नई दिल्ली/उमा सक्सेना/- असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य की जनसंख्या संरचना को लेकर एक बार फिर बड़ा और विवादास्पद दावा किया है। उन्होंने कहा है कि असम की कुल आबादी का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा बांग्लादेशी मुस्लिमों का है और वर्ष 2027 में प्रस्तावित जनगणना के बाद यह स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगी। गुवाहाटी में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आने वाली जनगणना राज्य की जनसांख्यिकीय वास्तविकता को सामने लाएगी, जिसे अब तक नजरअंदाज किया जाता रहा है।
‘असम बारूद के ढेर पर बैठा है’—सीएम का गंभीर संकेत
मुख्यमंत्री सरमा ने इस स्थिति को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा कि असम आज एक तरह से “बारूद के ढेर” पर बैठा हुआ है। उनका कहना था कि बांग्लादेशी मूल के लोगों की आबादी तेजी से बढ़ी है और यह राज्य की मूल पहचान, सामाजिक संतुलन और सांस्कृतिक ढांचे के लिए खतरा बनती जा रही है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस जनसंख्या को अब कई मामलों में वैधता मिल चुकी है, जिससे समस्या और गंभीर हो गई है।
राज्य और देश की सुरक्षा पर असर की आशंका
सीएम सरमा ने आगाह किया कि यह केवल असम का मुद्दा नहीं है, बल्कि इससे पूरे देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते इस पर सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो इसके दूरगामी और गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
अवैध अप्रवासियों के खिलाफ सख्त रुख पर सरकार कायम
मुख्यमंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब असम सरकार अवैध अप्रवासियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है। उन्होंने बताया कि राज्य के सभी डिप्टी कमिश्नरों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ट्रिब्यूनल द्वारा विदेशी घोषित किए गए लोगों और अवैध अप्रवासियों के खिलाफ बिना किसी ढिलाई के कार्रवाई की जाए। पुलिस, प्रशासन और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) मिलकर इन्हें चिन्हित कर निष्कासन की प्रक्रिया तेज करेंगे।
कानूनी प्रावधानों के तहत होगी कार्रवाई
सरमा ने स्पष्ट किया कि अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 के तहत राज्य सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि वह उन लोगों को निष्कासित कर सके, जिनका लगातार निवास आम जनता के हितों के लिए हानिकारक माना जाता है। यह कानून प्रशासनिक आदेशों के माध्यम से पहचान और निष्कासन का स्पष्ट कानूनी ढांचा प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद असम की राजनीति और राष्ट्रीय स्तर पर जनसांख्यिकी व अवैध अप्रवासन को लेकर बहस तेज होने के आसार हैं।


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