मानसी शर्मा /- एनसीपी की वरिष्ठ नेता और सांसद सुप्रिया सुले एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में आ गई हैं। हाल ही में आरक्षण को लेकर दिए गए एक बयान में उन्होंने कहा था कि उनके बच्चों को आरक्षण की जरूरत नहीं है। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई और विपक्षी दलों के साथ-साथ सामाजिक संगठनों ने भी उनकी आलोचना शुरू कर दी।
बयान पर दी सफाई, बच्चों का किया जिक्र
विवाद बढ़ने के बाद सुप्रिया सुले ने मीडिया से बातचीत में अपने बयान को स्पष्ट करते हुए कहा, “मैं खास तौर पर सिर्फ अपने बच्चों की बात कर रही थी। मैं एक उदार परिवार में पैदा हुई हूं और ऐसे ही परिवार में मेरी शादी हुई। मेरे दोनों बच्चे सशक्त और शिक्षित हैं, उन्हें आरक्षण की जरूरत नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। यदि लोग मेरी पूरी बातचीत को सुनें, तो उन्हें स्पष्ट हो जाएगा कि मेरा इरादा क्या था। मैं नैतिक रूप से महिलाओं के आरक्षण का लाभ नहीं लेना चाहती, क्योंकि मैं एक सिद्धांतवादी सोच रखती हूं।”
संविधान और आरक्षण पर रखी अपनी राय
सुप्रिया सुले ने कहा कि वे संविधान के पूर्ण समर्थन में हैं और मानती हैं कि देश को डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान के अनुसार ही चलना चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या वह जाति आधारित आरक्षण के पक्ष में हैं, तो उन्होंने साफ कहा, “हां, यह आज भी जरूरी है। देश में आज भी कई सामाजिक चुनौतियां हैं, जिन्हें देखते हुए आरक्षण की व्यवस्था महत्वपूर्ण है।”
उन्होंने आगे उदाहरण देते हुए कहा कि मराठा, धनगर और लिंगायत जैसे समुदायों ने भी आरक्षण की मांग की है, जिस पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। हालांकि, एससी और एसटी आरक्षण का मुद्दा पहले ही संविधान में स्पष्ट रूप से तय हो चुका है।
ओबीसी नेता को सुरक्षा देने की मांग
इस बातचीत के दौरान सुप्रिया सुले ने अपनी पार्टी के ओबीसी सेल के राज्य अध्यक्ष राज राजापुरकर को लेकर चिंता जताई और सरकार से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील भी की।


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