आईपीएस को फोंर्सेज का डीजी बनाने का कॉनफैडरेसन ने किया कड़ा विरोध

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आईपीएस को फोंर्सेज का डीजी बनाने का कॉनफैडरेसन ने किया कड़ा विरोध

-कहा-आईपीएस अधिकारियों को अर्धसैनिक बलो पर जबरदस्ती थोपा जाना उचित नही

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- आईपीएस अधिकारियों को फोर्सेज का डीजी बनाने को लेकर कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन ने अपना कड़ा विरोध जताया है। एसोसिएशन का मानना है कि आईपीएस अधिकारियों को अर्धसैनिक बलों पर जबरदस्त्ी थोपा जाना उचित नही है। सरकार के इस रवैये से अर्धसैनिकों का भला होने वाला नही है बल्कि जबरदस्ती थोपे गये डीजी अर्धसैनिकों की समस्या को सुलझाने में कोई भूमिका नही निभाते हैं। वहीं कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री एच.आर.सिंह रिटायर्ड एडिशनल डीजी की रहनुमाई में कर्नाटक राज्य में अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड के गठन, शहीद परिवारों को सहायता सम्मान राशि में बढ़ोतरी व बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वास्ते महामहिम राज्यपाल श्री थावरचंद गहलोत को राजभवन में विस्तार से चर्चा कर ज्ञापन सौंपा। उम्मीद कि महामहिम राज्यपाल जी से भेंट के बाद निकट भविष्य में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।


                        महासचिव रणबीर सिंह ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा सरहदों के वास्तविक चौकीदारों को पुरानी पैंशन से वंचित रखना देश का दुर्भाग्य कहलायेगा जिसकी वजह आईपीएस अधिकारियों का जबरदस्ती अर्धसैनिक बलों के डीजी पदों पर थोंपा जाना जिनका पैरामिलिट्री जवानों के वेलफेयर से कोई लेना देना नहीं है। किसी फोर्सेस डीजी ने आज तक 2004 मे जवानों की बंद पैंशन का विरोध नहीं किया। पिछले 5 सालों से सीपीसी कैंटीन जीएसटी के चलते बाजार भाव पर आ गई क्या किसी फोर्सेस डीजी ने गृहमंत्री या वित्तमंत्री को जीएसटी छूट को लेकर रोष व्यक्त किया।
                        रिटायर्ड एडीजी एचआर सिंह ने सवाल किया कि क्या पैरामिलिट्री फोर्सेस बिना झंडे के है तो फिर क्यों नहीं गृह मंत्रालय 20 लाख पैरामिलिट्री परिवारों के लिए अर्धसेनिक झण्डा दिवस कोष की स्थापना करते। गृह मंत्रालय के अधीन भलाई  के नाम पर बने पुनर्वास एवं कल्याण बोर्ड (वार्ब)का पुर्व अर्धसैनिकों के साथ स्पष्ट रूप से छलावा सा लगता है। बेहतर होता कि सरदार पटेल की मूर्ति के बजाय पैरामिलिट्री चौकीदारों के बच्चों के लिए अर्धसेनिक स्कूल व कॉलेज खोले जाते ताकि शहीद परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर मिलते।
                       माननीय गृह मंत्री जी का 100 दिन वाला फार्मूला अब जुमला साबित हो रहा है आए दिन जवान कम छुट्टियों के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। जानकारी हेतु सीआईएसएफ में जवानों को मात्र 30 दिन सालाना अवकाश मिलता है तो ये 100 दिन परिवारों के साथ रहने वाला फार्मूला बेमानी लगता है।
                      तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर महामहिम राष्ट्रपति जी से पुर्व अर्धसैनिकों की 3 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में मुलाकात के बाद भी सकारात्मक परिणाम नजर नहीं आ रहे तो अर्धसैनिक फरियाद लेकर जाएं कहां। उम्मीद कि इस बार जब बॉर्डर पर माननीय प्रधानमंत्री जी दिवाली मनाने जाएंगे तो इस पावन मौके पर सरहदी चौकीदारों के लिए भी बौन्नजा घोषित करेंगे। सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर के नेतृत्व में पुर्व अर्धसैनिक बलों के प्रतिनिधि मंडल को केंद्रीय गृह मंत्री जी द्वारा मुलाकात हेतु समय देने के बावजूद ना मिलना यह सरहदी चौकीदारों का घोर अपमान है।
                      कॉनफैडरेसन महासचिव रणबीर सिंह ने अर्धसैनिक कल्याण बोर्ड के गठन एवं बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं वास्ते कर्नाटका में सीजीएचएस डिस्पेंसरियों के विस्तार व पैनल अस्पताल नामांकित किए जाने हेतु महामहिम राज्यपाल से गुजारिश की। केंद्रीय व राज्यों सरकारों द्वारा अर्धसेनिक बलों के प्रति  किए जा रहे सौतेले व्यवहार व घोर उपेक्षा के खिलाफ 14 फरवरी राजघाट पर धरना प्रदर्शन करेंगे जिसमें कर्नाटक व अन्य राज्यों से हजारों पुर्व अर्धसैनिक बलों के जवान व पुलवामा में शहीद हुए परिवार भाग लेंगे।

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