
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-पूर्वी लद्दाख में पिछले कुछ दिनों से भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनातनी चल रही हैं। हालांकि दोनो देशों के सैनिकों में झड़प भी हो रही है लेकिन फिर भी राजनयिक व सैनिक स्तर पर दोनो देश सीमा पर शांति बहाली का प्रयास कर रहे है। फिर भी एक बात है जो अभी भी खटक रही है कि शांति प्रस्तावों के बावजूद भी पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना अच्छी खासी संख्या डेरा जमाये बैठी है जिससे लगता है कि स्थिति अभी सामान्य नही हुई है। कभी भी कुछ भी हो सकता है। पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना की मौजूदगी पर पहले भी भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अधिकारिक रूप से बयान दे चुके है। उन्होने माना है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिक ‘‘अच्छी खासी संख्या में’’ आ गए हैं और भारत ने भी स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए हैं।
यहां बता दें कि रक्षा मंत्री श्री सिंह ने अपनी टिप्पणियों से यह पुष्टि कर दी है कि सीमा पर अभी सब कुछ ठीक नही चल रहा है और विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की अच्छी-खासी मौजूदगी अभी चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने बयान में कहा था कि चीनी सेना उनके क्षेत्र में नही घुसी है और सब कुछ ठीक ठाक है। जबकि इन क्षेत्रों के बारे में रक्षा मंत्री का कहना है कि ये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ हैं। वहीं भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के बीच अभी तक कई दौर की बात हो चुकी है। हालांकि कुछ मुद्दों को लेकर सहमति भी बनी है। जिसके तहत चीनी सेना पिछे भी हटी है और अभी भी बैठकों का दौर जारी है जिसमें दोनों देश मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि राजनाथ सिंह ने आश्वस्त किया कि भारत पूर्वी लद्दाख में अपनी स्थिति से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि चीनी वहां तक आ गए हैं जिसको वे अपना क्षेत्र होने का दावा करते हैं, जबकि भारत का मानना है कि यह उसका क्षेत्र है। उन्होने कहा कि भारत को जो करना चाहिए वो उसने किया है अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। जो क्षेत्र भारत का है वो भारत का ही रहेगा। कुछ क्षेत्रों को लेकर मतभेद हुआ है, और अच्छी-खासी संख्या में चीन के लोग भी आ गए हैं। लेकिन भारत को भी अपनी तरफ से जो कुछ करना चाहिए, भारत कर रहा है।
खबरों के मुताबिक, एलएसी पर भारत की तरफ गलवान घाटी और पैंगोंग त्सो क्षेत्र में चीनी सैनिक अच्छी-खासी संख्या में अभी भी डेरा डाले हुए हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन को मुद्दे पर गंभीरता से सोचना चाहिए जिससे कि इसका जल्द समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि, ‘‘डोकलाम विवाद का समाधान कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के माध्यम से हुआ था। आशा है कि इसका भी समाधान होगा, हमने इस तरह की स्थितियों का विगत में भी इसी तरह का समाधान पाया है।” पैगोंग त्सो के आसपास फिंगर इलाके में एक महत्वपूर्ण सड़क निर्माण के अलावा गलवान घाटी में दारबुक-शयोक-दौलत बेग ओल्डी के बीच भारत के सड़क निर्माण पर चीन के कड़े विरोध के बाद गतिरोध शुरू हुआ। चीन भी फिंगर इलाके में एक सड़क बना रहा है जो भारत को स्वीकार्य नहीं है।
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