नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- मटियाला विधान सभा के रावता गांव में बरसात व हरियाणा से आये पानी के कारण गांव की करीब 1200 एकड़ जमीन जलमग्न हो गई। जिसकारण जमीन में लगी धान की फसल चैपट होने को देखते हुए ग्रामीणों ने प्रशासन से फसल खराब होने के मुआवजे की मांग है। जिसे देखते हुए डीएम दक्षिण-पश्चिम राहुल सिंह ने सोमवार को गांव का दौरा कर जलमग्न खेतों का निरिक्षण किया। उन्होने ग्रामीणों से बात की और उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने का आश्वासन दिया लेकिन ग्रामीण मुआवजे व अधिग्रहण को लेकर एकजुट नही होने से डीएम उन्हे पूरी तरह से आश्वस्त किये बगैर ही चले गये। इस मौके पर पूर्व मेयर कमलजीत सहरावत व घुम्मनहेड़ा वार्ड के पार्षद दीपक मेहरा के साथ-साथ निगम व सिचांई तथा बाढ़ राहत विभाग के अधिकारी भी मौजूद थे।
बरसात के मौसम में हर बार रावता गांव की करीब 1200 एकड़ जमीन जलमग्न हो जाती है और ग्रामीणों की धान की फसल के साथ-साथ गेंहू की फसल भी नही हो पाती जिसपर गांव के किसान सरकार व प्रशासन से काफी खफा दिख रहे है। ग्रामीणों की माने तो पिछले 15 साल से लगातार किसान जलभराव का दंश झेलता आ रहा है लेकिन इस पर न तो कोई नेता और न ही कोई अधिकाराी आज तक ग्रामीणों के लिए कुछ कर पाया है। अब हालत यह हो गई है कि एक तो कोरोना ने किसानों की जिविका छीन ली है उपर से जलभराव ने धान की खड़ी फसल को खराब कर उनकी कमर पूरी तरह से तोड़ दी है। किसानों के पास अब सिर्फ आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प नही बचा है। हालांकि पिछले 15 साल से इस समस्या को लेकर किसान मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, केंद्रीय गृहमंत्री व प्रधानमंत्री तक का दरवाजा खटखटा चुके है लेकिन आज तक उनकी समस्या को कोई समाधान नही हुआ है।
इस संबंध में पूर्व मेयर कमलजीत सहरावत ने ग्रामीणों की समस्या पर डीएम से बात की और सोमवार को उनका गांव में दौरा कराकर उन्हे ग्रामीणों की समस्या से रूबरू कराया। इस मौके पर ग्रामीण देवेन्द्र, प्रीतम, राजेश, रमेश, धर्मेंन्द्र, सुरेन्द्र, रजनीश, अनिल व बलराज ने बताया कि बरसात के मौसम में जो नाला बाढ़ के लिए बनाया गया था वहीे उनके लिए परेशानी का कारण बन जाता है। उन्होने कहा कि गांव का पानी एक पुलिया के माध्यम से नाले में जाता है लेकिन वह पुलिया अधिकारियों की मिली भगत से पिछले कई साल से बंद पड़ी है। ऊपर से गुरूग्राम का सीवरेज व बरसात का पानी भी इसी तरफ आ जाता है जिसकारण समस्या और भी बढ़ जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव की करीब 1200 एकड़ जमीन जलमग्न हो चुकी है और पानी लगातार बढ़ता ही जा रहा है। उन्होने डीएम व पूर्व महापौर को बताया कि अब तो पानी गांव में भी प्रवेश कर गया है और बाहरी फिरनी से लगे घर इसकी चपेट में आ चुके है। ग्रामीण पहले ही कोरोना से टूटे हुए है और अब उनकी धान की फसल खराब होने से उनकी आर्थिक स्थिति पूरी तरह से गड़बड़ा जायेगी। इसके लिए ग्रामीणों ने डीएम राहुल सिंह से मुआवजे की मांग रखी और पानी निकालने की भी अपील की।
ग्रामीणों की समस्या पर डीएम राहुल सिंह ने कहा कि उन्होने पहले ही इसकी फाईल बनाकर राज्य सरकार व केंद्र सरकार को भेजी हुई है। सरकार के पास पानी की समस्या का कोई समाधान नही है। इसके लिए सरकार जमीन का अधिग्रहण कर यहां बर्ड सैंक्चुरी या वाटर रिज बना सकती है। साथ ही उन्होने कहा कि अभी प्रशासन जमीनों की गिरदावरी करा कर किसानों को फसल की भरपाई के लिए मुआवजा दे देगा। लेकिन इस पर किसानों ने कहा कि मुआवजा तो जमीन का मालिक ले जायेगा और जो खेत बो रहे है उन्हे कुछ नही मिलेगा तो इसपर डीएम ने कहा कि इसका समाधान हमारे पास नही है। यह समस्या आप स्वयं बैठकर हल करे। इस पर ग्रामीण भड़क उठे और आपस में ही बहस करने लगे जिसपर डीएम वहां से चले गये और ग्रामीणों की समस्या ज्यों की त्यों ही रह गई। हालांकि पूर्व मेयर कमलजीत सहरावत व पार्षद दीपक मेहरा ने ग्रामीणों को आश्वस्त किया तथा जल्द इस समस्या का समाधान कराने की बात कही। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि यदि सरकार ने उनकी बात नही मानी तो वो सरकार का बहिष्कार करेंगे।
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