
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि सोशल मीडिया के इस दौर में फेक न्यूज काफी बड़ा मुद्दा बन चुका है जो पेड न्यूज से भी ज्यादा खतरनाक है। सोशल मीडिया की फेक न्यूज के लोग आसानी से इसका शिकार बन जाते हैं। ऐसे में इस खतरे से निजात पाने के लिए सोशल मीडिया पर डिजिटल सामग्री प्रकाशित करने से पहले ‘स्वनियमन’ की आवश्यकता है।
‘इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (आईएएमएआई) की ओर से आयोजित 16वें मार्केटिंग कॉन्क्लेव में जावड़ेकर ने सेल्फ रेगुलेशन अर्थात् स्वनियमन के महत्व पर जोर दिया और कहा कि फेक न्यूज एक घातक वायरस की तरह है जो देश व समाज के लिए काफी खतरनाक है।
इस मौके पर जावड़ेकर का यह भी कहना था कि पेड न्यूज की तुलना में फेक न्यूज ज्यादा खतरनाक है। फेक न्यूज पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कदम उठाते हुए फैक्ट चेक टीम गठित की है, जो डिजिटल मीडिया में चल रही खबरों की जांच करती है और उनकी पुष्टि करती है। सूचना प्रसारण मंत्री का कहना था, ‘हम निश्चित तौर पर फर्जी खबरों पर नजर बनाए हुए हैं इसलिए अक्टूबर 2019 में हमने पीआईबी फैक्ट चेक यूनिट का गठन किया है। हमने इसकी इकाई भी सभी राज्यों में स्थापित की है।’ उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स को अधिक जवाबदेही की जरूरत है। फेक न्यूज लोकतंत्र की कार्यप्रणाली को कमजोर करती है। देश के सभी गांवों को भारतनेट के माध्यम से जोड़ने के लिए और फेक न्यूज का पता लगाने के लिए आम जनता को शिक्षित करने की अधिक आवश्यकता है।
इस मौके पर डिजिटल माध्यमों के महत्व के बारे में जावड़ेकर का कहना था कि हमें यह समझना चाहिए कि जिस रफ्तार से यह आगे बढ़ रहे हैं और स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या बढ़ रही है, डिजिटल कंटेंट और एडवर्टाइजिंग काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि इन माध्यमों की पहुंच और स्पीड काफी है। यहां तक कि सरकार ने भी इस माध्यम का लाभ उठाने और विज्ञापन के लिए इसका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।
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