आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया विश्वविद्यालयों में वर्कशॉप के‌‌ लिए एमओयू करे- प्रो.के.जी.सुरेश.

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आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया विश्वविद्यालयों में वर्कशॉप के‌‌ लिए एमओयू करे- प्रो.के.जी.सुरेश.

-जहां गलत है, वहां सवाल खड़े करना ही पत्रकारिता है- ओंकारेश्वर पाण्डेय -'सकारात्मक दशक में पत्रकारिता' का खाका तैयार ,आरजेसियंस ने गांधी और हिक्की को श्रद्धांजलि दी

नई दिल्ली/उदय कुमार मन्ना/- सकारात्मक दशक में आरजेएस पॉजिटिव मीडिया और राम जानकी संस्थान पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच),नई दिल्ली के संस्थापक व राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना द्वारा 29 जनवरी, 2025 को आयोजित एक दूरदर्शी संगोष्ठी में “सकारात्मक दशक में पत्रकारिता” का एक खाका तैयार किया गया ।इस अवसर पर महात्मा गांधी की पुण्यतिथि और भारतीय समाचार पत्र दिवस पर जेम्स ऑगस्ट हिक्की को श्रद्धांजलि दी गई। ऑनलाइन संगोष्ठी में सह-आयोजक माता रामरती देवी मंदिर कृषक प्रयोगशाला एवम् कृषक पर्यटन स्थल के संस्थापक राजेन्द्र सिंह कुशवाहा ने कहा कि जेम्स ऑगस्टस हिक्की ने 1780 में हिक्कीज बंगाल गजट समाचार पत्र प्रकाशित कर “निडर अभिव्यक्ति” की और औपनिवेशिक बाधाओं के प्रति प्रतिरोध किया।

अतिथि संपादक श्री कुशवाहा ने कहा कि निरंतर प्रकाशित आरजेएस पीबीएच का मंथली न्यूज लेटर व ग्रंथ (पुस्तक) तथा यूट्यूब पर लाईव प्रसारण सकारात्मक पत्रकारिता का अनुपम उदाहरण और दस्तावेजीकरण हैं। इस अवसर पर मुख्य अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर डॉ के.जी.सुरेश ने आरजेएस पीबीएच के पाॅजिटिव मीडिया न्यूज लेटर का लोकार्पण किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने कहा कि आरजेएस पाॅजिटिव मीडिया विश्वविद्यालयों में वर्कशॉप के‌‌ लिए एमओयू करे। उन्होंने कहा कि “सकारात्मक पत्रकारिता किसी विशेष सरकार के लिए जनसंपर्क नहीं है।” उन्होंने इसे “एक विचार, एक दृष्टि” के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि “आलोचना में भी सकारात्मकता होती है . मीडिया की नीयत सुधार की इच्छा से प्रेरित होनी चाहिए।

मुख्य वक्ता प्रख्यात पत्रकार व राष्ट्रीय सहारा के पूर्व संपादक ओंकारेश्वर पांडे ने “सकारात्मक पत्रकारिता” के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान किया, इसे सरल लेकिन शक्तिशाली ढंग से “सच बोलना” के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने इस परिभाषा को प्राचीन ज्ञान और ऐतिहासिक संघर्ष दोनों में स्थापित किया। “सत्यम वद धर्मं चर” जैसे शास्त्रों और हिक्की के साहसी उदाहरण का हवाला दिया। उन्होंने पत्रकारिता के मूल मूल्यों पर लौटने का आग्रह करते हुए पूछा, “आज हम लोगों ने सवाल पूछना बंद कर दिया है और सवाल किससे पूछा जाता है ,जिसके पास सत्ता होती है, जिसके पास पावर होता है । वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र भंडारी ने कहा कि लोग सकारात्मक चीजें देखना चाहते हैं। उन्होंने पत्रकारों के बीच सकारात्मक खबरें साझा करने के लिए व्हाट्सएप समूहों का उपयोग करने की अपनी पहल का ज़िक्र किया।

आरजेएस पीबीएच के संस्थापक उदय कुमार मन्ना ने सकारात्मक दशक में “सकारात्मक मीडिया एड्रेस सिस्टम” तथा प्रवासी और आंतरिक प्रवासी भारतीय समुदायों और नई पीढ़ियों के साथ जुड़ने की पहल की रूपरेखा प्रस्तुत की। उन्होंने रविवार 2 जनवरी को सुबह 11 बजे से साधक ओमप्रकाश के जीवन रक्षक विद्या प्रश्नोत्तरी और केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया का वेबिनार दो सत्रों में करने की घोषणा की। आरजेएस पीबीएच के राष्ट्रीय ऑब्जर्वर दीप माथुर ने सकारात्मक पहलों के व्यापक मीडिया कवरेज और मीडिया विश्वविद्यालयों व संगठनों तक पहुंच का आह्वान किया। कवि अशोक कुमार मलिक ने पाॅजिटिव मीडिया के भविष्य को उज्जवल और विश्व के लिए आवश्यक बताया। स्वीटी पॉल ने आरजेएस की एकता और सामूहिक प्रयास के महत्व को दोहराया। इस अवसर पर ओमप्रकाश , बिन्दा मन्ना, सुदीप साहू, इशहाक खान,सोनू कुमार, मयंक, राकेश भगत,दीपा माथुर और आकांक्षा आदि भी उपस्थित रहे।

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