नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/सिंघु बार्डर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कृषि कानूनों को लेकर गृहमंत्री के साथ हुई किसानों की बैठक के विफल हो जाने के साथ ही किसान नेताओं ने आज की बैठक को निरस्त कर दिया है और सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है। किसान संगठनों ने कहा कि हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। लेकिन साथ ही किसान नेताओं ने कहा कि सरकार की तरफ से अगर दोबारा प्रस्ताव आएगा तो हम उसपर विचार करेंगे।
बुधवार को सरकार की तरफ से प्रस्ताव मिलने के बाद किसान संगठनों ने बैठक की। बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान संगठनों ने आगे के रुख की जानकारी दी। किसान नेताओं ने कहा कि पूरे देश में आंदोलन तेज करेंगे। 14 दिसंबर को पूरे देश में धरना प्रदर्शन होगा। बीजेपी के मंत्रियों का घेराव करेंगे। 12 दिसंबर को जयपुर दिल्ली हाईवे और दिल्ली-आगरा हाईवे सील रहेगा। नेताओं ने कहा कि दिल्ली की सड़कों को भी एक-एक करके जाम करेंगे। 12 दिसंबर तक टोल प्लाजा को फ्री करेंगे। जियों के सभी उत्पादों का बहिष्कार करेंगे। कानून रद्द किए जाने तक जंग जारी रहेगी। इससे पहले किसान संगठनों के एक प्रतिनिधि समूह को सरकार की ओर से एक मसौदा प्रस्ताव मिला जो प्रदर्शनकारियों की कुछ मुख्य चिंताओं से जुड़ा हुआ है। मसौदा प्रस्ताव 13 कृषक संगठन नेताओं को भेजा गया जिनमें बीकेयू (एकता उगराहन) के जोगिंदर सिंह उगराहन भी शामिल हैं। यह संगठन करीब 40 आंदोलनकारी संगठनों में से सबसे बड़े संगठनों में शामिल है।
बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार की रात 13 संगठन नेताओं से मुलाकात के बाद कहा था कि सरकार किसानों द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक मसौदा प्रस्ताव भेजेगी। किसान नेता कृषि कानूनों को वापस लेने पर जोर दे रहे हैं। सरकार और कृषि संगठन के नेताओं के बीच छठे दौर की वार्ता बुधवार की सुबह भी प्रस्तावित थी, जिसे रद्द कर दिया गया। मसौदा प्रस्ताव कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने भेजा है।
कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर गृहमंत्री अमित शाह के निवास पर पहुंचे। जानकारी के अनुसार किसान आंदोलन को लेकर चर्चा के लिए कृषि मंत्री गृहमंत्री से मिलने गए हैं। वही कृषि कानूनों को लेकर विपक्षी नेता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने राष्ट्रपति भवन पहुंचे हैं। विपक्ष भी किसानों के साथ-साथ कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग पर अड़ा हुआ है।
सिंघु बॉर्डर पर चल रही किसानों की बैठक से यह जानकारी मिल रही है कि सभी नेताओं ने एक स्वर में सरकार के प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया है और कृषि कानून की वापसी और बिजली से जुड़े कानून न लाने की मांग की है। इस संबंध में किसान कुछ देर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूरी जानकारी देंगे।
-अनुबंधों का भी होगा रजिस्ट्रेशन
किसानों ने मुद्दा उठाया था कि कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नए कानून में नहीं है। केंद्र ने प्रस्ताव दिया है कि जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं करतीं तब तक एसडीएम को लिखित हस्ताक्षरित करार की प्रतिलिपि 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम को उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी।
-निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की होगी व्यवस्था
निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था संशोधन के जरिए रखने का प्रस्ताव दिया गया है। किसानों को आपत्ति थी कि नए कानून से स्थापित मंडियां कमजोर होंगी और किसान निजी मंडियों के चंगुल में फंस जाएंगे।
-व्यापारियों को कराना होगा पंजीकरण
सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह राज्य सरकारों को अधिकार देगी ताकि किसानों के हित में फैसला लिया जा सके और व्यापारियों पंजीकरण कराना ही होगा।
-किसान भूमि की कुर्की नहीं हो सकेगी
किसानों का मुद्दा था कि उसकी भूमि की कुर्की हो सकेगी लेकिन सरकार का कहना है कि किसान की भूमि की कुर्की नहीं की जा सकती।
-किसान की जमीन नहीं कब्जा सकेंगे उद्योगपति
किसानों डर है कि उनकी भूमि उद्योगपति कब्जा कर लेंगे, जिसका समाधान सरकार ने प्रस्ताव में दिया है।
-विवाद के समय अदालत जाने का मिलेगा अवसर
किसानों की मांग थी कि कृषि कानूनों में किसानों को विवाद के समय कोर्ट जाने का अधिकार नहीं दिया गया है, जो दिया जाना चाहिए। सरकार इस पर राजी हो गई है।
-कृषि कानून खत्म करने की मांग पर सरकार ने भेजा ये प्रस्ताव
-सरकार बिजली संशोधन बिल नहीं लाएगी
सरकार ने प्रस्ताव में कहा है कि वह बिजली संशोधन बिल 2020 नहीं लाएगी। यह किसानों की प्रमुख मांगों में से एक है।
-एमएसपी पर कानून नहीं सिर्फ लिखित शिकायत
सरकार ने किसानों के सबसे बड़े मुद्दे एमएसपी पर कानून लाने की जगह उस पर लिखित में आश्वासन देने की बात कही है।
-19 पन्नों का है प्रस्ताव
किसानों ने बताया है कि उनके पास केंद्र सरकार ने 19 पन्नों का लिखित प्रस्ताव भेजा है जिसमें किसानों की मांग के आधार पर सरकार ने समाधान का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव के मिलने के बाद किसानों की बैठक लगातार जारी है। हालांकि इस बीच किसान नेता कह रहे हैं कि ये वही प्रस्ताव हैं जो पांचवीं दौर की वार्ता के दौरान भी सरकार ने रखा था।
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