मां पार्वती का अंश देवी षष्ठी कैसे बनीं छठी मईया?

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2025
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031  
December 22, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

 मां पार्वती का अंश देवी षष्ठी कैसे बनीं छठी मईया?

मानसी शर्मा/-   भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में छठ पूजा का विशेष स्थान है। यह केवल सूर्य उपासना का पर्व नहीं, बल्कि मातृत्व, श्रद्धा और अटूट विश्वास का प्रतीक है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में छठ का उत्सव अपार भक्ति भाव से मनाया जाता है। इस दौरान व्रती महिलाएं कठिन नियमों का पालन कर संतान और परिवार की मंगल कामना करती हैं। डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देकर वे न केवल प्रकृति का आभार व्यक्त करती हैं, बल्कि छठी मईया का आशीर्वाद भी मांगती हैं।
ब्रह्मा की मानस पुत्री, पार्वती के अंश से उत्पन्न देवी

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, छठी मईया यानी देवी षष्ठी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं। सृष्टि की रचना के समय वे बालकों की रक्षिका के रूप में प्रकट हुईं। कुछ मान्यताओं के अनुसार, वे माता पार्वती के अंश से उत्पन्न हैं, जो मातृत्व की शक्ति का प्रतीक हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को उनकी विशेष पूजा की जाती है, यही दिन ‘छठ’ कहलाता है। भक्त उन्हें प्यार से ‘छठी मईया’ कहते हैं और मानते हैं कि वे हर संतान की जीवनरक्षा करती हैं।

राजा प्रियव्रत की कथा से जुड़ा छठ पर्व का उद्गम

छठी मईया से जुड़ी एक प्रसिद्ध कथा राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी की है। संतानहीनता के दुख से व्याकुल राजा ने महर्षि कश्यप की सलाह पर यज्ञ कराया, परंतु जन्मा पुत्र मृत हुआ। तभी देवी षष्ठी प्रकट होकर बोलीं – “राजन, मैं संतान की अधिष्ठात्री देवी हूं।” उन्होंने शिशु को जीवनदान दिया। उसी क्षण से राजा ने देवी की पूजा प्रारंभ की और यही परंपरा आगे चलकर छठ पर्व के रूप में प्रसिद्ध हुई।

सूर्य की बहू और कर्ण की पत्नी – श्रद्धा का संगम

कुछ मान्यताओं में छठी मईया को सूर्य देव की बहू और महाभारत के वीर योद्धा कर्ण की पत्नी माना गया है। वहीं, अन्य ग्रंथों में वे कर्दम ऋषि की पत्नी देवी संकल्पा कही गई हैं। यह विविध कथाएं छठी मईया की शक्ति, करुणा और मातृत्व का प्रतीक हैं। छठ पूजा में जब महिलाएं घाटों पर सूर्य को अर्घ्य देती हैं, तो उनके मुख पर केवल भक्ति नहीं, बल्कि एक मां की शक्ति, विश्वास और आशीर्वाद की झलक दिखाई देती है – यही है छठ की असली आस्था और अध्यात्म का प्रकाश।

About Post Author

आपने शायद इसे नहीं पढ़ा

Subscribe to get news in your inbox