जिद पर अड़े किसान, कहा- आउटर रिंग रोड़ पर ट्रैक्टर परेड से देंगे कृषि प्रधान भारत का संदेश

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जिद पर अड़े किसान, कहा- आउटर रिंग रोड़ पर ट्रैक्टर परेड से देंगे कृषि प्रधान भारत का संदेश

-किसान बना रहे लंबी लड़ाई की रूपरेखा, कहा- हम सरकार से हक लेने आए हैं, लेकर ही जाएंगे -26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद किसान गांव-गांव जाकर खोलेंगे सरकार की पोल

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- किसान संगठनों ने पहले राज्यवार फिर राष्ट्रीय स्तर की बैठक करके अपनी संसद में आगे की रणनीति तय कर ली है। किसान दो मुद्दों पर एकजुट हैं। उन्हें केन्द्र सरकार से एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करने और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की गारंटी चाहिए। किसान संगठनों का कहना है कि वह न तो सड़क पर बैठने आए हैं और न ही इन दोनों मांगों से समझौता करके खाली हाथ अपने खेत खलिहानों की तरफ लौटेंगे।

भव्य परेड की तैयारी, देंगे कृषि प्रधान भारत का संदेश
किसानों की एक जिद और भी है। वह दिल्ली की आउटर रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। इसके लिए एक लाख के करीब ट्रैक्टरों को दिल्ली की सीमा तक लाने की तैयारी तेजी से चल रही है। महिलाओं, बच्चों और कलाकारों के साथ किसानों ने अपनी परेड को भव्य बनाने की रणनीति बनाई है। कार्यक्रम को रंगारंग रखने के अलावा ट्रैक्टरों पर देश के झंडे के साथ किसान का झंडा भी लहराएगा। आंदोलन के लिए पहुंचे हर राज्य के ट्रैक्टर या किसानों की परेड लोगों के आकर्षण का हिस्सा रहेगी। इसके लिए को-आर्डिनेशन कमेटी, वॉलंटियर्स का चयन, परेड में शामिल किसानों, महिलाओं, युवाओं, बच्चों के लिए जरूरी सुख-सुविधा का इंतजाम समेत तमाम बिंदुओं को केन्द्र में रखकर किसान संगठन रोडमैप को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। 500 से अधिक किसान संगठनों ने इसके लिए पूर्ण समर्थन किया है और सैकड़ों किसान प्रतिनिधि सहमति जता चुके हैं।
भारतीय किसान यूनियन (असली, अराजनैतिक) के नेता चैधरी हरपाल सिंह ने अमर उजाला से कहा कि हम सड़क पर बैठने और अपने देश की सरकार से लड़ने नहीं आए हैं। किसान अपने हक की मांग लेकर आए हैं और जब सरकार दे देगी तो हम खेत खलिहान की तरफ चले जाएंगे। दिल्ली देश के प्रधानमंत्री का दरवाजा है और जब तक सरकार हमारा हक नहीं देगी, यह आंदोलन जारी रहेगा। पंजाब के किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी का भी यही कहना है। किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा जैसे कई नेता केन्द्र सरकार के सामने सवाल उठाने वाले हैं कि वह श्डर्टी पॉलिटिक्सश् क्यों कर रही है? किसान नेताओं को नोटिस क्यों भेज रही है? क्या सरकार को लग रहा है कि इससे किसान डर जाएंगे? किसान मजदूर संघर्ष समिति के अध्यक्ष सतनाम सिंह पन्नू से लेकर लक्खोवाल, जगजीत सिंह दलेवाल समेत सभी किसान आंदोलन को ठोस नतीजा मिलने तक जारी रखने के पक्ष में हैं।
किसान संगठनों का कहना है कि केन्द्र सरकार यदि एमएसपी पर खरीद की गारंटी (कानूनी प्रावधान) देती है और आम सहमति होने तक तीनों कानूनों को निलंबित रखने का भरोसा देती है, तो उसके इस प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है। चैधरी हरपाल सिंह भी कहते हैं कि इस तरह के प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है। इसके अलावा किसान संगठनों ने अपने किसान साथियों से भी कहा है कि बयानबाजी में संयम बरतें। कहीं भी उकसाने वाले या आंदोलन को नुकसान पहुंचाने वाले बयान न दें। अपनी मर्यादा का विशेष ख्याल रखें। किसान संगठनों में एक सहमति और बनी है। वह केन्द्रीय मंत्रियों या नेताओं से किसी वाद-विवाद में अब अनावश्यक नहीं उलझेंगे। सभी बातें बिन्दुओं पर आधारित होगी।

26 जनवरी के बाद देशभर में खोलेंगे सरकार की पोल
चैधरी हरपाल सिंह कहते हैं कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड निकालने के बाद किसान संगठनों के नेता देश के विभिन्न हिस्सों और गांवों में जाएंगे। किसान रैलियां करेंगे और केन्द्र सरकार की पोल खोलेंगे। सरकार किसानों को लड़ाने-भिड़ाने, छोटे-बड़े किसान की खाई पैदा करने में लगी है। हम असलियत किसानों को बताएंगे और जरूरी हुआ तो क्षेत्र में सरकार के मंत्रियों, नेताओं का प्रवेश रोकने की अपील भी करेंगे। सरकार पूरे आंदोलन को केवल हरियाणा, पंजाब का आंदोलन बताने का दुष्प्रचार कर रही है, जबकि दिल्ली की सीमा पर हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल, ओड़ीसा, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश समेत तमाम राज्यों के किसान डटे हैं। कई राज्यों में किसान जहां हैं, वहीं से हमारे साथ हैं और उनके प्रतिनिधि हमारे साथ बैठकों में होते हैं। इसलिए अब यह लड़ाई रुकने वाली नहीं है।

पुलिस की कसरत से किसान नहीं डरते
किसान संगठनों का कहना है कि परेड निकालने के लिए पुलिस अनुमति देने में आनाकानी कर रही है। सब केन्द्र सरकार के इशारे पर हो रहा है, लेकिन किसान संगठन इससे डरने वाले नहीं हैं। एक किसान नेता का कहना है कि पुलिस, अर्धसैनिक बल, देश की सेना के जवान सब किसानों के बेटे हैं। हमें हर स्थिति का अंदाजा है। चैधरी हरपाल सिंह, मोंगा के बलविंदर सिंह और होशियारपुर के मनिंदर सिंह कहते हैं कि चाहे जो हो, हम दिल्ली की सीमा में गणतंत्र दिवस मनाकर ही रहेंगे।

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