• DENTOTO
  • भारत-चीन के रिश्ते बिगड़े तो आयेगी भारी आर्थिक मंदी

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 1, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    भारत-चीन के रिश्ते बिगड़े तो आयेगी भारी आर्थिक मंदी

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ, भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प के बाद भारत एक सधी राजनीति के तहत चीन के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाकर उसे झटका देने की तैयारी कर रहा है लेकिन इन प्रतिबंधों व आपसी खींचतान का दोनो देशों के आर्थिक गलियारें पर काफी दबाव आ गया है। आर्थिक सलाहकारों का तो यहां तक कहना है कि यदि चीन व भारत ने अपने रिश्ते जल्द नही सुधारे और व्यापारिक हित यूं ही टकराते रहे तो न केवल देश में बड़ी आर्थिक मंदी आ जायेगी बल्कि ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल्स व कॉस्मेटिक का सामान बनाने से लेकर तमाम क्षेत्र के कारोबारियों को बड़ा आर्थिक झटका लग सकता है। जिससे देश में हर क्षेत्र में बड़ी आर्थिक मंदी की सुनामी आ सकती है।
    विशेषज्ञों का कहना है कि भारत-चीन आयात-निर्यात के जानकारों का कहना है कि कोविड-19 के संक्रमण से अर्थव्यस्था से जितनी बड़ी चोट पहुंची है, उससे कहीं बड़ी चोट दोनो देशों के बिगड़ते रिश्तों से आर्थिक सुनामी आने जैसे हालात भविष्य में पैदा हो सकते हैं। हालांकि वाणिज्य मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का मुख्य फोकस घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने, चीन से आयात की निर्भरता घटाने पर है। इसको लेकर वह कारोबारी क्षेत्र के तमाम उद्यमियों, संगठनों और संस्थाओं से चर्चा कर रहे हैं। ऑटोमोबाइल मनुफैक्चरिंग क्षेत्र में भी बड़ी पहल की जा रही हैं। करीब-करीब हर सप्ताह इस मामले में बैठक हो रही है। 13 अगस्त को मंत्रालय ने ऑटो क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों के लोगों के साथ बैठक की थी।
    शुक्रवार 20 अगस्त को समीक्षा बैठक हुई और इसमें सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटो मोबाइल मनुफैक्चरर (एसआईएएम) से ऑटो क्षेत्र में निवेश की संभावना, स्थानीय स्तर पर निर्भरता, आयात-निर्यात, रॉयल्टी के एवज में किए जाने वाले भुगतान समेत अन्य बातों की जानकारी मांगी गई। हालांकि ऑटोमोबाइल क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि नामुमकिन कुछ भी नहीं है, लेकिन चीन से सामानों के आयात पर रोक लगाने से बड़ा झटका लगेगा। कलपुर्जे और आयात होने वाले सामानों की कीमत काफी बढ़ जाएगी और इसके चलते ऑटो इंडस्ट्री पर विपरीत असर पड़ सकता है।

    चीन पर निर्भरता 25 प्रतिशत
    ऑटो इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी और सीआईआई से जुड़े सूत्र के अनुसार अभी भारतीय ऑटो मोबाइल क्षेत्र चीन से करीब 25 प्रतिशत सामानों का आयात करता है। चीन के बाद दूसरे नंबर पर दक्षिण कोरिया है, लेकिन उस पर निर्भरता चीन की तुलना में करीब आधी है। इसके बाद जर्मनी, जापान का नंबर आता है। बताते हैं इसकी मुख्य वजह चीन से मिलने वाला सस्ता सामान है।

    यह कोरिया की तुलना में करीब आधे रेट पर होता है। वहीं यूरोपीय देशों से आयात करने पर कीमत कई गुणा अधिक बढ़ जाती है। हालांकि सूत्र का कहना है कि चीन से आयात होने वाले सामानों में काफी कुछ यूरोपीय कंपनियों के ही उत्पाद होते हैं, जो चीन में बनते हैं।

