गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों को दिया जा सकता है यूपी गेट छोड़ने का अल्टीमेटम, बढ़ी हलचल

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January 14, 2025

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गाजीपुर बॉर्डर पर भी किसानों को दिया जा सकता है यूपी गेट छोड़ने का अल्टीमेटम, बढ़ी हलचल

-26 जनवरी की हिंसा के बाद आम आदमी के साथ-साथ पुलिस व प्रशासन का बदला है नजरिया

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/गाजीपुर/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से आम आदमी के साथ-साथ पुलिस-प्रशासन का किसान आंदोलनकारियों के प्रति नजरिया बदल गया है। अब पुलिस व प्रशासन आंदोलनकारियों के खिलाफ काफी सख्ती कर रहा है। एक ओर जहां मेरठ के बड़ौत में 40 दिन से चल रहे प्रदर्शन को पुलिस ने बीती रात खत्म कराया, वहीं यूपी गेट पर आंदोलन स्थल की बिजली काट दी गई। बिजली कटने के बाद अंधेरा होने के चलते गिरफ्तारी के डर से किसानों ने खुद रात में जागकर पहरा दिया।
                       वहीं 26 जनवरी को हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद कुछ किसान संगठनों ने स्वेच्छा से चिल्ला बॉर्डर, दलित प्रेरणा स्थल से आंदोलन वापस ले लिया। बागपत में लोगों को समझाने के बाद उन्होंने रात में धरना खत्म कर दिया। यूपी गेट पर अभी कुछ लोग हैं, उनकी संख्या काफी कम हुई हैः। किसान आंदोलन में शामिल किसानों का अब बिजली कटने के बाद खाने-पीने और अन्य कामों के लिए जरूरी पानी भी न मिलने का आरोप है। उत्तराखंड के एक किसान ने बताया कि वह कौशांबी में टैंकर लेकर पानी लेने गए थे मगर वहां मौजूद कर्मचारियों ने पानी देने से मना कर दिया। इसके साथ ही गाजियाबाद नगर निगम यहां से अपने शौचालय भी वापस ले गई है। इस पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासन ने आंदोलन स्थल पर पानी बंद कर दिया है जिससे किसान परेशान होकर यहां से चले जाएं, इसके बाद उन्होंने कहा कि यह आंदोलन लंबा चलेगा, दिल्ली पुलिस द्वारा नोटिस मिलने को लेकर कहा कि वकील द्वारा दिल्ली पुलिस के सभी सवालों का जवाब दिया जाएगा।
                    दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए बवाल के मुकदमे को लेकर दिल्ली पुलिस थोड़ी देर पहले यूपी गेट पहुंची और राकेश टिकैत के टेंट के बाहर नोटिस चस्पा कर दिया है। राकेश टिकैत ने पुलिस से व्हाट्सएप पर नोटिस मांगा है। वहीं, गाजियाबाद पुलिस-प्रशासन ने यूपी गेट पर फोर्स बढ़ा दी है। अलग-अलग टुकड़ियों की जिम्मेदारी अलग-अलग अधिकारियों को सौंपी गई है। भाकियू के पंचायत घर पर पुलिस वीडियो के जरिए हर गतिविधि पर नजर रख रही है।
                    बुधवार को दिल्ली पुलिस द्वारा किसान नेताओं पर एफआईआर दर्ज करने के बाद रात को यूपी गेट का नजारा कुछ अलग ही दिखाई दिया। बुधवार की रात 50-60 किसान पूरी रात बारी-बारी से पहरा देते रहे। वहीं किसान नेता और भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत व गाजीपुर आंदोलन कमेटी के सदस्य जगतार सिंह बाजवा भी यूपी गेट पर रात भर किसानों के साथ मौजूद रहे। दोनों नेता किसानों के साथ अलाव तापते नजर आए। वहीं किसान लगातार श्टिकैत अमर रहेंश् और श्किसान एकता जिंदाबादश् के नारे लगाते रहे। इस दौरान यूपी पुलिस और प्रशासन की टीम लगातार निगरानी करती रही। डीएम और एसएसपी के नेतृत्व में कई बार पुलिस आंदोलनस्थल के पास से भी गुजरी लेकिन किसान नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

30 जनवरी से अन्ना हजारे किसानों की मांगों को लेकर करें विरोध प्रदर्शन
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे का कहना है कि वह 30 जनवरी से महाराष्ट्र के अहमदनगर में रालेगण सिद्धि में किसानों से संबंधित विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे। समर्थकों से अपने-अपने स्थानों पर विरोध करने का आग्रह किया गया है।

किसान महापंचायत ने शाहजहांपुर पर विरोध स्थल खाली करने का निर्णय लिया
किसान महापंचायत रामपाल जाट ने कहा कि हमने 21 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा से खुद को अलग कर लिया था लेकिन विरोध का समर्थन कर रहे थे। अब, हम हर चरण का विश्लेषण करने के बाद आंदोलन का समर्थन करेंगे। हमने शाहजहांपुर (राजस्थान-हरियाणा सीमा) पर विरोध स्थल खाली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि 26 जनवरी को लाल किले की घटना की जिम्मेदारी लेने वाले को गिरफ्तार नहीं किया गया है। यह दर्शाता है कि यह सरकार की साजिश है। मामले की जांच होनी चाहिए।

किसानों के आंदोलन में बैठा है लक्खा सिधाना
लाल किले पर तिरंगे के अपमान को लेकर जिस लक्खा सिधाना को दिल्ली पुलिस ढूंढ रही है, वह किसानों के आंदोलन में बैठा है। गुरुवार को दोपहर बाद लक्खा सिधाना ने किसान आंदोलन से लाइव होकर पंजाबियों से इस आंदोलन को बचाने की अपील की। उसका कहना है कि जो भी घटना हुई है, उसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है।

टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने किया अर्धनग्न प्रदर्शन
आज यहां किसानों ने अर्धनग्न प्रदर्शन किया। 26 जनवरी की हिंसा के बाद टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं। हालांकि इसके बाद भी कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध-प्रदर्शन जारी है। कृषि कानूनों के खिलाफ टिकरी बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 64वें दिन भी जारी है।

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