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    जमातियों के खिलाफ हो देशद्रोह का मुकदमा दर्ज -यति माँ चेतनानंद सरस्वती

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/डासना/उत्तराखंड/मनोजीत सिंह/शिव कुमार यादव/- दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी मरकज का मामला सामने आने के बाद से पूरे देश में हड़कंप मच गया है। जगह-जगह मिलने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच के बाद उनका सीधा संबंध कहीं न कहीं दिल्ली मरकज से जुड़ रह है। जमातियों द्वारा देश की सुरक्षा को खतरे में डालने के इस घिनौने कृत्य परं डासना स्थित श्री प्रचंड चंडीदेवी मंदिर की महंत यति माँ चेतनानंद सरस्वती ने जमातियों के खिलाफ हमला बोलते हुए सरकार से उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। यहां बता दे कि पहले भी यति मां देश में महिलाओं के खिलाफ लव जिहाद के मामले हों या किसी भी तरह के अन्य अपराधों के विरुद्ध वह आवाज उठाने वाली प्रमुख शख्सियत रहीं हैं।
                                       उनका कहना है “ आज जब विश्व महामारी से जूझ रहा है विश्व के समृद्ध देश इस महामारी के आगे हार गए है। वहीं भारत कुशल नेतृत्व में महामारी को परास्त कर विजय की और बढ़ने का प्रयत्न कर रहा है.परंतु अचानक तबलीगी जमात ने अपने देश विरोधी कृत्य से देश के जनमानस व सरकार के समक्ष दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है। एक तरफ  प्रशासनिक तंत्र, चिकित्सक, नर्स, मीडिया कर्मी, सफाई कर्मी अपने प्राणों की चिंता किए बिना हर संभव प्रयास कर रहे है कि देश को सुरक्षित रख सकें और दूसरी तरफ मरकज से निकले जमाती हैं जो हर संभव प्रयास कर रहे है कि इस संक्रमण को अधिक से अधिक फैला कर देश को अस्थिर अवस्था मे ला कर खड़ा कर दें। सरकार को ऐसे देशद्रोहियों को कभी माफ नही करना चाहिए और उन्हे डिटेंशन सेंटरों में ही मरने के लिए छोड़ देना चाहिए।
    यति माँ चेतनानंद सरस्वती ने कहा “जैसे प्रशासनिक तंत्र पर हमला, नर्सिंग स्टाफ से अश्लीलता, मांसाहारी भोजन की मांग को लेकर हंगामा, उन पर थूकना, खाँसना हमला बोलना यह संकेत बहुत स्पष्ट हैं कि जेहादियों की मंशा किसी भी कीमत पर देश को गृह युद्ध की स्थिति में धकेलना ही है। जो लोग लॉकडाउन का गम्भीरता से पालन कर रहे ह,ैं यह घटनाएं धीरे-धीरे उनमें असंतोष का भाव उतपन्न कर रही हैं। उन्होने कहा कि ये जाहिल नहीं हैं। कुछ लोग इनको जाहिल करार दे रहे हैं। जाहिल वह होता है जो शिक्षित नहीं होता है। ये तो शातिर हैं, इनका एक उद्देश्य के लिए ब्रेनवाश किया गया है। जिसके चलते ये लोग समाज, देश को खतरे में डालने में लगे हुए हैं।“यति माँ चेतनानंद सरस्वती ने बताया, हमारे यहाँ एक प्रचलित नीति है जिसको विदुर नीति कहा जाता है “शठे शाठ्यम समाचरेत.“  अर्थात दुष्ट से दुष्टता के व्यवहार से ही निपटा जा सकता है। जमातियों को न् मौत का डर है और न् ही प्रशासनिक कार्यवाही की चिंता।न ही उन  लोगों  के प्रति कोई कृतज्ञता जो उनके इलाज में लगे हैं। ऐसे सम्वेदन विहीन, मानवता के शत्रुओं से किसी भी कीमत पर मित्रता का व्यवहार कष्टकारी ही साबित होगा। आज अपने शरीर को कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए सौंप देना और फिर उसे देश में फैलाने वाले यह जमाती देश के खिलाफ जिहाद छेड़े हुए हैं। इस महामारी से लड़ने में लगे तंत्र व सरकार की हर योजना को विफल करने में लगें। यह जिहादी इस समय एक बड़ी चुनौती बन गए हैं। आज आवश्यकता है इन जिहादियों को एकत्रित कर एक स्थान पर डिटेंशन सेंटर बना कर इनको इनके हाल पर छोड़ देने की आवश्यकता है। अन्यथा मानवता के शत्रुओं से संवेदना देश के लिए बड़ा खतरा साबित होगी और हमे इसकी बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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