नई दिल्ली/उमा सक्सेना/- दिल्ली में आम जनता के इलाज का अहम केंद्र रहे मोहल्ला क्लिनिक अब बंद होने की कगार पर हैं। दिल्ली सरकार ने उन 121 मोहल्ला क्लिनिकों को बंद करने का निर्णय लिया है जो किसी डिस्पेंसरी या अस्पताल के एक किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं। सरकार के आदेश के बाद इन क्लिनिकों में काम कर रहे कर्मचारियों को दो सप्ताह का नोटिस देकर सेवामुक्त कर दिया गया है। इससे कर्मचारियों में गहरी नाराजगी और निराशा देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि अचानक रोजगार छीने जाने से उनके परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है।

पहले भी बंद हुए थे 31 क्लिनिक, अब और सख्त हुआ कदम
सरकार का यह निर्णय अचानक नहीं आया है। इससे पहले सितंबर माह में भी दिल्ली सरकार ने किराए के भवनों और पोर्टा केबिन में संचालित 31 मोहल्ला क्लिनिकों को बंद किया था। अब 121 और क्लिनिकों को बंद करने के आदेश जारी हो चुके हैं। जानकारी के मुताबिक, सरकार जल्द ही किराए पर चल रहे 49 अन्य मोहल्ला क्लिनिकों को भी बंद करने की दिशा में कदम उठा सकती है।

सरकार का तर्क – स्वास्थ्य सेवाओं की डुप्लिकेसी खत्म करना
दिल्ली सरकार का कहना है कि जिन इलाकों में पहले से ही डिस्पेंसरी या अस्पताल मौजूद हैं, वहां मोहल्ला क्लिनिक की जरूरत नहीं है। इसलिए उन जगहों पर क्लिनिक बंद कर दिए जाएंगे। मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह का कहना है कि पिछली सरकार के दौरान कई मोहल्ला क्लिनिक किराए पर लिए गए थे, जिससे निजी हित साधे गए। अब सरकार का उद्देश्य है कि स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाया जाए।

नई दिशा में कदम – 1139 आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोलने की योजना
दिल्ली सरकार अब केंद्र की आयुष्मान भारत योजना के तहत राजधानी में 1139 आयुष्मान आरोग्य मंदिर शुरू करने की दिशा में काम कर रही है। इनमें से 168 केंद्र सात महीनों में खोले जा चुके हैं, जबकि बाकी केंद्रों पर काम जारी है। सरकार का दावा है कि इन आरोग्य मंदिरों के माध्यम से लोगों को आधुनिक सुविधाओं के साथ बेहतर इलाज मिलेगा।

कर्मचारियों की मांग – फैसला वापस ले सरकार
दूसरी ओर, मोहल्ला क्लिनिक में कार्यरत कर्मचारी सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि बिना पर्याप्त समय और वैकल्पिक व्यवस्था के उन्हें नौकरी से निकालना अनुचित है। कई कर्मचारियों ने कहा कि वे वर्षों से जनता की सेवा में लगे हैं और अब अचानक नोटिस देकर बाहर कर दिया गया है। वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि इस निर्णय को वापस लिया जाए या किसी नई योजना में उन्हें समायोजित किया जाए।


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