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    इतिहास में पहली बार शीतकालीन चारधाम यात्रा आरंभ

    -ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद करेंगे 7 दिवसीय यात्रा का नेतृत्व -यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर हरिद्वार में ही होगी समाप्त, साल भर चार धाम यात्रा जारी रहने का दिया जायेगा संदेश

    हरिद्वार/शिव कुमार यादव/ – इतिहास की पहली शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत बुधवार से हरिद्वार से शुरू हो गई। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नेतृत्व में 27 दिसंबर, बुधवार से उत्तराखंड स्थित चार धामों की यात्रा की जा रही है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद वो करने जा रहे हैं, जो देश के इतिहास में आज तक नहीं हुआ है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सुबह 8 बजे हरिद्वार से शीतकालीन चारधाम यात्रा पर रवाना हो गए। यात्रा 2 जनवरी तक चलेगी।
     

    शीतकालीन चारधाम यात्रा क्यों
    स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि चार धाम यात्रा साल भर होना चाहिए। बर्फबारी और ठंड के कारण कुछ माह के लिए यात्रा बंद रहती है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि वे खुद यात्रा पर जाएंगे और देखेंगे कि किस तरह की समस्याएं आती हैं। इससे देशभर के लोगों में संदेश जाएगा और वे 12 माह चार धाम यात्रा पर जाने के लिए प्रेरित होंगे।
              शीतकालीन चार धाम यात्रा 27 दिसंबर से प्रारंभ होकर 2 जनवरी तक चलेगी। यात्रा का समापन हरिद्वार में होगा।
    -27 दिसंबर को सुबह 8 बजे हरिद्वार से यात्रा शुरू होने के बाद चारधाम यात्रा परंपरा के अनुसार सबसे पहले यमुना जी की शीतकालीन पूजा के लिए खरसाली गांव में यमुना मंदिर में पहला पड़ाव होगा।
    -28 दिसंबर को यात्रा आगे बढ़ेगी और उत्तरकाशी के रास्ते 29 दिसंबर को हर्षिल में गंगा जी की शीतकालीन पूजा स्थल मुखवा गांव पहुंचेगी।
    -30 दिसंबर को उत्तरकाशी विश्वनाथ के दर्शन होंगे। यहां से केदारनाथ के शीतकालीन पूजा स्थल ओंकारेश्वर का मार्ग तय किया जाएगा।
    -अगले दिन यानी 31 जनवरी को यात्रा बद्रीनाथ के शीतकालीन पूजा स्थल जोशीमठ पहुंचेगी। इस तरह चारधाम यात्रा पूरी करने के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और उनके अनुयायी 2 जनवरी को हरिद्वार पहुंच जाएंगे।

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