
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/ग्रेटर नोएडा/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- ग्रेटर नोएडा के निवासियों को खारे पानी से जल्द निजात मिल जाएगी। गंगाजल परियोजना पर अंतिम चरण में है। जुलाई-अगस्त तक काम पूरा करने का लक्ष्य है, जिस जमीन पर विवाद के कारण पाइपलाइन डालने में दिक्कत थी, उस पर किसानों से प्राधिकरण की सहमति बन गई है। इसी महीने औपचारिकता पूरी कर काम शुरू कराया जाएगा। परियोजना का 97 फीसदी काम पूरा हो चुका है।
बीते 10 वर्षों से ग्रेटर नोएडा में गंगाजल परियोजना पर काम चल रहा है। 85 क्यूसेक के इस प्रोजेक्ट पर सबसे पहले अगस्त 2010 में काम शुरू हुआ था। परियोजना की लागत करीब 350 करोड़ रुपये है। गंगनहर में देहरा के पास से इस परियोजना के लिए पानी लिया जाना है। गंगनहर से ग्रेटर नोएडा तक 23 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाने का काम लगभग पूरा हो गया है। चिटेहरा व बिसाहड़ा के पास जमीन का किसानों से विवाद है। इसी के चलते यह परियोजना अटकी हुई है। इन विवादों को निपटाने के लिए ग्रेनो प्राधिकरण कोशिश में जुटा है। हाल ही में सीईओ नरेंद्र भूषण ने किसानों से वार्ता की और इस परियोजना को पूरी करने के लिए जमीन देने की अपील की। किसान सहमत हो गए हैं। इसी मामले में 6 अप्रैल को अदालत में सुनवाई की तिथि है। माना जा रहा है कि इसी तिथि पर यह मामला सुलझ जाएगा।
इसके बाद बची हुई पाइपलाइन डाल दी जाएगी। परियोजना पूरी होने के बाद पानी सप्लाई के लोकल नेटवर्क से कनेक्ट कर टेस्टिंग शुरू की जाएगी, जिसमें यह देखा जाएगा कि पाइपलाइन में कहीं लीकेज तो नहीं है। ट्रायल में जो कमियां मिलेंगी, उनको दूर किया जाएगा। इसके बाद घरों में सप्लाई शुरू हो जाएगी। पहले चरण में ट्रायल के तौर पर शहर के कुछ क्षेत्रों में ही आपूर्ति की जाएगी। धीरे-धीरे आपूर्ति का दायरा बढ़ाया जाएगा। देहरा से 11 किमी लाकर पेयजल को प्राइमरी वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में लाकर शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद पल्ला में बने दूसरे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में लाकर शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद घरों में पानी की आपूर्ति की जाएगी।
गंगाजल आने से ग्रेटर नोएडा के लिए दोहरा फायदा होगा। एक तो निवासियों को खारे पानी से निजात मिल जाएगी। दूसरे, पानी आपूर्ति के लिए भूजल दोहन नहीं करना पड़ेगा। भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा है। इसे रोकने में गंगाजल परियोजना बेहद अहम साबित होगी।
ग्रेटर नोएडा की गंगाजल परियोजना बहुत जल्द पूरी कर ली जाएगी। 97 फीसदी काम पहले ही हो चुका है। थोड़ी सी जमीन पर किसानों से विवाद था। इस पर भी सहमति बन गई है। कागजी औपचारिकता पूरी कर काम शुरू कराया जाएगा। – नरेंद्र भूषण, सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण
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