
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- देश में कोरोना की मार झेल रहा आम आदमी पहले ही आर्थिक परेशानी के चलते राशन व सब्जी को लेकर तंगी महसूस कर रहा है। लेकिन अब टमाटर ने भी अपने रंग दिखाने शुरू कर दिये है और टमाटर के भाव एकदम से आसमान छूने लगे है जिसकारण अब टमाटर आम आदमी की पंहुच से दूर होता जा रहा है। वहीं लोगो का आरोप है कि जिस तरह से तेल के भाव लोगों को रूला रहे है उसी तरह अब खानेपीने की चींजे भी लोगो को परेशान करने लगी है। टमाटर के दाम 80 रूपये प्रति किलो पंहुच गये है लेकिन फिर भी सरकार इस पर कोई ध्यान नही दे रही है। हालांकि खाद्य एवं आपूर्ति विभाग बरसात के मौसम में आपूर्ति कम होने की बात स्वीकार कर रहा है।
देश के लगभग तमाम बड़े शहरों में टमाटर की खुदरा कीमतें बढ़कर 60-70 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गयी हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने गुरुवार को कहा इस मौसम में टमाटर के खराब होने की संभावना अधिक रहती है। मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, चेन्नई के अलावा मेट्रो शहरों में टमाटर की खुदरा कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ गई, जो एक महीने पहले लगभग 20 रुपये प्रति किलो थी। कुछ स्थानों पर, टमाटर 70-80 रुपये प्रति किलो के भाव बेचा जा रहा है। गुड़गांव, गैंगटॉक, सिलीगुड़ी और रायपुर में टमाटर 70 रुपये प्रति किलो के भाव बिक रहा है, जबकि गोरखपुर, कोटा और दीमापुर में 80 रुपये प्रति किलोग्राम का भाव है। आंकड़ों के अनुसार, उत्पादक राज्यों में भी, हैदराबाद में कीमत मजबूत होकर 37 रुपये प्रति किलोग्राम है, चेन्नई में 40 रुपये किलो और बंगलूरू में 46 रुपये किलो है। बढ़ती कीमतों के बारे में पूछे जाने पर, पासवान ने कहा कि, श्फसल का समय नहीं होने के कारण आम तौर पर, जुलाई से सितंबर के दौरान टमाटर की कीमतें अधिक रहती हैं। टमाटर के जल्द खराब होने के गुण के कारण, इसकी कीमतों में उतार-चढ़ाव अधिक होता है।
उन्होंने कहा कि आपूर्ति सुधरने के बाद कीमतें सामान्य स्तर पर आ जाएंगी। विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि आम तौर पर ऊपज का समय नहीं होने के कारण सामान्य तौर पर टमाटर की कीमतों में तेजी आती है और पिछले पांच साल के आंकड़ों का यही रुझान है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, पंजाब, तमिलनाडु, केरल, जम्मू और कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश देश के कम टमाटर उत्पादन करने वाले राज्य हैं। वे आपूर्ति के लिए अधिक उत्पादन करने वाले राज्यों पर निर्भर करते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में सालाना लगभग एक करोड़ 97 लाख टन टमाटर का उत्पादन होता है, जबकि खपत लगभग एक करोड़ 15 लाख टन है।
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