कांग्रेस में राहुल-सोनिया समर्थकों में खिंची तलवारे, राज्यों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी मची घमासान

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कांग्रेस में राहुल-सोनिया समर्थकों में खिंची तलवारे, राज्यों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर भी मची घमासान

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- राजनीतिक पार्टियों में सत्ता के साथ-साथ सत्ता पर कब्जा जमाये रखने के लिए भी आपसी खींचतान चलती ही रहती है। कांग्रेस में पिछले कुछ सालों में यह खींचतान कुछ ज्यादा ही चल रही है। हाल ही में पहले मध्यप्रदेश और अब राजस्थान कांग्रेस में मची घमासान की आग अब दिल्ली तक भी पंहुच गई है जिसकारण दिल्ली में राहुल गांधी व सोनिया गांधी समर्थकों में तनातनी की तलवारें खिंच गई हैं।
कांग्रेस में एक बार फिर युवा तुर्क और अनुभवी नेताओं के बीच तलवारें खिंच गई हैं। इसका ताजा उदाहरण राजस्थान में युवा बनाम वरिष्ठ के बीच जारी घमासान और कांग्रेस राज्यसभा सांसदों की बैठक में राहुल गांधी बनाम सोनिया गांधी गुट के बीच हुई तीखी बहस है। वरिष्ठ नेताओं ने शुक्रवार को राहुल के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाते हुए सोनिया को पत्र भेजा है। इसमें स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति और केंद्रीय पदाधिकारियों के पारदर्शी चुनाव की मांग की गई है।
ऐसे में पार्टी के अंदर 1967 जैसी फूट की आशंका जताई जा रही है। यदि 43 साल की सियासत देखी जाए तो इस दौरान कांग्रेस, भाजपा और जनता दल जैसी बड़ी पार्टियों से टूटकर 87 पार्टियां बनी हैं लेकिन सिर्फ 25 ही अस्तित्व में हैं। 62 पार्टियों का कोई नामोनिशान तक नहीं बचा है। अब देखना यह है कि यह खींचतान यहीं खत्म हो जाती है या फिर आने वाले समय में इसका कांग्रेस की राजनीति पर कोई गहरा असर पड़ेगा। क्योंकि पहले भी इस तरह की खींचतानों ने काफी भयंकर रूप लिया है और नौबत यहां तक आई है कि पार्टी कई बार दो भागों में बंटी है। हालांकि इनमें से ज्यादातर पार्टियां व नेता राजनीति में कोई खास मुकाम हासिल नही कर पाये और या तो वो पार्टियां खत्म हो गई या फिर उनका दौबारा कांग्रेस में विलय हो गया। हालांकि आज भी कुछ ऐसी पार्टियां है जो कांग्रेस से अलग होकर सत्तासीन बनी हुई है। जिनमें ये मुख्यतः है-
तृणमूल कांग्रेस
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
वाईएसआर कांग्रेस
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी
छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस
एआईएनआर कांग्रेस
नागा पीपल्स फ्रंट
विदर्भ जनता कांग्रेस
तमिल मनीला कांग्रेस

वैसे कांग्रेस के अलावा दूसरे दलों में भी समय-समय पर टूट होती रही है। और उनसे भी कई क्षेत्रिय पार्टिया निकली हैं। कलह और बिखराव की वजह से जनता दल 20 साल में छह बार टूटी। इससे टूटकर जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल, राष्ट्रीय जनता दल, बीजू जनता दल, इंडियन नेशनल लोकदल, जनता दल सेक्युलर, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, एसजेडी, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, जेएपी, पीएसपी, जननायक जनता पार्टी, एलजेडी और समाजवादी जनता पार्टी बनीं।

भाजपा के बिना इन दिग्गजों को नहीं मिली सफलता
वहीं भाजपा से टूटकर बनीं 17 पार्टियां अपना अस्तित्व नहीं बचा सकीं। भाजपा छोड़ने के कुछ सालों बाद बाद उमा भारती, कल्याण सिंह, केशुभाई पटेल वापस लौट आए। कल्याण सिंह ने जनक्रांति पार्टी, उमा भारती ने जनशक्ति पार्टी, केशुभाई पटेल ने गुजरात परिवर्तन पार्टी, बाबूलाल मरांडी ने झारखंड विकास मोर्चा बनाई थी। हालांकि बिना कमल के साथ के इन्हें राजनीतिक मैदान में सफलता नहीं मिल पाई।

अलग पार्टी बनाने के बाद इन दिग्गजों को मिली सत्ता की कमान
नेता पार्टी राज्य पुरानी पार्टी का नाम
मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश जनता दल
लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय जनता दल बिहार जनता दल
नीतीश कुमार जनता दल यूनाइटेड बिहार जनता दल
नवीन पटनायक बीजू जनता दल ओडिशा जनता दल
मुफ्ती मोहम्मद सईद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी जम्मू-कश्मीर कांग्रेस
ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल कांग्रेस
वाईएस जगनमोहन रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस आंध्र प्रदेश कांग्रेस
एन रंगास्वामी एनआर कांग्रेस पुड्डुचेरी कांग्रेस
नेफ्यू रियो नागा पीपल्स फ्रंट नगालैंड कांग्रेस

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