
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए दिल्ली-हरियाणा बार्डर पर डटे किसानों के साथ उनके परिवार की महिलाएं भी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। किसानों के साथ केंद्र के खिलाफ नारे लगाना हो या खाना बनाना, महिलाओं का जोश देखते ही बनता है। ये महिलाएं न केवल अपनी सामर्थ्य के अनुसार आंदोलनकारियों का खाना पकाती हैं, कपड़े धोती हैं और दूसरे काम करती हैं, बल्कि धरने को मजबूत भी कर रही हैं। आंदोलन में महिलाओं के उतरने पर सरकार व पुलिस की परेशानी बढ़ती दिखाई दे रही है। जिसके लिए अब पुलिस प्रशासन भी नई रणनीति बना रहा है।
उम्र और ठंड को देखते हुए आंदोलन में भागीदारी की जरूरत पंजाब के बरनाला से आई 90 साल की किसान आंदोलनकारी भगवान कौर ने कहा, हम गुरु गोबिंद सिंह के अनुयायी हैं और अपने अधिकारों को लिए बिना पीछे नहीं हटेंगे। हम किसानों को बर्बाद करने के लिए कृषि कानून लागू करने वाली केंद्र सरकार के सामने झुकेंगे नहीं। हम अपने बेटों, पोतों का समर्थन करने के लिए पिछले तीन दिनों से यहां हैं और ये लड़ाई जीतकर रहेंगे। बहादुरगढ़ के टीकरी बार्डर पर चल रही किसानों की सभा में दूसरी महिलाओं के साथ बैठी भगवान कौर बहुत उत्साह के साथ किसान एकता जिंदाबाद और साडा हक ले के रहांगे आदि नारे लगा रही थी। उनके पास बैठी एक अन्य बुजुर्ग महिला सुरिंदर कौर ने कहा, हम गुरु गोबिंद सिंह के संदेश का पालन करते हैं, इसलिए जब तक मोदी सरकार खेती संबंधी इन कानूनों को वापस नहीं लेती, तब तक पीछे नहीं हटेंगे।
सड़क के किनारे बर्तन साफ करतीं सुरजीत कौर ने कहा, हमारे परिवार के सदस्यों के साथ पंजाब के मानसा जिले से 15 महिलाओं का एक समूह आया है। सुबह में, हम किसानों के लिए खाना बनाती हैं, कपड़े धोती हैं और बर्तन साफ करती हैं। इसके बाद, हम धरने में शामिल हो जाती हैं, नारे लगाती हैं। मानसा से आई परमजीत कौर ने कहा कि वे इस बार्डर पर ही पर ही होली और दिवाली मनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन तीन खेत कानूनों को रद्द किए बिना घर वापस नहीं जाएंगी। एक अन्य महिला जसबीर कौर पैसे दान करने वालों के नाम एक नोटबुक में लिखती हैं।
संगरूर की जसप्रीत ने कहा कि पंजाब की महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। चूंकि खेत कानून पूरे परिवार की आय पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे, इसलिए संकट के इस समय में अपने परिवार के पुरुषों के साथ खड़े रहना और उनकी मदद करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने बताया कि वे सभी 15 महिलाएं अपने लोगों का मनोबल ऊंचा रखने के लिए टीकरी बार्डर से बहादुरगढ़ बाइपास तक हर रोज विरोध मार्च निकालती हैं।
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