
ऐसा बहुधा प्रचलित है कि भगवान के बाद मनुष्य का जीवन डॉक्टरों के हाथों में है। मतलब चिकित्सा और अध्यात्म कहीं न कहीं परस्पर एक अटूट संबंध रखता है। अतः यह कहा जा सकता है कि डॉक्टर जहाँ मरीजों के शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं वहीं भगवान में आस्था और विश्वास होने के कारण व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत होता है।
राष्ट्रीय डॉक्टर दिवस पर 1 जुलाई को इस्कॉन द्वारका ने एक चिकित्सा और अध्यात्म विषय पर एक आध्यात्मिक चर्चा का आयोजन किया है। मंदिर प्रांगण स्थित गोविंदा रेस्तराँ में शाम 4. 30 बजे चिकित्सा एवं अध्यात्म क्षेत्र से जुड़े देश के कई दिग्गज डॉक्टर्स व पिक्चर्स इस मंच पर एकत्रित होकर विषय से संबंधित व्याख्यान देंगे। इससे पहले सभी डॉक्टर्स मिलकर श्री श्री रुक्मिणी द्वारकाधीश को पुष्प अर्पित करेंगे और तत्पश्चात व्याख्यान आरंभ करेंगे।
इनमें से नियोज हेल्थ के पूर्व कार्यकारी निदेशक, एमडी मेडिसिन श्री गौर प्रभु, वरिष्ठ सलाहकार एवं वक्ता प्रशांत मुकुंद प्रभु, ईएसआई हॉस्पिटल फरीदाबाद के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रास शेखर प्रभु एवं एमडी मेडिसिन डॉ. मधुकांत प्रभुजी का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसके अतिरिक्त दिल्ली व आसपास के निजी एवं सरकारी अस्पतालों जैसे— तिहाड़ जेल, सफदरजंग, जीबी पंत, दीनदयाल उपाध्याय, इंदिरा गांधी, वेंकटेश्वर, आकाश, मणिपाल, दीनदयाल हॉस्पिटल के 50 से भी अधिक डॉक्टर्स इस मंच पर एकत्रित होंगे।
उपरोक्त सभी डॉक्टर्स भक्त समाज में किसी न किसी के लिए आदर्श स्थापित करते हैं लेकिन इस्कॉन के संस्थापक श्रील प्रभुपाद का मानना है कि, एक भक्त डॉक्टर ही एक आदर्श डॉक्टर है, क्योंकि वह न केवल शरीर के लिए दवा देता है, बल्कि वह रोगी की सोई हुई कृष्ण चेतना को जागृत करने का प्रयास करता है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से समाज में इनका योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस्कॉन द्वारका इनको और इनके मरीजों की उपचार प्रक्रिया को अध्यात्म से जोड़ना चाहता है। श्रीमद्भागवत गीता में भी यहा कहा गया है कि अगर आध्यात्मिक रूप से भी मरीजों का इलाज करें तो और अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं। भक्त समाज से जुड़े डॉक्टर्स इसके लिए पहले से ही काम कर रहे हैं लेकिन व्यापक रूप से लोगों को जागृत करने के लिए इस्कॉन ने यह आध्यात्मिक पहल की है।
इस्कॉन द्वारका के उपाध्यक्ष श्री गौर प्रभु का कहना है कि हमारा प्रयास है कि स्वस्थ और आध्यात्मिक समाज की स्थापना के लिए हर महीने इस तरह का आयोजन किया जाए। इससे रोगी केवल शरीर से ही स्वस्थ नहीं होगा, बल्कि तन, मन और आत्मा के स्तर पर भी स्वस्थ होगा। उसे अपने जीवन का उद्देश्य समझ में आएगा। यह आध्यात्मिक आनंद भौतिक स्तर के आनंद से कहीं अधिक लाभकारी होगा।
इस पृथ्वी के हर एक जीव की रक्षा की कामना करते हुए इस अवसर पर केक कटिंग सेरेमनी का भी आयोजन किया गया है और उपस्थित सभी लोगों के लिए कृष्ण प्रसाद की व्यवस्था की गई है।
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