नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/ब्यूरो/- अरूणाचल की सीमा से लगते सुबनसीरी क्षेत्र में चीन द्वारा बसाया गया एक गांव आजकल सुर्खियों में बना हुआ है। हाल ही में अमेंरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने इस मामले का खुलासा किया है। पेंटागन ने जिस गांव का भारतीय सीमा के पास बसाये जाने का उल्लेख किया है उसपर जवाब देते हुए भारतीय सुरक्षा विभाग का कहना है कि यह गांव एलएसी के पास बसाया गया है जो चीन के कब्जे वाले क्षेत्र में है। हालांकि चीन ने 1959 में भारतीय सीमा में घुसपैठ कर असम राईफल्स की चौकी पर कब्जा जमा लिया था और काफी समय तक चीन की पीएलए की यहां चौकी भी रही और अब चीन ने यहां गांव बसा दिया है। इस घटना को लोंगजू घटना के नाम से भी जाना जाता है।
हाल ही में पेंटागन ने अपनी रिपोर्ट में इस गांव का उल्लेख किया था। जिसमे कहा गया था कि चीन कब्जाये गये क्षेत्र में गांव बसा रहा है। जबकि अभी तक भारत-चीन सीमा पूरी तरह से तय नही हुई है। हालांकि कुछ रिपोर्टों में इसे चीन की दादागिरी भी बताई गई है। लेकिन भारतीय सुरक्षा विभाग के अधिकारियों की माने तो गांव का निर्माण चीन ने उस इलाके में किया है, जिस पर 1959 में चीनी सेना ने घुसपैठ कर कब्जा कर लिया था। 1959 में चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के सीमांत क्षेत्र में एक घुसपैठ की कार्यवाही के तहत असम राइफल्स की चौकी पर हमले के बाद कब्जा कर लिया था। इसे लोंगजू घटना के तौर पर जाना जाता है। इसके बाद ही चीन ने इस इलाके में गांव बसाया। न्यूज एजेंसी के मुताबिक ऊपरी सुबनसिरी जिले में विवादित सीमा के साथ लगता गांव चीन के नियंत्रण वाले क्षेत्र में है। उसने लंबे समय से उस क्षेत्र में सेना की एक चौकी बना रखी है और यह निर्माण अचानक नहीं हुआ है। चीन लंबे समय से यह कर रहा है। हालांकि भारत समय-समय पर इस तरह की कार्यवाही पर चीन के साथ अपना विरोध दर्ज करता रहा है।
-पेंटागन ने किया खुलासा
-1959 में असम राइफल्स की चौकी पर अटैक कर पीएलए ने किया था कब्जा
More Stories
नजफगढ़ में हादसाः तुड़े की ट्रॉली के नीचे दबकर एमसीडी कर्मी की मौत
जानलेवा हुई दिचाऊं गांव की सड़कें, पार्षद नीलम कृष्ण पहलवान ने विधायक पर लगाये उपेक्षा के आरोप
पंजाब सरकार ने बिजली पर सब्सिडी वापस ली, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी
शिमला में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर विवाद बढ़ा
सिक्किम में भारतीय सेना का वाहन खाई में गिरा, चार जवानों की मौत
केंद्र और राज्य सरकार की राजनीतिक लड़ाई के बीच दिल्ली में लापरवाह अधिकारियों की राजधानी