
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- विश्व के लगभग सभी देशों में फैल चुका कोरोना वायरस दुनियाभर के तमाम देशों की कोशिशों के बावजूद भी कोरोना का कहर थम नहीं रहा है। रोजाना कोरोना के मरीजो की संख्या काफी तेजी से बढ़ती जा रही है। हालांकि दुनियाभर के वैज्ञानिक इस बिमारी का इलाज ढूंढने में लगे फिर भी अभी तक इस बिमारी का किसी के पास भी कोई तोड़ नही है। जिसकारण सभी देश अपने नागरिकों को बचाने के लिए घर में रहने का संदेश दे रहे हैं। लेकिन जहां एक तरफ कोरोना को लेकर हताशा बढ़ती जा रही है वहीं अब ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक अच्छी खबर देते हुए दावा किया है कि उन्होने कोरोना के इलाज में काम आने वाली वैक्सीन बना ली है जो इसी साल सितंबर तक बाजार में उपलब्ध होगी।
जानकारी के लिए बता दें कोरोना अब दुनिया में महामारी साबित हो चुका है। पूरी दुनिया में अभी तक इस बीमारी से 22 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीँ इस बीमारी के प्रकोप से अभी तक डेढ़ लाख से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। दुनियाभर के तमाम देश इस बीमारी की दवा बनाने में लगे हुए हैं लेकिन कहीं से भी इस बिमारी के इलाज की दवा बनाने की कोई खबर नही आ रही है। हालांकि यूएन प्रमुख भी अपने संदेश में यह कह चुके है कि इस बिमारी का इलाज सिर्फ इसकी वैक्सीन से ही किया जा सकता है। हालांकि कुछ देश इस बिमारी की दवा के इलाज के करीब होने का दावा कर रहे है लेकिन फिर भी ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने इस बिमारी की दवा खोजने का दावा किया है। ब्रिटेन के कई वैज्ञानिक इस बीमारी की दवा खोजने में लगे हुए हैं। जिसके तहत अब ब्रिटेन के एक वैज्ञानिक ने कोरोना की वैक्सीन को लेकर बड़ा दावा किया है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि कोरोना बीमारी की वैक्सीन लगभग तैयार है और इसके सितंबर तक आ जाने की संभावना है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि हम महामारी के खिलाफ एक बिमारी पर शोघ कर रहे थे जिसे एक्स नाम दिया गया था। इसके लिए हम एक सुव्यवस्थ्ति योजना बनाकर काम कर रहे थे और उसका परिणाम यह निकला की हमने कोरोना के खिलाफ वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है।
गौरतलब है कि ब्रिटिश वैज्ञानिक की तरफ से आई इस खबर के बाद दुनियाभर के लोग चैन की साँस ले सकेंगे क्योंकि ये बहुत ही राहतभरी खबर है। उन्होंने कहा है कि सीएचएडीओएक्स-1 तकनीक के साथ इसके 12 परीक्षण किये जा चुके हैं। हमें एक डोज से इम्यून को लेकर बेहतर परिणाम मिले हैं जबकि आरएनइ और डीएनए तकनीक से दो या दो से अधिक डोज की जरुरत होती है। प्रोफेसर गिलबर्ट ने इसका क्लीनिकल ट्रायल भी शुरू कर दिया है और सफलता का विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि इसकी एक मिलियन डोज इसी साल सितंबर तक उपलब्ध हो जाएँगी। इस वैक्सीन को लेकर ऑक्सफोर्ड की टीम में इतना आत्मविश्वास है कि उन्होंने ट्रायल से पहले ही इसकी बड़े स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है। प्रोफेसर हिल ने कहा है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में 7 मैन्युफैक्चरर्स के साथ इसकी मैन्युफैक्चरिंग की जा रही है। जिसमें तीन ब्रिटेन, दो यूरोप और एक, एक चीन और एक भारत से है।
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