वास्थ्य पर अनावश्यक प्रयोग में लिए जाने वाले रसायनों के दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होनें कहा कि मानव व पशु के स्वास्थ्य के बिगड़ने का मूल कारण वास्तव में मिट्टी के खराब स्वास्थ्य होना ही है। केवल एक स्वस्थ मिट्टी ही हमें स्वस्थ्य जीवन, पौष्टिक उत्पाद एवं स्वस्थ पौधों की वृद्धि करने में मददगार हो सकती है।
इस कार्यक्रम के समापन के अवसर पर किसानों को 40 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण किया गया। इस अवसर पर दिल्ली क्षेत्र के लगभग 50 किसानों एवं महिला किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. रितु सिंह नें उपस्थित प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
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