नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/लखनऊ/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि हर साल 27 दिसंबर को सभी स्कूलों में साहिबजादा दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस अवसर पर स्कूलों में सिख गुरुओं की शहादत पर केंद्रित वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। उन्होंने सिख गुरुओं के इतिहास को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की भी घोषणा की।
मुख्यमंत्री रविवार को अपने सरकारी आवास पर गुरु गोविंद सिंह के चार साहिबजादों व माता गुजरी की शहादत को समर्पित ‘साहिबजादा दिवस’ पर आयोजित गुरुवाणी कीर्तन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि साहिबजादा दिवस सिख समाज और प्रदेशवासियों के लिए गौरव का दिन है। गुरु गोविंद सिंह के चारों सुपुत्रों-साहिबजादा अजीत सिंह, साहिबजादा जुझार सिंह, साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह को सामूहिक रूप से साहिबजादा के तौर पर संबोधित किया जाता है। गुरु गोविंद सिंह ने देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने पुत्रों को समर्पित करते हुए दुखी न होकर पूरे उत्साह के साथ कहा था-‘चार नहीं तो क्या हुआ, जीवित कई हजार’।
उन्होंने कहा कि गुरुवाणी कीर्तन हम सबको देश और धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों के निर्वहन की प्रेरणा देता है। इतिहास को भुलाकर कोई भी समाज आगे नहीं बढ़ सकता है। सिख इतिहास पढ़ने पर पता चलता है कि विदेशी आक्रांताओं ने जब भारत के धर्म और संस्कृति को नष्ट करने, भारत के वैभव को पूरी तरह समाप्त करने का एक मात्र लक्ष्य बना लिया था, तब गुरु नानक ने भक्ति के माध्यम से अभियान प्रारंभ किया और कीर्तन उसका आधार बना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहास हम सबको सीख देता है। तत्कालीन मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश से सरहिंद के नवाब वजीर खान ने छोटे साहिबजादे अर्थात साहिबजादा जोरावर सिंह तथा साहिबजादा फतेह सिंह को इस्लाम स्वीकार न करने तथा अपने धर्म पर दृढ़ रहने की सजा के फलस्वरूप उन्हें जीवित ही दीवार में चुनवा दिया था। उनके साथ उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डा. दिनेश शर्मा आदि उपस्थित थे।
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