    पैकेजिंग के सामान के मामले में भी चीन पर निर्भर
    फिक्सडेरमा इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कॉस्मेटिक सामान बनाने वाली कंपनी है। इसके सीएमडी अनुराग मेहरोत्रा हैं। अनुराग मेहरोत्रा का कहना है कि पैकेजिंग के सामानों के आयात के लिए चीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है। इसका कारण काफी सस्ती दर पर अच्छी गुणवत्ता का माल मिलना है।

    यह दक्षिण कोरिया से करीब आधी कीमत पर मिलता है। अनुराग बताते हैं यूरोपीय कंपनियों ने एशिया के बाजार में अपनी पकड़ बनाने के लिए चीन में कंपनियां स्थापित की थीं। वह कहते हैं कि भारत में पैकेजिंग के मामले में स्तरीय अभी तक कुछ भी नहीं है।

    बूढ़ापा छिपाने वाली क्रीम का रसायन भी चीन से आता है..
    फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के सूत्रों की मानें तो एंटी एजिंग क्रीम हो या गोरा बनाने की क्रीम। फ्रेग्नेंस से लेकर काफी कुछ चीन से आता है। इलेक्ट्रॉनिक सामान हो या प्यूरी फायर, एलईडी टीवी सेट हो या कंप्यूटर, प्रिंटर, फोटोकॉपी मशीन समेत सभी चीजों के लिए चीन पर निर्भरता है। बताते हैं कॉस्मेटिक क्षेत्र की मर्क, करोडा समेत तमाम विश्व की नामी कंपनियों का सामान यूरोप और चीन में मिलता है। यूरोप में कई गुना मंहगा है तो चीन में काफी सस्ता।

    कैसे पूरा होगा आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य?
    कारोबारियों का कहना है कि राह बहुत मुश्किल है। एटीएल के सीएमडी राज किशोर गुप्ता कहते हैं कि राष्ट्रहित में आत्मनिर्भर भारत से महत्वपूर्ण कदम कुछ और नहीं हो सकता, लेकिन इस पर अचानक अमल संभव नहीं है। इसके लिए केंद्र सरकार को व्यावहारिक नीतिगत नियम बनाने होंगे। टेमा अध्यक्ष रवि शर्मा कहते हैं कि सरकार को पहले कुछ कदम उठाने होंगे।

    सरकार की हर जगह नीति है कि वह कारोबारियों, उद्योगपतियों को कच्चा माल या जरूरत के प्लेटफार्म प्रतिस्पर्धी दर पर मंहगा देने पर चल रही और चाहती है कि कारोबारी इसे लोगों को सबसे सस्ती दर पर उपलब्ध कराएंगे। एक साथ दोनों चीजें नहीं हो सकतीं।

    यह बात समझ से परे है कि स्पेक्ट्रम या लाइसेंस मंहगी दर पर ऊंची बोली के साथ मिलेगा और साथ में यह अपेक्षा रहेगी कि सेवा की दर बहुत कम रहे। कोयले की नीलामी ऊंची दर पर होगी और बिजली की दर सस्ती रहनी चाहिए। रवि शर्मा का कहना है कि यह नीतिगत व्यावहारिक विरोधाभास है। साफ सी बात है कि कारोबारी का उद्देश्य कमाकर आय बढ़ाना भी है।

    न निवेश हो पा रहा है, न उत्पादन क्षेत्र में उछाल
    रवि शर्मा हों या अनुराग मेहरोत्रा, एटीएल के राजकिशोर हों या सुनील सिंगला। कारोबारी क्षेत्र से जुड़े इन लोगों का कहना है कि आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी पूरा हो सकेगा, जब भारत में गुणवत्ता के सामान, उपकरण आदि बनेंगे। इसके लिए बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू निवेश की जरूरत है। इसके लिए समय, वातावरण, अनुकूल नीतियां और व्यावहारिक परिवेश की जरूरत पड़ेगी। वैसे भी यह सब रातों-रात नहीं हो सकता। जब तक इस क्षेत्र में कोई बड़ी पहल नहीं होगी, न तो निवेश को पंख लगेंगे और न ही उत्पादन क्षेत्र में बड़ा उछाल आएगा। आयात-निर्यात की सूरत में भी बड़े बदलाव की उम्मीद को झटका लगता रहेगा।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox