
नई दिल्ली/- श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि।” से 18 दिसंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस पर राम-जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) और आरजेएस पॉजिटिव मीडिया का 296वां कार्यक्रम संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संयोजन और संचालक में लंदन, नेपाल सहित अन्य राज्यों से जुड़े लोगों के सार्थक संवाद के साथ संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम का आयोजन माता रामरती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला एवं कृषक पर्यटन स्थल, कान्धरपुर, गाज़ीपुर उत्तर प्रदेश के संस्थापक राजेन्द्र सिंह कुशवाहा के सहयोग से किया गया।
राजेन्द्र सिंह कुशवाहा ने कहा कि प्रवासी माह में आरजेएस पीबीएच ने विश्व पटल पर दस्तक दे दी है। उन्होंने बताया कि 15 जनवरी 2025 को दिल्ली में सकारात्मक प्रवासी भारत-उदय सम्मान और ग्रंथ 04 के लोकार्पण की जोरदार तैयारियां शुरू हो गई हैं।
कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि और वक्ताओं का योगदान
अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी दिवस मनाने के लिए यू.के. में नॉटिंघम आर्ट काउंसिल की निदेशक और काव्य रंग की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. जय वर्मा, नेपाल में अंतर्राष्ट्रीय नेपाली समाज भाषा समिति के डॉ. प्रमोद पांडे हेरम्ब, लंदन से एन.आर.आई. दिव्या मौर्य सहित अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता नीति विशेषज्ञ प्रोफेसर बिजाॅन कुमार मिश्रा, आईटीपीओ की पूर्व प्रबंधक स्वीटी पॉल और अन्य राज्यों से प्रतिनिधि शामिल हुए। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रवासी समुदाय के योगदान को पहचानने, उनका सम्मान करने और भेदभाव रहित सकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने पर केंद्रित था।
मुख्य अतिथि डॉ. जय वर्मा का संबोधन
मुख्य अतिथि डॉ. जय वर्मा ने ब्रिटिश भारतीय प्रवासी समुदाय के इतिहास और योगदान को बताया। उन्होंने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की तारीफ की और भारतीय समुदाय को अनुशासनबद्ध दिनचर्या अपनाने की सलाह दी। उन्होंने पुस्तकालयों और बालिकाओं की शिक्षा पर जोर दिया।
प्रोफेसर बिजाॅन कुमार मिश्रा का प्रेरणादायक संदेश
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रोफेसर बिजाॅन कुमार मिश्रा ने कहा कि भारतीय संस्कृति और पारंपरिक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों का महत्व बढ़ा है और विदेशों में इन मूल्यों को बढ़ावा देने में भारतीय प्रवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने सकारात्मक संसार के लिए सभी भाषाओं और ब्रेल लिपि में सकारात्मक संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया।
प्रवासी सम्मान समारोह और 15 जनवरी का आयोजन
आरजेएस पीबीएच के एडवाइजर प्रोफेसर मिश्रा ने प्रवासियों के योगदान और सम्मान के लिए उन्हें 15 जनवरी को नई दिल्ली में आमंत्रित किया। अतिथि वक्ता दिव्या मौर्या ने बताया कि लंदन में सरकार प्रवासियों के हितों की देखरेख करती है और हुनरमंद लोगों का सम्मान किया जाता है।
प्रवासी साहित्यकारों का योगदान
वीरगंज, नेपाल के साहित्यकार डॉ. प्रमोद पांडे हेरम्ब ने भारतीय संगीत के सुर-ताल में अंग्रेजी कविता सुनाकर सबका मन मोह लिया। उनकी हिंदी कविता “बांधव रहते देश में स्वयं रहे परदेश, अपनों के अंत्येष्टि का मिले मात्र संदेश” ने प्रवासियों के दर्द को बयां किया।
स्वीटी पॉल का योगदान
आरजेएस पीबीएच अंतर्राष्ट्रीय स्वागत समिति की सदस्य स्वीटी पॉल ने जीवन और मानवीय मूल्यों को समाज में स्थापित करने पर जोर दिया ताकि नई पीढ़ी को संस्कारवान बनाया जा सके।
कार्यक्रम में शामिल होने वाले प्रमुख व्यक्ति
कार्यक्रम में सुरजीत सिंह दीदेवार, सुदीप साहू, बिन्दा मन्ना, मयंक, दुर्गा दास आजाद, जनहित विकास समिति, डा. नरेंद्र टटेसर और आकांक्षा सहित कई प्रमुख व्यक्तित्वों ने हिस्सा लिया।
आगे की योजनाएं
19 दिसंबर को आरजेएस पीबीएच द्वारा विश्व ध्यान दिवस और काकोरी केस के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए सह-आयोजक बीडीएसएल महिला कॉलेज जमशेदपुर की प्राचार्या द्वारा वेबिनार आयोजित किया जाएगा।
यह कार्यक्रम प्रवासी भारतीयों के योगदान को पहचानने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के उद्देश्य से आयोजित किया गया, जिससे सभी के बीच एकजुटता और समृद्धि की भावना उत्पन्न हो।
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