बहादुरगढ़/शिव कुमार यादव/- अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा रविवार को ओमेक्स सिटी स्थित विविधा सांस्कृतिक केंद्र में काव्योत्सव का आयोजन किया गया जिसमें क्षेत्र के कई रचनाकारों ने भाग लिया। संस्था के जिला अध्यक्ष विरेन्द्र कौशिक द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में हरियाणा की जानी-मानी कवयित्री डॉ, मंजु दलाल व गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी के अलावा वेदप्रकाश फोन्दणी, मोहित कौशिक व अजय भारद्वाज ने भी काव्यपाठ किया।
अजय भारद्वाज की सरस्वती वंदना से शुरू हुए इस कार्यक्रम में हास्य व श्रंगार रस की प्रमुखता रही। विरेन्द्र कौशिक व कौशिक ने जहां हिंदी व हरियाणवी में कुछ हास्य रचनाएं प्रस्तुत कीं वहीं वेदप्रकाश फोन्दणी ने राम मंदिर पर आधारित अपनी रचना से सभी को मंत्रमुग्ध किया। डॉ.मंजु दलाल ने लघु कविताओं व गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने मुक्तकों के माध्यम से अपनी बात कही।
कार्यक्रम में प्रस्तुत कुछ कविताओं की बानगी देखिए…
सदा सनातन सदा पुरातन,
ये मेरा भारत बदल रहा है।
हैं छंट रहे काले-काले बादल,
अज्ञान-तम से निकल रहा है।
-वेद प्रकाश फोन्दणी
ज्यब भी सर्दी आवे सै।
बैरन कती नहीं नहावै सै।
मैके जाण की धमकी दे,
पर भेजे तै भी ना जावे से।
– विरेन्द्र कौशिक
हम कसम अपनी तोड़ सकते हैं।
अपने कदमों को मोड़ सकते हैं।
आप सा कोई न मिले जब तक,
आपको कैसे छोड़ सकते हैं?
– कृष्ण गोपाल विद्यार्थी
प्रेम का न कोई छोर,यह घटा घनघोर।बरसे अतिजोर,मन में उमंग।तन में तरंग,उठकर हर्षाए।चहुंओर एकखुमारी छाए।धक-धक धड़कन बढ़ती जाए।
– डॉ.मंजु दलाल
जो तुम्हे इतना आसान लग रहा है।
यही जुटाने में मेरा जी जान लग रहा है।
अपनी हैसियत से औक़ात बता रहा था जो कल,
आज मेरे रुतबे से परेशान लग रहा है।
– मोहित कौशिक
संसार चले पदचिन्हों पर,
कुछ ऐसी राह बनाएं हम।
शत्रु को रखें ठोकर पर ,
मित्रों को गले लगाएं हम
-अजय भारद्वाज
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