नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के 119वें जन्मोत्सव पर ऑनलाइन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कोरोना काल मे परिषद का 54वां ऑनलाइन वेबिनार था। गायत्री मंत्र व ईश्वर भक्ति के भजन के माध्यम से आचार्य महेन्द्र भाई ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस अवसर पर परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि डॉ मुखर्जी अखण्ड भारत के स्वप्न द्रष्टा थे उन्होंने उस समय के परमिट परिपाटी के विरुद्ध संघर्ष का सिंहनाद किया था। उन्होंने राष्ट्र को सन्देश दिया कि एक देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे। वे जम्मू कश्मीर को भारत का अविभाज्य अंग बनाने के लिए बलिदान हो गए। उनके बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा धारा 370 व 35। समाप्त करके दी गयी।
उल्लेखनीय है कि डॉ मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता के अत्यन्त प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता भी सर आशुतोष मुखर्जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे एवं शिक्षाविद् के रूप में विख्यात थे। अपने पिता का अनुसरण करते हुए उन्होंने भी अल्पायु में ही विद्याध्ययन के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएँ अर्जित कर ली व 33 वर्ष की अल्पायु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने। इस पद पर नियुक्ति पाने वाले वे सबसे कम आयु के कुलपति थे।
समारोह के मुख्य अतिथि आर्य नेता सुरेन्द्र शास्त्री ने कहा कि डॉ मुखर्जी ने राष्ट्र की एकता अखंडता के लिए बलिदान दिया उनके कार्य सदियों तक आने वाली पीढ़ियों का मार्गप्रशस्त करता रहेगा। योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने गोष्ठी का संचालन करते हुए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को युवाओं के लिए प्रेरक बताया और उनके पदचिन्हों पर चलने का आह्वान किया। प्रान्तीय महामंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आदर्शों पर चलने की आवश्यकता है तभी हम राष्ट्रीय एकता अखंडता को मजबूत रख सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध समाज सेवी रमेश गाडी ने महापुरुषों का जन्मोत्सव व बलिदान दिवस मनाने के लिए परिषद का आभार व्यक्त किया। आर्य नेता सुरेन्द्र शास्त्री के 76वें जन्मोत्सव पर सभी ने शुभकामनाएं प्रदान की। श्रीमती प्रवीन आर्या, पुष्पा शास्त्री, संगीता आर्या, नरेन्द्र आर्य सुमन, राजश्री यादव, सुदेशवीर आर्या, किरण सहगल, पुष्पा चुघ आदि ने मधुर गीत सुनाये। प्रमुख रूप से यशोवीर आर्य, धर्मपाल आर्य, राजेश मेहंदीरत्ता, सुरेन्द्र तलवार, वीना वोहरा, आनन्द प्रकाश आर्य(हापुड़), प्रिं. भावना, बोधराज सीखरी, ओमप्रकाश छाबड़ा, भारत भूषण साहनी, ओमप्रकाश यजुर्वेदी, ओम सपरा, गीता गर्ग,प्रकाशवीर शास्त्री आदि उपस्थित थे।
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