नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/वाशिंगटन/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में भारत में सड़क से संसद तक संग्राम जारी है। यहां तक विदेशों में भी इसके समर्थन व विरोध में जमकर राजनीति हो रही है। लेकिन इसी बीच कृषि कानूनों को लेकर अमेरिका ने भारत का समर्थन किया है। बाइडन प्रशासन ने कहा कि वह मोदी सरकार के इस कदम का स्वागत करता है। इससे दुनिया में भारतीय बाजार का प्रभाव बढ़ेगा और निजी क्षेत्र में अधिक निवेश को बढ़ावा मिलेगा। लेकिन साथ ही अमेरिका ने कृषि कानूनों पर चल रहे किसानों के शांतिपूर्ण विरोध को एक समृद्ध लोकतंत्र की एक बानगी बताया है।
नए कृषि कानूनों के विरोध में भारत में जारी किसान आंदोलन पर प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि बाइडन सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए भारत सरकार के कदम का समर्थन करती है, जो किसानों के लिए निजी निवेश और अधिक बाजार पहुंच को आकर्षित करती है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि सामान्य तौर पर अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है, जो भारतीय बाजारों की दक्षता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करेंगे। अमेरिका की तरफ से यह बयान ऐसे वक्त आया है जबकि क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और सिंगर रिहाना ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। अमेरिका के पड़ोसी देश कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। भारत में आज किसान आंदोलन का 71वां दिन है।
शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन लोकतंत्र की पहचान
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, हमारा मानना है कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान है और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही कहा है। प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका, भारत के अंदर बातचीत के माध्यम से पार्टियों के बीच किसी भी मतभेद को हल किया जाने के पक्ष में है। सामान्य तौर पर अमेरिका भारतीय बाजारों की कार्यकुशलता को सुधारने और बड़े पैमाने पर निजी सेक्टर के निवेश को आकर्षित करने के लिए उठाए गए कदमों का स्वागत करता है।
आईएमएफ भी कर चुका समर्थन
इससे पहले, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत के नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में सुधारों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया था। आईएमएफ की कम्युनिकेशन निदेशक गेरी राइस ने कहा था, हम मानते हैं कि भारत में कृषि सुधारों के लिए खेत के बिल एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करने की क्षमता रखते हैं। यह उपाय किसानों को विक्रेताओं के साथ सीधे अनुबंध करने में सक्षम बनाएगा, जिससे किसानों को बिचैलियों की भूमिका को कम करके अधिशेष के अधिक से अधिक हिस्से को बनाए रखने की अनुमति मिलेगी।
अमेरिका का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब भारत में नए कृषि कानूनों को लेकर बड़े पैमाने पर किसानों का प्रदर्शन चल रहा है। पिछले दिनों किसानों के प्रदर्शन के दौरान राजधानी दिल्ली में जमकर हिंसा हुई थी। किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में दुनिया की पॉप स्टार रिहाना, ग्रेटा थनबर्ग के आने के बाद भारत के नामचीन लोगों ने उनको भी करारा जवाब दिया है।
कई अमेरिकी सांसद किसानों के समर्थन में आए
इस बीच कई अमेरिकी सांसदों ने भारत में किसानों का समर्थन किया है। सांसद हेली स्टीवेंस ने कहा कि भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की खबर से चिंतित हूं। इसके अलावा कई और नेता भी किसान आंदोलन के साथ खड़े नजर आए। किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने कहा कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी खतरे में है।
बता दें कि कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 26 नवंबर से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली में हिंसा भी हुई थी, जिसके बाद कई जगहों पर इंटरनेट सेवा को बाधित किया गया।
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