
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/पश्चिमी बंगाल/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- पश्चिन बंगाल में टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी की परेशानी कम होने का नाम नही ले रही है। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे-वैसे टीएमसी को झटके पर झटके लग रहे है। यहां बता दें कि बंगाल में इस साल विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में राज्य में राजनीतिक हलचल तेज हो चुकी हैं। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने ंइन विपरीत परिस्थितियों में न केवल अपना गढ़ बचाने की चुनौती है बल्कि पार्टी बढ़ रही नेताओं की नाराजगी से निपटना भी कठिन होता जा रहा है। चुनावों से ठीक पहले उनकी पार्टी के कई कद्दावर नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। वहीं कई नाराज हैं। ऐसे में उन्होंने भाजपा के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस और वामदल का साथ मांगा था। हालांकि दोनों ही पार्टियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन अब कांग्रेस के बाद लेफ्ट ने भी टीएमसी का साथ देने से मना कर दिया है। हालांकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने ममता बनर्जी को गठबंधन के स्थान पर अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करने की सलाह दी थी।
वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमन बोस ने रविवार को कहा, पश्चिम बंगाल को धार्मिक धुर्वीकरण से बचाने के लिए हम भाजपा और टीएमसी के खिलाफ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस और वाम मोर्चा के बीच कोई गलतफहमी नहीं है। हालांकि सीट बंटवारे पर अभी चर्चा होना बाकी है। लेकिन यह साफ हो गया है कि कांग्रेस व वाम मोर्चा अब ममता के साथ नही है।
कांग्रेस ने टीएमसी की सलाह के बाद पेशकश की है कि वह भाजपा के खिलाफ लड़ाई के लिए गठबंधन बनाने के स्थान पर टीएमसी का कांग्रेस में विलय कर लें। राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चैधरी ने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद तृणमूल कांग्रेस को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है। अगर ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ लड़ने को इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है।
यहां बता दें कि टीएमसी ने बुधवार को वाम मोर्चा और कांग्रेस से भाजपा की श्सांप्रदायिक एवं विभाजनकारीश् राजनीति के खिलाफ लड़ाई में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साथ देने की अपील की थी। हालांकि, दोनों दलों ने इस सलाह को सिरे से खारिज कर दिया था। पार्टी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पत्रकारों से कहा था कि अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में भाजपा के खिलाफ हैं तो उन्हें भगवा दल की सांप्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए।
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