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    “हनुमान जन्मोत्सव विशेष: रामदूत की महिमा”

    रुद्रावतार रामदूत भक्त रूपी भगवान की महिमा भला किसे ज्ञात नहीं है। कलयुग में हनुमानजी प्रत्यक्ष विराजमान देव है। साधक की मनोवाँछित इच्छा की पूर्ति करने में हनुमानजी सक्षम है। अपनी भक्ति की उत्कृष्टता के कारण ही वे श्रीराम के प्रिय हो गए। अंजनीसुत गुण, ज्ञान, बुद्धि के स्वामी है। राम नाम श्रवण प्रिय हनुमानजी सदैव श्रीराम की भक्ति में लीन रहते है। श्रीराम के विजयपथ को हनुमानजी ने शीघ्रता प्रदान की।  रुद्रावतार महादेव के समान ही श्रीराम की आराधना को जीवन का ध्येय मानते है।
    
    हनुमान प्राकट्य दिवस के दिन बजरंगबली की उपासना एवं आराधना का विशेष महत्त्व है। हम सभी को हनुमान चालीसा की श्रेष्ठता एवं प्रभावशीलता का ज्ञान है कि किस तरह हनुमान चालीसा व्यक्ति के जीवन में अनूठे परिवर्तन ला सकती है। अतः प्रयास करें की समय अनुरूप हनुमान चालीसा का वाचन एवं श्रवण अवश्य करें।  हनुमानजी की अन्य आराधना भी अत्यंत प्रभावी मानी गई है। साधक अपनी मनोकामना के अनुरूप हनुमानजी की कोई भी साधना कर सकता है, क्योंकि रामदूत की आराधना से साधक में अदम्य साहस, उत्साह, उमंग एवं ऊर्जा का संचार होता है। ध्यान की उत्कृष्टता से हनुमानजी भलीं-भाँति परिचित है, इसलिए वे सदैव नश्वर संसार से विरक्ति कर जीवन को रामभक्ति के लिए समर्पित करते है।
    
    हनुमानजी अति सूक्ष्म एवं विशाल रूप दोनों ही धारण कर सकते है। रामायण में परिस्थिति के अनुसार उन्होंने अपना रूप परिवर्तित किया और प्रभु श्रीराम के कार्यों की सम्पन्नता की। हनुमानजी का आविर्भाव त्रेतायुग में हुआ था। बालरूप में ही हनुमानजी ने चमत्कार दिखाना शुरू कर दिया था। यदि साधक अगाध श्रृद्धा और विश्वास से रामदूत की निरंतर आराधना करता रहें तो उसे अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव दृष्टिगोचर होगें। हमारे धर्मग्रंथों में हनुमानजी को कलयुग का देवता कहा गया है। हनुमानजी को अजरता एवं अमरता का वरदान प्राप्त है। माता जानकी ने तो उन्हें अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता होने का वरदान प्रदान किया था। तुलसीदासजी ने भी हनुमंत कृपा से ही प्रभु श्रीराम के दर्शन किए थे। हनुमानजी की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह भी है कि वे सदैव राम कथा श्रवण को आतुर रहते है।  इसलिए ऐसा कहा जाता है कि जहाँ राम कथा होती है वहाँ हनुमानजी सदैव विराजमान होते है। रुद्रावतार का महत्वपूर्ण निवास रामभक्तों के ह्रदय में भी मिलता है। हनुमानजी ने अपने जीवन में कभी यश, उच्च पद, लालच, धन, वैभव इत्यादि किसी को भी जीवन में महत्त्व नहीं दिया, बस वे पूर्ण निष्ठा-भक्ति से राम के प्रति समर्पित होकर भक्त रूपी भगवान बन गए।
    
    हनुमानजी को संकट मोचक भी कहा गया है, अर्थात वे भक्तों के संकट को क्षण में समाप्त कर देते है। हनुमानजी के लिए कोई भी कार्य करना असंभव नहीं है। राम नाम की महिमा तो सर्वविदित है, पर रामदूत हनुमान की महिमा भी अपरम्पार है, तो क्यों न हनुमानजी के दिन मंगलवार को राम नाम को ह्रदय में विराजमान कर हनुमान जन्मोत्सव पर हनुमानजी की भक्ति एवं आशीर्वाद प्राप्त करते है।

    डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)

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