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    ड्रेस कोड बदलने की बजाये, अर्धसैनिकों की बंद पेशन पर ध्यान दे डीजी- रणवीर सिंह

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कॉनफैडरेसन आफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने डीजी सीआरपीएफ द्वारा हाल ही में खाकी वर्दी की जगह नये ड्रेस कोड पर कड़ी प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि डीजी साहब जवानों का ड्रेस कोड बदलने की बजाये उनकी बंद पेंशन, पैरामिलिट्री सर्विस पे अर्थात् एमएसपी व अन्य सुविधाओं देने में ध्यान दे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। महासचिव रणवीर सिंह ने कहा कि सरकार पैरामिलिट्री चैकीदारों के प्रति भेदभाव व उपेक्षा का रवैया अपनाये हुए है जिससे 20 लाख पैरामिलिट्री के जवानों में भारी रोष है।
    महासचिव रणबीर सिंह ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जवानों की कॉम्बैट ड्रेस तो पहले से ही है जोकि जवानों द्वारा नक्सलवाद प्रभावित राज्यों, जम्मु कश्मीर, उतरी पूर्वी राज्यों यहां तक कि दिल्ली में जवान कॉम्बैट ड्रेस का उपयोग करते हैं। इतना ही नही खुद डीजी सीआरपीएफ भी अक्सर कॉम्बैट युनिफोर्म पहने नजर आते हैं। उन्होने कहा कि डीजी डॉ माहेश्वरी को ड्रेस कोड बदलने के बजाए पुनः पैंशन बहाली की बात करनी चाहिए और सरकार को सीपीसी कैंटीन में जीएसटी छूट देने का प्रपोजल भेजना चाहिए, जो कि आज बाजार भाव पर आ गई है। सेना की तर्ज पर सरकार ने पैरामिलिट्री सर्विस पे देने की बात संसद में कही थी क्या वार्ब चेयरमैन की हैसियत से सुरक्षा बलों को एमएसपी देने हेतू लिखेंगे। डीजी साहिब को याद होगा कि ये खाकी ही थी जिसने 13 दिसंबर को पाक आतंकी हमले से संसद को बचाया था और बदले में सरकार ने जवानों की ईनाम के तौर पर पैंशन बंद कर दी।


    महासचिव ने प्रैस विज्ञप्ति जारी कर ऐतराज जताया कि डीजी सीआरपीएफ जोकि वार्ब पुनर्वास एवं कल्याण बोर्ड के चेयरमैन हैं लेकिन आज तक केंद्रीय स्तर पर पूर्व अर्धसैनिकों के साथ कोई बैठक नहीं की गई है। क्योंकि वार्ब को केंद्रीय सुरक्षा बलों के कल्याणार्थ वास्ते गठन किया गया था लेकिन वह एक सफेद हाथी साबित हो रहा है जिसे देखते हुए उन्होने कहा कि इससे अच्छा तो यही होगा की वार्ब को ही भंग कर दिया जाये ताकि जवान उस पर झूठी उम्मीद तो न रखें। उन्होने कहा कि उपरोक्त जायज मुद्दों को लेकर पूर्व अर्धसैनिक बलों का प्रतिनिधिमंडल दो बार डीजी सीआरपीएफ से मिल चुका है लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, लगता है आईपीएस बाबुओं को अर्धसैनिक बलों के जवानों की 2004 से बंद पैंशन, ओआरओपी, एमएसपी व सीपीसी कैंटीन पर जीएसटी छूट तथा अन्य कल्याणकारी योजनाओं से कोई लेना देना नहीं है। उल्टा जो सुविधाएं मिल रही है उस पर भी नादिरशाह फरमान जारी कर दिया गया जिसका ताजा उदाहरण अभी हाल ही में देखने को मिला जब डीजी आईटीबीपी द्वारा सीपीसी कैंटीन में मिलने वाली मदिरा पर अन्य सुरक्षा बलों के रिटायर्ड सैनिकों पर रोक लगा दी गई। क्या वार्ब चेयरमैन की हैसियत से डीजी सीआरपीएफ बताएंगे कि ऐसा तुगलकी फरमान आपकी सहमति से जारी हुआ है। अगर हम से कोई पूछे तो खाकी से कॉम्बैट कन्वर्ट करना हमारी पहचान खत्म करने जैसा है।
    आज उस कॉम्बैट ड्रेस के कारण आम भारतीय हम पैरामिलिट्री चैकीदारों को सेना का जवान समझते हैं जबकि सेना बैंरक्स में है और बीएसएफ, आईटीबीपी के जवान बॉर्डर बकर्स में हैं। डीजी साहिब कोरोना के कारण देश की वित्तीय स्थिति पहले ही डांवाडोल है। कृपया नित-नए प्रयोग ना करके हमारे जवानों की 2004 से बंद पैंशन को फिर से शुरू करने एवं एमएसपी देने व सीपीसी कैंटीन पर जीएसटी छूट देने व एक्स मैन स्टेटस देने बारे केंद्रीय गृह मंत्री जी से बात किजिए ताकि फोर्सेस का मनोबल बना रहे और सरहदी चैकीदारों में एक नई स्फूर्ति का संचार होवे। अर्धसैनिक बलों के जवानों व उनके परिवारों के उपरोक्त जायज मुद्दों को लेकर 13 दिसंबर को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में अखिल भारतीय पैरामिलिट्री चैकीदार सेमिनार आयोजित किया जाएगा जिसमें आगे की रणनीति तैयार की जाएगी।

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